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देश में 70 हजार करोड का व्यवसाय

गणेशोत्सव से मार्केट में चैतन्य

* मूर्ति, सजावट सामग्री, मिठाई का बिजनेस
* महाराष्ट्र और गुजरात सहित छह राज्यों में आधा व्यवहार
नागपुर/दि.20- उद्यमियों के संगठन असोचेम ने अंदाज व्यक्त किया कि देश में गणेशोत्सव दौरान 70 हजार करोड का कारोबार दस दिनों में होने जा रहा है. उत्सव के कारण रिद्धी-सिद्धी के दाता ने सचमुच बाजार में चैतन्य ला दिया है. महाराष्ट्र और गुजरात सहित छह राज्यों में आधा व्यवहार हो रहा है. अर्थात 35-40 हजार करोड का कारोबार इन राज्यों में ही होने की उम्मीद असोचेम ने व्यक्त की. यह व्यवहार, मूर्तियों से लेकर सजावट सामग्री, मिठाई, वाद्ययंत्र और उपकरणों में हो रहे हैं. उसी प्रकार लगता है कि आंकडा बढ भी सकता है. असोचेम ने एनलाइजिंग इकॉनामिक बूम अराउंड गणेशोत्सव इन इंडिया रिपोर्ट में बताया कि, 2013 में दस दिनों में 20 हजार करोड का बिजनस हुआ था. जिसमें हर वर्ष 20 प्रतिशत बढोतरी का अंदाजा व्यक्त किया गया. बाजार विश्लेषक अभय शाह ने इस बार 70 हजार करोड से अधिक कारोबार की आशा व्यक्त की.
* मूर्ति विक्री 6 हजार करोड
पेण के 1600 कारखानों में लगभग 10 हजार के हिसाब से डेढ करोड मूर्तियां तैयार होती है. इससे 400-450 करोड का बिजनस होने की जानकारी महाराष्ट्र मूर्तिकार संगठन के कोषाध्यक्ष राजन पाटिल ने दी. सीआईआई के अनुसार देश में 20 करोड मूर्ति विक्री से 6 हजार करोड का बिजनस हो रहा.
* डेकोरेशन 30 हजार करोड
ऑल इंडिया टेंट डेकोरेर्ट्स असो. के अध्यक्ष रवि जिदंल ने बताया कि गणेश उत्सव में 15 दिन पंडाल लगता है. पंडाल वाले फूल, लाइटिंग और सजावट करते हैं. पंडाल का किराया डेढ लाख से लेकर 5 लाख रुपए तक होता है. झांकियों के लिए 50 हजार से लेकर 15 लाख रुपए तक सेट लगाए जाते हैं. इससे 25 से 30 हजार करोड की कमाई होती है.
* ढोल-ताशे 10 हजार करोड
डीजे, ढोल, बैंजो, झांझ, बैंड, जीवित झांकी के कलाकार, डबिंग आर्टिस्ट, संगीतकार, प्रकाश योजना, साउंड सर्विस, यातायात के लिए ट्रक, टेंपा, रिक्क्षा, मंडल के सदस्यों के कपडे, झंडे, बैजेस, फेटे, दुपट्टे आदि पर 10 से 15 हजार करोड का खर्च होता है.
* मिठाई 25 हजार करोड
वार्षिक 1 लाख करोड का मिठाई का बिजनस होता है. उसमें से 75 प्रतिशत व्यापार रक्षाबंधन से लेकर दिवाली दौरान होता है. फेडरेशन ऑफ स्विट्स एण्ड नमकीन मेन्युफेक्चरल के फिरोज नकवी ने बताया कि गणपति में 20 से 25 हजार करोड का व्यापार होता है. मोदक, पेढे, बूंदी के लड्डू की मांग बढ जाती है.

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