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धुले में 38 फीसद महिलाएं नशाखोर

राष्ट्रीय परिवार कल्याण विभाग की रिपोर्ट

* गडचिरोली में पुरुष पीने में आगे
नागपुर/दि.22 – शराब के सेवन से नाना प्रकार की सामाजिक समस्याएं पैदा होती है. अनेक परिवार शराब के कारण उध्वस्त हो गये. मगर मद्यविक्री से होने वाली राजस्व कमाई के कारण राज्य और केंद्र सरकार शराब विक्री को प्रोत्साहन देती नजर आ रही है. गत 3 वर्षों में महाराष्ट्र में मद्य प्रशान करने वालों की संख्या दोगुणी हो गई है. धुलिया में सर्वाधिक 38 प्रतिशत महिलाएं शराब का सेवन करने की धक्कादायक जानकारी राष्ट्रीय परिवार कल्याण विभाग की रिपोर्ट में उजागर हुई है. पुरुषों में गडचिरोली जिला 34.7 प्रतिशत के साथ राज्य में इस बात में आगे बताया जा रहा. हालांकि प्रदेश में ओवर ऑल महिलाओं का मद्य व्यसन का प्रमाण केवल 0.4 प्रतिशत है. वहीं 13.9 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन कर रहे है.
* भंडारा, वर्धा और गोंदिया में भी नशाखोरी
पुरुषों के शराब के नशे में गडचिरोली के बाद विदर्भ के भंडारा, वर्धा और गोंदिया क्रमश: 26, 24 और 22 प्रतिशत के साथ पुरुष नशाखोरी में आगे है. महात्मा गांधी की कर्मभूमि के रुप में जाने जाते वर्धा और गडचिरोली में प्रोहिबिशन के बावजूद शराबखोरी का प्रमाण बढता नजर आ रहा है. कम से कम राष्ट्रीय परिवार कल्याण की रिपोर्ट तो यहीं कह रही है.
* शहरों में लडकियां हो रही आदी
राज्य मेें 16 से 35 वर्ष आयु वर्ग के युवकों में शराब पीने का प्रमाण सर्वाधिक होने की जानकारी अहवाल में दी गई है. यह भी बताया गया कि, शराब और हुक्का का सेवन करने में लडकियां भी कम नहीं. गांवों की तुलना में शहरी लडकियों में शराब का व्यसन अधिक है.
* शराब विक्री, पुलिस की हफ्ताखोरी
अनेक शहरों में देशी दारु की दुकानों के साथ-साथ वाईन शॉप बियर बार है. गलीकूचो में भी शराब आसानी से उपलब्ध हो रही है. गांव देहातों में मोहाफुल की शराब मिलती है. अवैध शराब विक्रेताओं की भरमार है. इसके पीछे पुलिस की हफ्ताखोरी बताया जाता है. हाईवे पर ढाबे और होटलों में धडल्ले से शराब परोसी जाती है. इसके लिए पुलिस अलग से रकम देने का आरोप लगता रहता है.

* सामाजिक संस्था और संगठन से समन्वय पर सरकार द्बारा सकारात्मक प्रयत्न आवश्यक है. राज्य उत्पादन शुल्क विभाग को शराब विक्री का टारगेट नहीं दिया जाना चाहिए. शराब विक्री और खपत पर सरकार का नियंत्रण जरुरी है. प्रत्येक तहसील में 2 व्यसन मुक्ति केंद्र होने चाहिए. गलीकूचो की अवैध दुकानों पर प्रतिबंध लगना चाहिए. जहां महिलाओं ने शराब बंदी की मांग की है, वहां दारु बंदी अवश्य होनी चाहिए.
– पारोमिता गोस्वामी, सामाजिक कार्यकर्ता.

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