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45 घंटे के बाद और 7 शव हुए बरामद

11 में से 10 लोगों के शव मिल चुके, 1 शव की अब भी तलाश जारी

अमरावती/दि.16 – दो दिन पूर्व जिले की वरूड तहसील अंतर्गत श्री क्षेत्र झूंज से होकर बहनेवाली वर्धा नदी की बीच मझधार में नाव उलट जाने की वजह से नाव में सवार 11 लोग नदी में डूब गये थे. जिनमें से 3 लोगों के शव हादसे के तुरंत बाद बरामद हो गये. वहीं अन्य 8 लोगों का कहीं कोई पता नहीं चल पाया था. जिनकी सरगर्मी से तलाश की जा रही थी. पश्चात गत रोज पूरा दिन खोज अभियान चलाने के बावजूद कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी और आज गुरूवार 16 सितंबर की सुबह एक बार फिर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने पर घटना के करीब 45 घंटे बाद हादसे का शिकार हुए अन्य सात लोगों के शव बरामद हुए. ऐसे में अब तक कुल 10 लोगों के शव नदी से बाहर निकाले जा चुके है तथा एक अन्य के शव की तलाश जारी है.
बता दें कि, विगत 14 सितंबर की सुबह कुल 13 लोग एक नाव में सवार होकर नदी में जलविहार करने उतरे थे. किंतु 11.45 बजे के आसपास नदी के बीच जाकर नाव उलट गयी. जिसकी वजह से सभी लोग पानी में डूबने लगे. इस समय नाव में सवार श्याम मनोहर मटरे (25) और राजकुमार रामदास उईके (45) ने जैसे-तैसे तैरकर खुद को बचाया और वे सकुशल किनारे पर आ गये. वहीं हादसे के कुछ समय पश्चात नारायण मटरे (45, गाडेगांव), किरण विजय खंडाले (28, लोणी) तथा वंशिका प्रदीप शिवणकर (2, तिवसाघाट) के शव नदी से बरामद हुए थे. इसके अलावा अन्य 9 लोगों का अगले 45 घंटों तक कहीं कोई अता-पता नहीं चल पाया था. जबकि पूरा समय एनडीआरएफ, एसडीआरएफ तथा जिला आपदा व्यवस्थापन के पथक लगातार दो से तीन किमी के दायरे में नदी का कोना-कोना छान रहे थे. लेकिन बुधवार 15 जून को पूरा दिन प्रयास करने के बावजूद किसी का पता नहीं चल पाया. वहीं गुरूवार की सुबह से एक बार फिर शुरू किये गये खोज अभियान के दौरान एक-एक कर 7 लोगों के शव बरामद हुए. जिनमें से एक को छोडकर शेष 6 शवों की शिनाख्त कर ली गई है. इनमें निशा नारायण मटरे (22), पीयूष तुलसीदास मटरे (8), अतूल गणेश वाघमारे (25), वृषाली अतुल वाघमारे (20), अश्विनी अमर खंडाले (21), रूपाली वाघमारे (19) के शवों का समावेश रहा. वहीं एक अन्य की तलाश अब भी जारी है.
बता दें कि, वरूड तहसील अंतर्गत गाडेगांव निवासी गाडेगांव निवासी गणेश मटरे के परिवार में विगत दिनों रवि मटरे की मृत्यु हुई थी. जिसकी दशक्रिया विधि पूर्ण करने के बाद मंगलवार की सुबह मटरे परिवार के लोग अपने रिश्तेदारों के साथ श्री क्षेत्र झूंज पहुंचे और सभी नाव में सवार होकर नदी पार करते हुए महादेव दर्शन के लिए जा रहे थे, तभी यह हादसा घटित हो गया. जानकारी के मुताबिक इस नाव में अधिकतम पांच लोगों को ही बिठाने की क्षमता थी. किंतु इसमें कुल 13 लोग सवार हुए और नदी के पानी में उतरे, लेकिन अत्याधिक वजन और पानी के तेज बहाव की वजह से नदी की मझधार में पहुंचकर नाव उलट गई और नाव में सवार सभी लोग पानी में डूबने लगे. जिसमें से दो लोगों ने जैसे-तैसे तैरकर अपनी जान बचायी. वहीं अन्य सभी की पानी में डूब जाने की वजह से मौत हो गई. जिनमें से 10 लोगों की लाशें बरामद हो गई है तथा एक व्यक्ति के शव की तलाश अब भी जारी है.

पांच वर्षीय माही की वजह से बची मटरे परिवार के तीन लोगों की जान

– ऐन समय पर माही के पांव में चुभ गया था कांटा
इस हादसे को लेकर मिली जानकारी के मुताबिक मटरे परिवार की सदस्य रहनेवाली पांच वर्षीय माही के पांव में कांटा चुभ जाने की वजह से ऐन समय पर माही सहित तुलसीदास मटरे व प्रदीप शिवणकर उस नाव में नहीं बैठ पाये थे. जिसकी वजह से वे इस हादसे का शिकार होने से बच गये, लेकिन उनकी आंखों के सामने ही यह हादसा घटित हुआ और वे किनारे पर खडे रहकर अपने परिवार को नदी में डूबते देखने की असहनीय पीडा से होकर गुजरे.

बेटी की वजह से पिता की जान बची, पर बेटा जाता रहा

इस पूरे दर्दनाक हादसे को याद करते हुए तुलसीदास मटरे की आंखे बार-बार नम हो रही है. उन्होंने बताया कि, घर में आयोजीत दशक्रिया का कार्यक्रम संपन्न होने के बाद घर में जमा सभी परिजन व रिश्तेदार अगले दिन मंगलवार की सुबह 10 बजे घुमने-फिरने के लिहाज से गाडेगांव के पास स्थित श्री क्षेत्र झूंज गये थे. इस समय कुल 19 लोग साथ थे और सभी ने झूंज स्थित महादेव मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की. जिसके बाद झरने का आनंद लेने हेतु वे सभी नदी किनारे पहुंचे. जहां पर शाम मटरे व राजकुमार उके ने नाव में बैठकर सभी को झरने के पास चलने हेतु कहा और कुल 16 लोग नाव में बैठने के लिए तैयार भी हो गये. लेकिन इसी समय पांच वर्षीय माही तुलसीदास मटरे के पांव में कांटा चुभ गया और वह रोने लगी. जिसकी वजह से माही के साथ तुलसीदास मटरे व तिवसाघाट निवासी प्रदीप शिवणकर नदी किनारे ही रूक गये और शेष 13 लोग नाव में बैठकर नदी में जलविहार का आनंद लेने के लिए आगे बढे, लेकिन यही उनका अंतिम सफर साबित हुआ, क्योंकि इसके थोडे ही देर बाद वह भयानक हादसा घटित हुआ. जिसके बाद नाव में सवार 13 में से 11 लोग नदी में डूब गये और दो लोगों ने जैसे-तैसे तैरकर अपनी जान बचायी. तुलसीदास मटरे के मुताबिक माही के पांव से कांटा निकालने के बाद वे उसे पानी पिलाने हेतु मंदिर के भीतर ले गये. इसी समय बाहर चीख-पुकार मच गई और जब वे दौडकर बाहर आये, तो उन्हें वह भयानक दृश्य दिखाई दिया, जब उनके परिवार के 11 लोग पानी में डूब रहे थे. उस वक्त वे नदी किनारे खडे रहकर हतबलता के साथ यह दृश्य देखने के अलावा कुछ नहीं कर पाये. विशेष यह है कि, इस हादसे में खुद तुलसीदास मटरे का 8 वर्षीय बेटा भी नदी में डूब गया. ऐसे में जहां एक बेटी की वजह से खुद तुलसीदास की जान बची, वहीं तुलसीदास मटरे ने अपने बेटे को अपनी आंखों के सामने नदी में डूबते देखा. जिसकी लाश आज बरामद हुई है.

बाल-बाल बचा सोनी परिवार

मटरे परिवार के साथ गये 19 लोगों में पाटला (मध्यप्रदेश) निवासी अखिलेश सोनी, मंजू सोनी व उनकी 6 माह की बच्ची भी थी. किंतु अखिलेश व मंजू ने पहले ही नाव में बैठकर नदी की सैर करने से मना किया और किनारे पर ही रहना पसंद किया. जिसकी वजह से वे सकुशल बच गये, किंतु वे भी इस दुर्भाग्यजनक घटक के प्रत्यक्षदर्शी बने.

रेस्क्यू टीम ने खंगाला दो किमी का परिसर

इस हादसे की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची एनडीआरएफ की टीम में टीम लीडर विपीन सिंह सहित 22 कर्मचारी व चार बोट, एसडीआरएफ की टीम में टीम लीडर मडावी सहित 27 कर्मचारी व दो बोट, जिला आपत्ति व्यवस्थापन पथक में टीम लीडर दीपक डोरस सहित 25 कर्मचारी व एक बोट का समावेश था. करीब 74 लोगों की इस रेस्क्यू टीम द्वारा विगत 48 घंटों के दौरान वर्धा नदी के जलपात्र में दो किमी के आसपास का परिसर खंगाला गया. जिसके बाद एक-एक कर शवों को बरामद किया गया.

नाव का अब तक नही चला पता

11 लोगों की जलसमाधि की वजह बनी नाव का इस हादसे के बाद अब तक कहीं कोई पता नहीं चल पाया है. रेस्क्यू टीम को अब तक यह नाव नहीं मिली है. ऐसे में रेस्क्यू टीम को अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि, यह हादसा निश्चित तौर पर क्यों, कैसे व कहां घटित हुआ.

ग्रामीणों ने दिखाई सहृदयता

इस हादसे की जानकारी मिलते ही घटना स्थल के आसपास झूंज गांववासियों की भारी-भरकम भीड जमा हो गई. हादसे के तुरंत बाद तीन शव तो बरामद हो गये थे, वहीं अन्य आठ लोगों की तलाश अगले कई घंटों तक लगातार चलती रही. ऐसे में तारासावंगा, गाडेगांव व तिवसाघाट के लोग भी अपने परिजनों के सकुशल मिलने की आस लेकर नदी किनारे डटे रहे. साथ ही यहां पर रेस्क्यू टीम के सदस्यों सहित प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी भी पूरा समय मौजूद थे. ऐसे में झूंज गांववासियों द्वारा हादसे का शिकार हुए लोगों के परिजनों तथा रेस्क्यू टीम के सदस्यों हेतु चाय-नाश्ते व भोजन-पानी का प्रबंध किया गया. साथ ही नदी किनारे रोते-बिलखते शोक संतप्त परिजनों को ढांढस बंधाने का काम भी झूंज गांववासियों द्वारा किया जा रहा था. साथ ही गांववासियों द्वारा इस परिसर में सुरक्षा के उपाय करने के साथ-साथ हादसे का शिकार हुए लोगों के परिजनों को आर्थिक सहायता दिये जाने की मांग की गई है.

रो-रोकर आंखे भी सूख गई

इस हादसे की सूचना मिलते ही हादसे का शिकार हुए लोगों के परिजनों की भीड नदी किनारे जुट गई थी. इस हादसे में किसी का भाई, किसी के पिता, किसी की मां, किसी की पत्नी, किसी की बहन और किसी की बेटी नदी में डूब गये थे. जिनमें से हादसेवाले दिन केवल तीन लोगों के ही शव बरामद हो पाये थे. वहीं अन्य आठ लोगों का अगले कई घंटों तक कोई अता-पता नहीं चल पाया था. ऐसे में हर कोई अपने-अपने परिजनों की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहा था और किसी अनिष्ट की आशंका से घबराकर जार-जार रोये जा रहा था, लेकिन कई घंटों तक लगातार रोते रहने की वजह से सभी लोगों की आंखों के आंसू भी सूख गये थे और वे आशाभरी निगाहों से वर्धा नदी की अताह जलराशि को देख रहे थे, ताकि उनके परिजनों के साथ कहीं कोई चमत्कार ही हो जाये.

नारायण मटरे का दुस्साहस और साहस

श्री क्षेत्र झूंज में वर्धा नदी का जलपात्र काफी विस्तीर्ण है और यहां पर तीन नदियों के पानी का संगम होता है. इस स्थान पर विठ्ठल नामक व्यक्ति मच्छीमारी का काम करता है और नारायण मटरे उनके यहां काम पर है. घटनावाले दिन अपने परिजनों को लेकर यहां पर घुमने-फिरने के लिए जब नारायण मटरे पहुंचा, तो नदी किनारे विठ्ठल की नाव खडी थी. जिसे देखकर विठ्ठल मटरे ने दुस्साहसी फैसला किया और अपने सभी परिजनों को नाव में बिठाकर नदी में घुमाने निकला. लेकिन ऐसा करना नारायण सहित नाव में सवार सभी लोगों के लिए बेहद भारी पडा. वहीं हादसे के बाद नारायण मटरे ने नदी में डूब रही दो वर्षीय बच्ची को बचाने का भरपूर प्रयास किया और बच्ची को एक हाथ में पकडकर दूसरे हाथ से तैरने का साहसपूर्ण प्रयत्न किया. किंतु वहां से किनारा काफी दूर था और पानी का बहाव काफी तेज था. जिसकी वजह से नारायण मटरे की सांस फुल गई और बुरी तरह थक जाने की वजह से वह आगे तैरने में नाकाम रहा. लेकिन उसने दो वर्षीय बच्ची को अपने हाथ से छूटने नहीं दिया. किंतु इस चक्कर में बच्ची सहित नारायण मटरे की भी पानी में डूब जाने की वजह से मौत हो गयी.

मृतकों के परिजनों को दी जाये 10-10 लाख की मदद

राज्य के पूर्व कृषि मंत्री तथा भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अनिल बोंडे ने इस हादसे को लेकर अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त करने के साथ ही उपजिलाधिश डॉ. नितीन व्यवहारे के जरिये सीएम उध्दव ठाकरे के नाम भेजे गये पत्र में मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रूपये की सहायता दिये जाने की मांग की है. इस पत्र में कहा गया है कि, वर्धा नदी में घटित हादसे का शिकार हुए सभी लोगों की आर्थिक स्थिति बेहद सामान्य है और मेहनत-मजदूरी करनेवाले इन लोगों के पास अपना खुद का घर भी नहीं है. साथ ही उन्हें अब तक सरकार की ओर से कोई मदद भी नहीं मिली है. अत: सरकार द्वारा जल्द से जल्द इस हादसे का शिकार हुए लोगोें के परिजनों को 10-10 लाख रूपये की मुआवजा राशि दी जाये. साथ ही डॉ. बोंडे ने इस बात को लेकर भी अफसोस जताया कि, इतने बडे हादसे पर राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे व जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर द्वारा अब तक अपनी संवेदनाएं व्यक्त नहीं की गई है. साथ ही जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने अब तक मृतकों के परिजनों से मुलाकात तक नहीं की.

राज्यमंत्री बच्चु कडू ने दी शोक संतप्त परिवारों को सांत्वना भेट

नदी में डूबे लोगों की खोजबीन हेतु चलाये जा रहे अभियान के बीच राज्यमंत्री बच्चु कडू सहित आर्वी के विधायक दादाराव केचे तथा पूर्व विधायक अमर काले ने श्री क्षेत्र झूंज आकर घटनास्थल को भेंट दी. साथ ही यहां पर चल रहे राहत व बचाव कार्य का जायजा लेते हुए मौके पर मौजूद शोक संतप्त परिजनों से भी मुलाकात की और सरकार की ओर से सहायता दिलाने हेतु हर संभव प्रयास करने की बात की. वहीं दोपहर 4.30 बजे के आसपास वर्धा की जिलाधिकारी प्रेरणा देशभ्रतार ने भी घटनास्थल का दौरा किया और तारासावंगा गांव जाकर मृतकों के परिजनों से मुलाकात की.

दुर्घटनाग्रस्तों के रिश्तेदारों को सीएम रिलीफ फंड से मदद मिले

– पालकमंत्री एड.यशोमति ठाकुर की मुख्यमंत्री से मांग
वरूड तहसील के श्री क्षेत्र झुंज की वर्धा नदी में बोट पलटने से हुए हादसे में मरनेवाले लोगों के रिश्तेदारों को राज्य आपदा प्रतिसाद निधि व सीएम रिलीफ फंड के माध्यम से तत्काल मदद दी जाए. इस आशय की मांग को लेकर राज्य की महिला व बालविकास मंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने आज मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को प्रत्यक्ष निवेदन देकर की है.
सीएम उध्दव ठाकरे को सौंपे गये पत्र में पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने कहा है कि, इस दर्दनाक हादसे से संबंधितों के परिवार पर दुख का पहाड टूट पड़ा है. इस दुखद घडी में हादसे में मरनेवाले व्यक्तियों के रिश्तेदारों को सरकार की ओर से सीएम रिलीफ फंड के माध्यम से नुकसान मुआवजा तत्काल दिया जाना चाहिए. साथ ही पालकमंत्री ठाकुर ने यह भी कहा कि दुख की इस घडी में महाविकास आघाडी सरकार आपदाग्रस्तों के साथ है. हादसाग्रस्त लोगों के रिश्तेदारों को निश्चित रूप से मदद दी जाएगी. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हादसे को लेकर अपना दुख प्रकट करते हुए परिजनों को मदद दिलाने में सकारात्मकता दर्शायी है.

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