सालभर में 41 कामगारों की ऑन ड्युटी मौत
विद्युत कंपनी के 32 हजार कंत्राटी कामगार हासिए पर
अमरावती/प्रतिनिधि दि.10 – विद्युत कंपनी का समूचा कामकाज संभालने वाले कंत्राटी विद्युत कामगारों को फिलहाल हासिए पर छोडा गया है. बिजली में निर्माण हुआ बिगाड सुधारने में आघाडी पर तथा बिजली बिल की वसूली कर देने में आगे रहने वाले इन कामगारों की समस्याएं ना ही विद्युत कंपनी हल करती है और ना ही सरकार, इस ओर ध्यान दे रही है. वेतन के लिए इन कामगारों को दो-दो महिने राह देखनी पडती है. ऊर्जा मंत्रालय व विद्युत कंपनी की नीति के चलते यह कर्मचारी संकट घिर गया है. इस तरह के आरोप हमेशा होते है.
महावितरण, महापारेषण व महानिर्मिति इन तीनों विद्युत कंपनी की रिक्त सीटों पर पिछले 15 से 20 साल से कंत्राटी कामगार काम कर रहे है. एक ओर नौकरी कायम रहने की खात्री नहीं वहीं दूसरी ओर जान जोखिम में डालकर काम करना पडता है. पिछले सालभर मेें कोरोना काल में इन कामगारों ने बिजली के संदर्भ की समस्याएं दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. विद्युत कंपनी के कायम कर्मचारियों की बराबरी से काम किया. राज्य को अखंडित विद्युत आपूर्ति करते समय 41 कामगारों की विविध कारणों से मौत हुई. विद्युत कंपनी ने पिछले कुछ महिने में बकाया बिल की वसूली के लिए धडक मुहिम अमल में लायी. इस काम के लिए भी कंत्राटी कामगारों की मदत ली गई. बिजली बिल के लिए करोडों रुपये का राजस्व जमा किया. इसमें कंत्राटी कामगारों का बडा हिस्सा रहा. ऐसा रहते हुए भी उनकी समस्याएं प्रलंबित रखी जाती है. प्रमुखता से अनियमित हो रहे वेतन के समस्या की ओर दुर्लक्ष किया जाता है. एक तो पहले ही कम वेतन और उसमें आयी हुई अनियमिता ने उनकी आर्थिक समस्याएं बढा दी है.
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कर्मचारियों को रुलाया जा रहा है
विद्युत कंंपनी को कामगार सप्लाई करने वाले ठेकेदारों की मनमानी के लिए उनकी सुविधा की बैंकों में खाता खोलने की सख्ती की जाती है. तय किया गया वेतन भी कर्मचारियों को नहीं मिलता. कर्मचारियों पर दूर कही तो भी तबादला कर उन्हें त्रस्त किया जाता है. दिवंगत हुए 41 कर्मचारियों के परिजनों को काफी कम मदत दी गई. सरकार के कामों के लिए लढने वाले इन कर्मचारियों को रुलाया जाता है.
कंत्राटी कर्मचारियों की प्रलंबित समस्याओं पर विविध आंदोलन किये गए. किंतु ऊर्जा मंत्रालय व विद्युत कंपनी ने दुर्लक्ष किया. अब 11 मई को महाराष्ट्र शासन व विद्युत कंपनी प्रशासन के निषेधार्थ काली फिते लगाकर काम करेगी. इस माध्यम से मुख्यमंत्री, उर्जामंत्री प्रधान सचिव आदि का ध्यान खिंचने का प्रयास है. सरकार ने संगठन के साथ चर्चा करनी चाहिए यह अपेक्षा है.
– निलेश खरात, प्रदेशाध्यक्ष
महाराष्ट्र विज कंत्राटी कामगार संघ.