33 अनुसूचित जनजाति को नहीं दिया जा रहा न्याय
विधायक रवि राणा ने राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को दिया निवेदन
अमरावती प्रतिनिधि/दि.५ – 33 अन्यायग्रस्त अनुसूचित जनजाति को न्याय देने के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही है. इसी के चलते आज विधायक रवि राणा के नेतृत्व में अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के सामने अन्यायग्रस्तों की व्यथा रखकर न्याय की गुहार लगाई.
बीते वर्ष में 33 अन्यायग्रस्त अनुसूचित जनजाति को न्याय देने की मांग को लेकर विधायक रवि राणा के नेतृत्व में कृति समिति के महासचिव उमेश महादेवराव ढोणे ने अमरावती के जिलाधिकारी शैलेश नवाल के माध्यम से राज्य के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को पत्र भेजा था. उस पत्र में विधायक रवि राणा ने आरोप लगाया है कि राज्य के कोली महादेव, हलबा, ठाकुर, धोबा, मल्लर कोली, टोकरे कोली, कोली ढोर, धनगड, कोलाम, हलबी, परधान, गोंड, वारली, छत्री, मन्हेवारलु समेत 33 अन्याय पीडित जनजातियों को संवैधानिक अधिकार व सहुलियतों से वंचित रखा जा रहा है. विभागीय जाति जांच समिति व पुणे के आदिवासी संशोधन प्रशिक्षण संस्था की ओर से इन जनजाति को लेकर किसी भी तरह का संशोधन उपलब्ध नहीं होने से सैकडों आदिवासियों के जनजाति प्रमाणपत्र अवैध ठहराए जा रहे हैं. इस जनजाति के बारे में महत्वपूर्ण संशोधन, निजामकालीन, ब्रिटिशकालीन दस्तावेज, राजपत्र समेत अधिकृत सबूत शासन के संबंधित विभाग को पेश किये गये है तथा स्मरणपत्र देने के बावजूद भी संबंधित विभाग की ओर से घोर लापरवाही की जा रहा है. इतना ही नहीं तो संशोधन का उपयोग कर उक्त अनुसूचित जनजाति को न्याय देने की मांग राज्यपाल के माध्यम से की जाएगी तथा राज्यपाल ने उनके स्तर पर शासन को निर्देशित करने की मांग जिलाधीश के माध्यम से कृति समिति ने की है. इन सभी बातों का स्मरण कराने हेतु आज अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधमंडल विधायक रवि राणा के नेतृत्व में राज्यपाल से मिला और अन्यायग्रस्तों को न्याय देने की मांग की.
इस समय विधायक रवि राणा सहित उमेश ढोणे, प्रा.बी.के.हेडाउ, डॉ.महेंद्र काले, विलास सोनकुसरेे, डॉ.दिपक केदार, पुरुषोत्तम खर्चान, संतोष कोलटके, गोपाल ढोणे, शिवानंद सहारकर, रघुनाथ खडसे, राजेंद्र खैरनार, वंदना जामनेकर, जयंता देशमुख, सुधीर खैरनार, शालिकराव दहातोंडे, राजेंद्र जुआर, सुधाकर घुगरे, अरुणा चचाणे, गजानन सूर्यवंशी, एड.अनिल ढोले, शंकर डोंगरे, माणिकराव नेमाडे, शुभम उंबरकर, पंकज राणेकर, मिलिंद अवघड, अर्चना तालन, शालिनी नेवारे, बालाजी शिंदे आदि उपस्थित थे.