अमरावती/प्रतिनिधि दि.७ – किसी भी तरह के हालात के साथ तारतम्य स्थापित करते हुए जिंदा रहने में महारत हासिल रखनेवाले बिल्ली की प्रजाति के सबसे फुर्तीले वन्यप्राणी के तौर पर महारत हासिल रखनेवाले तेंदुए का इस समय qजदा रहने के लिए और अपना अस्तित्व बचाये रखने के लिए जबर्दस्त संघर्ष शुरू है. राज्य ने बीते नौ वर्षों के दौरान ६४८ तेंदुओं को खो दिया है. वहीं विगत पांच वर्षों से तेंदुओं की मौतों का प्रमाण बढ गया है. बता दें कि, राज्य में अमरावती सहित नासिक, अहमदनगर, पुणे, ठाणे, धुलिया, नंदूरबार व नागपुर जैसे जिलों में तेंदुओं की संख्या अच्छीखासी है और इन दिनों जंगल परिसर कम हो जाने की वजह से तेंदुओं ने गन्ने व म्नके के खेतों में आसरा लेना शुरू किया है. भारतीय वन्यजीव अधिनियम की संरक्षित अधिसूची-१ में तेंदुए को भी शामिल किया गया है, लेकिन इसके बावजूद तेंदुए का बडे पैमाने पर शिकार किया जाता है. वन्यजीव विभाग के पास बिजली के तार, विष प्रयोग, ट्रैप तथा बंदूक से तेंदुए का शिकार किये जाने की शिकायते दर्ज है. बीते नौ वर्ष के दौरान ८३ तेंदुओं का शिकार किया गया.
२२१ तेंदुए हुए ‘रोडकिल‘ का शिकार
इन दिनों रोडकिल की समस्या भी दिनोंदिन इंसानों सहित वन्यप्राणियों के लिए घातक बनती जा रही है. पता चला है कि, राज्य में विगत नौ वर्षों के दौरान १२१ तेंदुओं की विभिन्न सडक हादसों में मौत हुई है.
९२ शावकों की जान गयी
राज्य में वर्ष २०११ से वर्ष २०१९ के अंततक कुल ६४८ तेंदुओं की मौत हुई. जिनमें ९२ शावकों का भी समावेश था. इसमें से ५५ शावकों की मौत प्राकृतिक तौर पर हुई. वहीं ३७ शावक हादसों का शिकार हुए.
किस वर्ष कितनी मौतें
वर्ष मौतें
2011 70
2012 68
2013 43
2014 65
2015 66
2016 80
2017 86
2018 88
2019 73