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अमरावती पहुंची 3200 न्यूमोकोकल वैक्सीन की खेप

‘सीरम’ से संभाग को मिले 12 हजार 600 डोज

  •  छोटे बच्चों को निमोनिया से बचाने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में किया जायेगा शामिल

  •  सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क लगेगा टीका, पहले 4 हजार रूपये तक आता था खर्च

अमरावती/प्रतिनिधि दि.24 – कोविड प्रतिबंधात्मक वैक्सीन ‘कोविशिल्ड’ का उत्पादन करनेवाली पुणे स्थित सीरम इन्स्टिट्यूट द्वारा उत्पादित की जानेवाली न्युमोकोकल नामक वैक्सीन के 12 हजार 600 डोज केंद्र सरकार के जरीये अकोला स्थित विभागीय स्वास्थ्य उपसंचालक कार्यालय को गुरूवार को प्राप्त हुए है. जिसमें से अमरावती जिले के लिए 3 हजार 200 डोज की खेप प्रदान की गई है. इसमें से अमरावती मनपा क्षेत्र के लिए 700 व जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2500 डोज आवंटित किये गये है. वहीं अकोला जिले के लिए 2100, बुलडाणा के लिए 3100, यवतमाल के लिए 3 हजार तथा वाशिम जिले के लिए 1 हजार 200 डोज प्रदान किये गये है.
बता दें कि, डेढ माह से लेकर नौ माह तक की उम्र के बच्चों को निमोनिया, सेप्टीसीमिया व मेनेंजाईटीस जैसे जानलेवा संक्रमणों से बचाने हेतु लगायी जानेवाली न्युमोकोकल वैक्सीन पहले सिर्फ निजी अस्पतालों में लगायी जाती थी. जिसके लिए करीब 4 हजार रूपये तक का खर्च आता था. लेकिन इस अब इस वैक्सीन को सरकार द्वारा नियमित टीकाकरण अभियान में शामिल किया गया है. ऐसे में अब सरकारी अस्पतालों में न्युमोकोकल गरीब परिवारों के बच्चों को भी यह वैक्सीन नि:शुल्क लगायी जायेगी. जिसके तहत वैक्सीन बनानेवाली कंपनी सीरम इन्स्टिटयूट ऑफ इंडिया ने बुधवार से केंद्र सरकार को न्यूमोकोकल वैक्सीन की आपूर्ति शुरू की गई है. यह वैक्सीन सीरम द्वारा आगामी दिसंबर 2021 तक स्वास्थ्य मंत्रालय को इस वैक्सीन के 2.40 करोड डोज की आपूर्ति की जानी है. जिसके लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण द्वारा वर्ष 2020-21 के केंद्रीय बजट में विशेष रूप से प्रावधान किया गया था.

  • कोविड के समान ही होते है लक्षण

बता दें कि, न्युमोकोकल निमोनिया सांस के रास्ते होनेवाला संक्रमण है. इससे फेंफडोें में सूजन आती है और पानी भी भरने लगता है. जिसकी वजह से शिशुओें को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और उनमें ऑक्सिजन की कमी भी हो सकती है. इसके अलावा इसके लक्षणों में खांसी, पसलियों का चलना व सांस तेज होना आदि का समावेश है, जो कोविड लक्षणों के समान ही है. ऐसे में कोरोना काल में न्युमोकोकल वैक्सीन का नि:शुल्क उपलब्ध होना काफी लाभदायक साबित होगा और यह वैक्सीन लगने के बाद यह बीमारी बच्चों के लिए जानलेवा नहीं रहेगी.

  • डेढ माह की उम्र में दिया जाता है पहला डोज

शिशुओं को न्युमोकोकल वैक्सीन के कुल तीन डोज दिये जाते है. जिसमें से पहला डोज डेढ माह की आयु में, दूसरा डोज साढे तीन माह की आयु में तथा तीसरा डोज नौ माह की आयु में लगाया जाता है. गुरूवार को इस वैक्सीन की खेप उपलब्ध हो जाने के बाद अब इसे सभी सरकारी अस्पतालों में पहुंचाया जायेगा. जहां पर डेढ माह की आयुवाले नवजात शिशुओं को इस वैक्सीन का पहला डोज लगाने की शुरूआत की जायेगी. एक अनुमान के मुताबिक इस वैक्सीन को नियमित टीकाकरण अभियान में शामिल किये जाने के चलते देश में सालाना 50 हजार मौतों को रोकने में सहायता मिलेगी.

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