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दो साल में 500 मर्डर, सैकडों हाफ मर्डर

विदर्भ में संगठित अपराधियों ने खेला खुनी खेल

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२५ – संगठित गिरोह उनके बीच वर्चस्व को लेकर चलनेवाले खुनी संघर्ष तथा गांवगुंडों के बीच होनेवाली आपसी लडाईयों की वजह से विदर्भ क्षेत्र में विगत दो-चार वर्षों के दौरान अपराधों का ग्राफ लगातार बढ रहा है. साथ ही आये दिन रक्तरंजीत वारदाते घटित हो रही है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, किसी समय संगठित अपराधियों की टोलियां चाकू-छूरी व तलवार-गुप्ती जैसे हथियारों से लैस हुआ करती थी. वहीं अब अपराधियों के पास बंदूक व कट्टे जैसे हथियार रहते है. जिनके जरिये अपने दुश्मनोें और विरोधियों को रास्ते से हटाया जाता है. विगत दो वर्षों के दौरान विदर्भ क्षेत्र में 500 से अधिक मर्डर एवं सैकडों हाफ मर्डर के अपराध घटित हुए है. इस समय राज्य पुलिस दल में महासंचालक के तौर पर नियुक्त हेमंत नगराले ने अपना पदभार संभालते ही हिस्ट्रीशिटरों, गांवगुंडों तथा संगठित गिरोह का बंदोबस्त करने का फर्मान जारी किया. नगराले मूलत: विदर्भ क्षेत्र के निवासी है. ऐसे में बेहद स्वाभाविक है कि, वे विदर्भ क्षेत्र की ओर विशेष ध्यान देंगे. इसी बात के मद्देनजर विगत दो वर्षों के दौरान विदर्भ क्षेत्र में घटित कुछ सनसनीखेज घटनाओं पर नजर डालना बेहद जरूरी है.

  • अमरावती – गुंडों ने दो गुंडों को उतारा मौत के घाट

अचलपुर शहर में 3 दिसंबर 2020 को सागर सोनोने व सचिन भामोरे ने गोलु उर्फ शेख रफीक शेख युसुफ (22) का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी थी. साथ ही शव को जलाते हुए शरीर के अवयवों को नदी में फेंक दिया था. इस मामले में दोनोें आरोपी और मृतक पेशेवर अपराधी थे. ठीक इसी तरह 9 अगस्त 2020 को तिवसा शहर में अजय दलाल (26) नामक युवक को उसके घर में उसके माता-पिता के सामने चांदूर रेल्वे निवासी अतुल सिंघल (33) व उसके दस साथियों ने मौत के घाट उतार दिया था. अतुल सिंघल और अजय दलाल के बीच अवैध शराब व्यवसाय की प्रतिस्पर्धा को लेकर दुश्मनी चली आ रही थी. जिसकी वजह से यह हत्याकांड घटित हुआ.

  • नागपुर- हत्या और बदले की घटना से थर्राया शहर

उपराजधानी नागपुर शहर में बीते 23 दिनों के दौरान हत्या की सात वारदातें घटित हुई. जिसमें कई पेशेवर अपराधियों को भी मौत के घाट उतारा गया. उपराजधानी में विगत दो वर्षों के दौरान हत्या की 178 वारदातें हुई. जिसमें से वर्ष 2019 में 90 तथा वर्ष 2020 में 88 हत्याएं हुई. जिसमें 16 जून 2019 को कुख्यात विजय मोहोड को उसके प्रतिस्पर्धी गुट द्वारा अपहरण करने के बाद मौत के घाट उतार दिया गया था. इसी तरह नवंबर 2020 में भी दो लोगों की हत्या की गई थी. जिसमें से चेतन हजारे हत्याकांड का वीडियो चहुंओर जमकर वायरल हुआ था. नागपुर पुलिस ने करीब 4 हजार हत्यारोपियों की जानकारी हासिल करनी शुरू की है. साथ ही हत्या के बाद जमानत मिलने अथवा दोषमुक्त होने के बाद छूटनेवाले आरोपियों की पुलिस थानों में रोजाना हाजरी ली जा रही है.

  • यवतमाल- चार वर्ष में 15 गुंडों की हत्या

यहां के भाजीबाजार में हफ्ता वसूली तथा अवैध साहूकारी व्यवसाय के चलते होनेवाले झगडों की वजह से यवतमाल में दिनदहाडे सरेआम प्राणघातक हमलों की घटनाएं घटित हो रही है और ऐसी ही घटनाओं में विगत चार वर्षों के दौरान 15 गुंडे आपसी रंजीश के तहत मारे गये. यवतमाल में अक्सर ही अपराधिक प्रवृत्तिवाले दो-चार यार-दोस्त एकसाथ आकर शहर में अपना दबदबा बनाने का प्रयास करते है. साथ ही अल्पवयीन बच्चोें को अपने जाल में फांसते हुए अपराधिक गिरोहोें द्वारा उनसे अपराध करवाये जाते है. इसके अलावा अवैध साहूकारी प्रोटेक्शन मनी के नाम पर बाजार से हफ्ता वसूली का काम भी किया जाता है. जिसकी वजह से यहां पर आये दिन खुनी रंजीशे घटित होती है.

  • चंद्रपुर – शराब तस्करोें ने दो पुलिसवालों को उडाया

चंद्रपुर में वर्ष 2019 के दौरान 33 मर्डर व 31 हाफ मर्डर हुए थे तथा वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण व लॉकडाउनवाले हालात के बावजूद 54 मर्डर व 42 हाफ मर्डर की घटनाएं घटित हुई. बल्लारपुर में संगठित अपराधियों द्वारा भरे चौक में गोली चलाकर सूरज बहुरिया की हत्या की गई थी. वहीं चंद्रपुर में हनी ट्रैप की वजह से मनोज अधिकारी हत्याकांड घटित हुआ. इसी तरह शराब बंदी लागू होने के बाद शराब तस्करी रोकनेवाले पुलिस कर्मियों पर हमलों की वारदातें भी बढी. नागभीड में दो वर्ष पुर्व शराब तस्करों ने प्रभारी थानेदार की अपने वाहन से कुचलकर हत्या की थी. इसी तरह वरोरा पुलिस थाना क्षेत्र में भी एक पुलिस सिपाही को शराब विक्रेताओं के वाहन ने उडा दिया था.

  • गोंदिया – दो वर्ष में 70 मर्डर

गोंदिया में विगत दो वर्षों के दौरान अपराध जगत पर वर्चस्व की लडाई और आपसी दुश्मनी के चलते 70 लोगों को मौत के घाट उतारा गया. वहीं 32 लोगोें को जान से मारने का प्रयास किया गया. हत्या की अधिकांश वारदातों में देसी कट्टों का प्रयोग किया जाता है. इन दिनोें जिले में रेती माफीया से जुडे लोगोें के बीच बडे पैमाने पर गैंगवॉर होता है. साथ ही गावरानी शराब, गांजा, जुआ और विदेशी मादक पदार्थों का व्यवसाय करनेवाले कई गांवगुंडे अब शहर पर अपना वर्चस्व चाहते है. ऐसे करीब 18 अपराधियों को यहां से तडीपार किया गया है.

  • वर्धा – गांधी जिला भी अपराधों से अछूता नहीं

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभुमि रहनेवाला वर्धा जिला भी इन दिनों अपराधों के मकडजाल में फंसा हुआ है. यहां पर विगत दो वर्षों के दौरान संगठित अपराधिक गिरोहों के संघर्ष में 59 लोगों की हत्या हुई. वहीं 70 लोगों को जान से मारने का प्रयास किया गया. यह वर्ष 2019 में 35 तथा 2020 में 34 लोगोें को वर्चस्व की लडाई के तहत मौत के घाट उतारा गया.

  • जिसके पास बंदूक, उस टोली का वर्चस्व

इन दिनों अपराधिक गिरोहोें में बडे पैमाने पर कट्टे पाये जाने लगे है. जिस गिरोह के पास कट्टे और बंदूक होंगे, उसी गिरोह का दबदबा और वर्चस्व रहेगा. ऐसी स्थिति फिलहाल दिखाई दे रही है. हालांकि पुलिस द्वारा ऐसे गिरोहोें व अपराधियों के पास रहनेवाले देशी-विदेशी हथियारों को बरामद करने की कार्रवाई की जाती है. लेकिन अब भी पुलिस द्वारा तमाम हथियार बरामद नहीें किये जा सके है.

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