शहर के 68 अस्पतालों के पास ‘फायर एनओसी’ नहीं
आयुक्त ने जारी किये ‘फायर ऑडिट’ के आदेश
अमरावती प्रतिनिधि/दि.१९ – विगत दिनों भंडारा में घटित अग्निकांड के बाद सभी अस्पतालों के फायर ऑडिट का मसला जमकर चर्चा में चल रहा है. पता चला है कि, अमरावती मनपा क्षेत्र में कुल 210 अस्पताल पंजीकृत है. जिसमें से 142 अस्पतालों ने फायर ऑडिटकरते हुए एनओसी प्राप्त की है. वहीं 68 अस्पतालों की अब तक नींद नहीं खुली है. ऐसे में इन अस्पतालों के खिलाफ मनपा के अग्निशमन विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है, यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है.
उल्लेखनीय है कि, मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे ने यह विषय बेहद गंभीरतापूर्वक लेने के संदर्भ में अग्निशमन विभाग को एक पत्र जारी किया है. साथ ही सरकार ने भी इस विषय को लेकर एक रिपोर्ट मंगवायी है. किंतु बावजुद इसके इस संदर्भ में किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किये जाने के चलते कई अस्पतालों द्वारा उसे कोई प्रतिसाद नहीं दिया जा रहा. जबकि हकीकत में मुंबई नर्सिंग एक्ट 1949 तथा 2006 के तहत मनपा क्षेत्र में रहनेवाले अस्पतालों, प्रसूति गृहों एवं नर्सिंग होम को प्रत्येक तीन वर्ष में स्वास्थ्य विभाग के पास पंजीयन करना अनिवार्य व आवश्यक है. साथ ही राज्य में आग प्रतिबंधक व जीव संरक्षक उपाय योजना अधिनियम 2006 भी लागु किया गया है. इससे पहले जिले में घटित छोटी-मोटी घटनाओें सहित भंडारा एवं इससे भी पहले सूरत व कोलकाता में घटित घटनाओं ने इस विषय को लेकर गंभीरता बढा दी है.
नियमानुसार मनपा क्षेत्र में अस्पताल का निर्माण करते समय अग्निशमन विभाग की एनओसी अनिवार्य होती है. जिसके लिए आवश्यक उपकरण व उपाय योजनाओं के बारे में आवश्यक मापदंड सुझाये जाते है. इसके बाद ही नगर रचना विभाग की ओर से प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है. अस्पताल शुरू करने के बाद एक साल में दो बार अग्निशमन विभाग की अनुमति लेनी पडती है और मान्यता प्राप्त एजेंसी के जरिये फायर ऑडिट करवाने के बाद ही मनपा के अग्निशमन विभाग द्वारा एनओसी प्रदान की जाती है. इस आशय की जानकारी अग्निशमन विभाग के अधिक्षक अजय पंधरे द्वारा दी गई है.
मनपा क्षेत्र में पंजीकृत रहनेवाले कुल 210 में से 162 अस्पतालों द्वारा अग्निशमन विभाग की एनओसी प्राप्त की गई है. वहीं शेष अस्पतालों को नोटीस जारी की जा रही है.
– सुरेश पाटील
उपायुक्त, मनपा
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एक वर्ष पूर्व जिला स्त्री अस्पताल में हुई थी गंभीर घटना
यहां यह याद दिलाया जा सकता है कि, मनपा क्षेत्र अंतर्गत एक वर्ष 22 अप्रैल 2019 को पूर्व जिला स्त्री अस्पताल के एसएनसीयू विभाग में शॉर्टसर्किट की वजह से आग लगी थी. उस वक्त यहां पर 22 नवजात बच्चे भरती रखे गये थे. जिसमें से एक बच्चे की इस दुर्भाग्यजनक घटना में मौत हुई थी. पश्चात इस मामले की सघनता के साथ जांच की गई. किंतु बावजूद इसके इस अस्पताल द्वारा ऐसी घटनाओं को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गयी. भंडारावाली घटना से भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने कोई सबक नहीं लिया. यहीं वजह रही कि, भंडारावाली घटना के बाद भी जिला स्त्री अस्पताल एवं जिला सामान्य अस्पताल में कालबाह्य अग्निशमन यंत्र लगे दिखाई दिये. जिसके बारे में खबरेें प्रकाशित होते ही अस्पताल प्रबंधन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा लीपापोती का प्रयास किया गया.
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सरकारी अस्पतालों में भी नियमों की अनदेखी
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, मनपा में सरकारी अस्पतालों का भी पंजीयन करना अनिवार्य रहता है और इन अस्पतालों में भी फायर ऑडिट करना अनिवार्य होता है. किंतु जानकारी के मुताबिक जिला सामान्य अस्पताल एवं जिला स्त्री अस्पताल में फायर ऑडिट की जबर्दस्त ढंग से अनदेखी की गई है.