श्रीकृष्ण पेठ में विराजमान हुए ३०१ गणपति
खंडेलवाल परिवार की ऐसी भी गणेश भक्ति
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पिछले २७ वर्षों से संजोकर रख रहे धरोहर
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देश विदेश से लाई जाती है प्रतिमाएं
अमरावती/प्रतिनिधि/ दि.२४ – स्थानीय श्रीकृष्ण पेठ निवासी खंडेलवाल परिवार की भी एक अलग ही गणेश भक्ति है. परिवार के कोई भी सदस्य देश, विदेश या किसी भी तिर्थस्थल पर जाते है तो वहां की यादें और इतिहास ताजा रखने के लिए उस क्षेत्र के विख्यात गणपति की प्रतिमा अपने साथ जरुर लेकर आते है. इस तरह खंडेलवाल परिवार ने पिछले २७ वर्षों में विभिन्न तरह की ३०१ गणेश प्रतिमाएं धरोहर के रुप में अपने घर में संजो के रखी है. हर वर्ष गणेश उत्सव (Ganesh Festival) के दौरान विधि विधान के साथ सभी गणेश प्रतिमाओं की पूजा अर्चना की जाती है, ऐसी जानकारी खंडेलवाल परिवार के राजेश खंडेलवाल (Rajesh Khandelwal) ने दी.
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विभिन्न धातुओं से तैयार की गई गणेश मुर्तियां
खंडेलवाल परिवार के घर धरोहर के रुप में रखी गई ३०१ मुर्तियां इस वर्ष तक हो चुकी है. इन मुर्तियों में विभिन्न प्रकार के अनाज, कैलेंडर, लकडी, मिट्टी, गोबर, विभिन्न धातू, पत्थर पर की गई कारागिरी से निर्माण की गई मुर्तियों का समावेश है. देश, विदेश व विभिन्न तीर्थस्थलों से लायी गई गणेश प्रतिमाओं में रामेश्वर से लाई गई वामन अवतार, जगन्नाथपुरी से काले गणपति, मथुरा से फुल के बंगले में विराजमान गणपति, मुरादाबाद से रिध्दी-सिध्दि के साथ अनाज से निर्माण की गई मुर्ति, इंदौर से खजराना गणपति, नागपुर से टेकडी गणपति, विदेशों से भी विभिन्न तरह की गणेश प्रतिमाएं लायी गई, जिसमें लंदन से आयपॉड सुनने वाले गणपति जैसे अनगिनत मुर्तियों का समावेश हेै.
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विभिन्न मुद्राओं में विराजे है गणपति बाप्पा
इतना ही नहीं तो यह एकत्रित की गई धरोहर के रुप में गणेश प्रतिमाएं विभिन्न मुद्राओं में है. जिसमें लूडो खेलते हुए गणपति, घर के अंदर विराजमान गणपति, दीवान पर आरोप करते हुए छोटे बेबीे गणपति, पलंग पर मच्छरदानी लगाकर पंखे की हवा लेते हए सुंदर छोटे गणपति, फ्रुट की दुकान सजाकर बैठे गणपति, संगीत सुनते हुए विना बजाते हुए, सायकल चलाते हुए, मोटरगाडी चलाते हुए, मित्रों के साथ खेलते हुए, झुला झूलते हुए गणपति, गजराज पर घुमते हुए, स्विमिंग पुल में स्नान करने का आनंद लूटते हुए, खेत में बैठे गणपति, जहाज में घुमने का आनंद लूटते हुए, बैलगाडी चलाते हुए, मार्बल के गणपति, मित्रों के साथ विश्राम करते हुए, पढाई करते हुए, टै्रक्टर चलाते, ढोल बजाते, चुहे को प्रसाद खिलाते हुए, गेहूं, चावल, दाल, उडद आदि विभिन्न चिजों से तैयार गणपति की प्रतिमाएं यहां है. खंडेलवाल परिवार के सदस्यों ने करीब २५ से ३० मुर्तिंर्या भी घर में ही तैयार की है.
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मुर्तियों के लिए विशेष मंदिर घर
उन्होंने बताया कि वर्षभर उन मुर्तियों को घर के मंदिर में रखी जाती है. गणेश प्रतिमाओं को रखने के लिए एक स्वतंत्र जगह तैयार की गई है. उस जगह पर खंडेलवाल परिवार व्दारा रोजना गणेश प्रतिमाओं का पूजन किया जाता है. गणेश चतुर्थी से दो माह पहले खंडेलवाल परिवार व्दारा एक थीम तैयार की जाती है. उत्सव से १० दिन पहले तैयारी शुरु हो जाती है. बनाई गई थीम के आधार पर सजावट करते हुए स्थापना की जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि कई बार रिश्तेदार व मित्रपरिवार के लोग भी गणेश प्रतिमाएं भेंट में दें जाते है. एक बार जो थीम तैयार की उसे दोबारा फिर नहीं दोहराई जाती.
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विभिन्न थीम पर झांकियां
झांकी में उन्होंने कैलाश पर्वत पर विराजमान भगवान शिवपार्वती को प्रदक्षिणा देते हुए गणपति, डमरु बजाते हुए गणपति, कमल के फूलपर विराजमान गणपति जैसे झांकियां तैयार की जाती है. इस बार भी अपनी पिछले २७ वर्ष की परंपरा कायम रखते हुए खंडेलवाल परिवार के राजेश खंडेलवाल, सुनीता खंडेलवाल, सागर खंडेलवाल, भाग्यश्री खंडेलवाल, मेघना खंडेलवाल आदि विधि विधान से तैयारी के साथ पूजा करते हुए अपनी परंपरा को संजो रहे है.