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ओबीसी आरक्षण के बिना हो सकते हैं 367 निकायों के चुनाव

सुप्रीम कोर्ट ने दिया ‘स्टेटस्-को

पांच सप्ताह बाद होगी अगली सुनवाई
विशेष खंडपीठ का किया जायेगा गठन
नई दिल्ली-/दि.22 ओबीसी संवर्ग के राजनीतिक आरक्षण के लिए बांठिया आयोग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में पेश करने के बाद ओबीसी संवर्ग का राजनीतिक आरक्षण पूर्ववत किया गया. किंतु बंठिया आयोग की रिपोर्ट में त्रुटी पाये जाने के चलते इस निर्णय को स्थगिती दी गई. साथ ही इससे पहले ही चुनाव घोषित हो चुके 367 स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव करवाने के निर्देश न्यायालय द्वारा दिये गये थे. ऐसे में ओबीसी आरक्षण के मामले को लेकर राज्य में संभ्रम पैदा हो गया था. वही अब सर्वोच्च न्यायालय ने अगले पांच सप्ताह तक स्थिति को ‘जैसे थे’ रखने का निर्देश दिया है. जिसके चलते अब राज्य की 367 स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव करवाये जाने का दृश्य दिखाई दे रहा है.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार ओबीसी आरक्षण को लेेकर सुनवाई करने हेतु विशेष खंडपीठ स्थापित की जायेगी, लेकिन तब तक यानी आगामी पांच माह तक राज्य में आरक्षण को लेकर फिलहाल जैसी स्थिति है, वही स्थिति कायम रखने की बात सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट की गई है. मुख्य न्यायमूर्ति एन. वी. रमना सहित न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की तीन सदस्यीय खंडपीठ में महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उपरोक्त निर्देश दिये है. अपनी याचिका में शिंदे सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 20 व 28 जुलाई को दिये गये फैसले वापिस लेने का निवेदन किया था. किंतु अदालत ने अपने फैसले को वापिस लेने से इन्कार करते हुए स्थिति को अगले पांच सप्ताह तक ‘जैसे थे’ रखने का फैसला सुनाया. साथ ही कहा कि, विगत 20 जुलाई को अदालत ने ओबीसी आरक्षण को मान्यता देने के साथ ही स्पष्ट किया था कि, इससे पहले जिन 367 स्थानीय स्वायत्त निकायों में चुनाव की घोषणा हो चुकी है, वहां पर ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं किया जा सकता.

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