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अचलपुर पालिका में 47 करोड 48 लाख की निधि का दुुरुपयोग

मंजूर योजनाओं की बजाय अन्य कामों में प्रयोग की गई राशि

  • रमाई आवाज व दलित बस्ती योजना का समावेश

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२२ – जिले की अचलपुर नगर पालिका में वर्ष 2010 से 2019 की कालावधि के दौरान करीब 47 करोड 48 लाख 11 हजार रुपए का सरकारी अनुदान अन्य कामों के लिए करने की सनसनीखेज जानकारी सामने आयी है. जिसके तहत इस सरकारी निधि का उपयोग मंजूर योजना की बजाय अपने मन से अन्य कामों के लिए किया गया है. जिसमें रमाई आवास व दलित बस्ती योजना जैसी योजनाओं की निधि का समावेश है.
वस्तुत: यह स्थिति राज्य की 227 नगर परिषदों, 24 महानगरपालिकाओं व 139 नगर पंचायतों ऐसे कुल 390 स्थानिय स्वायत संस्थाओं में है. यहा पर करीब 4 हजार करोड रुपयों की सरकारी निधि को अपनी मर्जी के हिसाब से अन्यत्र प्रयोग में लाया गया है और ऐसा करने की वजह से विशेष घटक में शामिल लोग विकास से वंचित है.
ज्ञात रहे कि, राज्य के नगर विकास विभाग द्बारा 27 मई 2016 को जारी परिपत्रक के अनुसार विविध योजना के तहत मंजूर निधि और उसके ब्याज को अन्यत्र प्रयोग में लाये जाने पर प्रतिबंध है. लेकिन स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के प्रशासकीय प्रमुखों के मनमाने कामकाज की वजह से योजनाओं की निधि को बडे धडल्ले के साथ अन्य कामों में प्रयुक्त किया जाता है. ऐसी शिकायत अचलपुर निवासी किशोर मोहोड द्बारा राज्य मानवी आयोग से की गई है. जिसमें कहा गया है कि, सरकारी अनुदान जिस काम के लिए मंजूर किया जाता है, उस निधि को उसी काम के लिए प्रयोग में लाया जाना आवश्यक व अनिवार्य है. किंतु स्थानिय निधि लेखा विभाग की सहायता से घोषित होगी, ऐसा लेखा आक्षेप लेखा परिक्षक द्बारा दर्ज नहीं किया जाता. जिसकी वजह से स्थानीय स्वराज्य संस्था की निधि में होने वाली इस हेराफेरी के लिए प्रशासकीय प्रमुख सहित लेखा प्रमुख भी समान रुप से जिम्मेदार है.

  • स्थानीय निधि लेखा परिक्षक की भूमि का संदेहास्पद

स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं में विभिन्न योजनाओं पर खर्च होने वाली सरकारी निधि का प्रतिवर्ष लेखा परिक्षण किया जाता है. लेकिन बावजूद इसके सरकारी निधि व उसके ब्याज को अन्यत्र वर्ग किये जाने की बात एक भी स्थानीय निधि लेखा विभाग के लेखा परिक्षक को दिखाई नहीं देती. यह बात अपने आपमें बेहद संदेहास्पद है. इन दिनों को स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के ऑडिट मानो लेखा परिक्षण के लिए उत्सव का ही रुप दिखाई देता है.

  • इन योजनाओं की निधि हुई इधर से उधर

आयएचएसडीपी, रास्ते विकास निधि, आययूडीपी, यूआईडीएसएसएमटी, बीआरजीएफ, 12 वां वित्त आयोग, 13 वां वित्त आयोग, 14 वां वित्त आयोग, दलित बस्ती, तिर्थ क्षेत्र विकास निधि, महानगरोत्थान, वैशिष्टपूर्ण, रमाई आवास योजना, विशेष निधि, अग्निसुरक्षा निधि, सुवर्ण जयंती नगरोत्थान, अमृत योजना इन योजनाओं की निधि को अन्यत्र वर्ग करते हुए अपने मनमर्जी के हिसाब से काम में लाया गया है.
केंद्र व राज्य सरकार की विविध योजनाओं के लिये आयी निधि का उसी प्रयोजन में खर्च करना अपेक्षित होता है. किंतु यदि कोई आकस्मिक मसला उपस्थित होता है, तो सरकारी की मान्यता हेतु उस निधि अथवा उसके ब्याज को किसी अन्य योजना में खर्च किया जा सकता है. कुछ दिनों पूर्व स्थानीय निधि लेखा विभाग की टीम यहा आकर गई है और लेखा परिक्षण हो चुका है. वैसे भी निधि को अन्यत्र प्रयोग में लाने का कार्य मेरे कार्यकाल में नहीं हुआ है.
– राजेंद्र फातले,
मुख्याधिकारी, अचलपुर

सरकारी अनुदानित निधि का स्थायी तौर पर दुरुपयोग किये जाने के मामले में किये जाने के मामले मेें प्रशासकीय प्रमुखों पर भारतीय फौजदारी दंड संहिता की धारा 197, 198 व 409 के तहत अपराध दर्ज करने की मांग की गई है. साथ ही इस संदर्भ में राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी व सीएम उद्धव ठाकरे को निवेदन भेजा गया है.
– किशोर मोहोड,
अचलपुर

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