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किसानों बेदखल, म्युच्यूअल फंड में डाले 700 करोड

अपनी बैंक ने ही झोंकी किसानों की आंखों में धुल

  •  आरबीआई के मार्गदर्शक तत्वों का उल्लंघन

  •  किसानों में जबर्दस्त रोष, कार्रवाई की मांग

अमरावती/प्रतिनिधि दि. 16 – अमरावती जिले में किसानों की अपनी बैंक के रुप में पहचान रखने वाली अमरावती जिला मध्यवर्ती बैंक के वर्तमान संचालक मंडल ने अपने पिछले 10 वर्षों में लिये निर्णयों के चलते किसानों में जबर्दस्त रोष देखा जा रहा है. इस कारण संतप्त हुए किसानों ने पिछले 10 वर्ष में जिला मध्यवर्ती बैंक में हुए नियमबाह्य व्यवहारों की जांच के लिए पुलिस में भी शिकायत दर्ज की. इस शिकायत में बैंक व्दारा 700 करोड के म्युच्यूअल फंड में किये गए नियमबाह्य निवेश की जांच करने की मांग की है. यह शिकायत फिलहाल आयुक्तालय पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के पास है. पुलिस का कहना है कि वे बैंक पर बिठाये गए वर्तमान प्रशासक सतीश भोसले व्दारा प्राप्त होने वाले ऑडिट की राह देख रही है, लेकिन वर्तमान में जिला मध्यवर्ती बैंक में पिछले 10 वर्षों में आरबीआई के मार्गदर्शक तत्वों का उल्लंघन कर किये गए व्यवहार की जांच करने की मांग भी उठ रही है. इसी मांग को लेकर तीन दिन पहले कुछ किसानों ने अनशन की चेतावनी दी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इन किसानों को अनशन करने की अनुमति नहीं दी गई.
अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बेैंक के संचालक मंडल का कार्यकाल 2015 में ही खत्म हुआ था. बावजूद इसके बैंक के व्यवहारों को लेकर एक मामला हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रिम कोर्ट में न्यायप्रविष्ट रहने के कारण बैंक के संचालक मंडल के चुनाव पांच वर्ष टल गए और संचालक मंडल को आसानी से पांच वर्ष का कार्यकाल बगैर चुनाव के ही मिल गया. इसी पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान बैंक के संचालक मंडल ने विविध प्रकार के गैर व्यवहार किये. इसी दौरान बैंक व्दारा किया गया सबसे बडा नियमबाह्य व्यवहार यह कि जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक ने 700 करोड का निवेश म्युच्यूअल फंड में किया. विशेष यह कि जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक यह प्राथमिकता से किसानों की व किसानों को फसल कर्ज वितरण करने के लिए स्थापित की गई है, लेकिन आरोप है कि बैंक ने जरुरतमंद किसानों को फसल कर्ज का वितरण न करते हुए 700 करोड का निवेश म्युच्यूअल फंड में किया. यह निवेश करते समय बैंक की सीईओ जे.सी.राठोड ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने निप्पॉन इंडिया म्युच्यूअल फंड कंपनी के अमरावती के व्यवस्थापक को 28 सितंबर 2020 को बैंक का निवेश ब्रोकर व्दारा सूचारु रुप से शुरु रखने संबंधी का पत्र दिया है तथा इससे पहले भी ब्रोकर व्दारा निवेश करने के लिए बैंक के सीईओ राठोड ने पुरुषोत्तम रेड्डी नामक ब्रोकर तथा एसबीआई व निप्पॉन इंडिया कंपनी के अमरावती व्यवस्थापकों से भी पत्र व्यवहार किया था. विशेष यह कि यह व्यवहार अगर बैंक बगैर ब्रोकर नियुक्ति के स्वयं करती तो 700 करोड के निवेश में ब्रोकर रेड्डी को जो 3 करोड 40 लाख रुपए का कमिशन गया उसका लाभ बैंक को मिलता था, लेकिन ऐसा न करते हुए बैंक ने ब्रोकर के माध्यम से निवेश किया और 3 करोड 40 लाख रुपये का आर्थिक लाभ एजंट को मिला, इस तरह जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक ने अनेकों व्यहार यह आरबीआई के दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर किये है. विशेष यह कि बैंक के व्यक्तिगत भाग धारकों के भाग हस्तांतरण के नियमों का उल्लंघन कर पदाधिकारियों के सगे संबंधी व निकटवर्तियों के नाम से शेअर हस्तांतरित किये गये है. इसकी जांच कर यह शेअर रद्द करने की मांग भी किसानों की ओर से की जा रही है.

  • व्यक्तिगत एडवान्स पर खरीदे दो वाहन

खबर है कि बैंक ने फरवरी 2020 में व्यक्तिगत एडवान्स दर्शाकर दो नई गाडियां खरीदी की थी. यह गाडियां जनवरी-फरवरी 2020 से चलन में लायी गई है. इन वाहनों की नोंद बैंक के लॉकबुक में भी की गई है. व्यक्तिगत एडवान्स दर्शाकर बैंक के लिए वाहन खरीदना नियमबाह्य है. विशेष यह कि बैंक ने अक्तुबर-नवंबर 2020 में जो जमा खर्च लिया उसमें बैंक के व्हीकल खाते में इन गाडियों की नोंद होना जरुरी थी, लेकिन उसकी नोंद नहीं की गई. इस तरह के गंभीर आरोप बैंक के व्यवहार पर भी दर्शाये गए है.

  • लॉकडाउन में 2 लाख के ड्रायफ्रुट खरीदे

विशेष बात यह कि पिछले वर्ष 2020 में मार्च महिने से कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लगाया गया था. बावजूद इसके बैंक के संचालक मंडलों की जितनी भी सभाएं हुई उसमें ड्रायफु्रट व बिस्लेरी खरीदी पर 2 लाख रुपए का खर्चा बताया गया है. इस कारण किसानों के लिए कभी संकट की घडी में काम में आने वाली इस बैंक ने किसानों को कर्ज वितरण करना टालते हुए इस तरह का गैर खर्च करने से बैेंक के वर्तमान संचालक मंडल की निष्पक्ष भूमिका पर भी प्रश्न चिन्ह लगाए जा रहे है.

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