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9 करोड की बिल्डींग इस साल में डिस्मेन्टल की स्थिति में

  •  जांच कमेटी ने सवा छह करोड का रिपेरिंग खर्च बताया

  •  चिखलदरा की एकमात्र सीबीएससी स्कूल एकलव्य स्कुल वडगांव स्थानांतरित की गई

  •  अमरावती मंडल इफेक्ट

चिखलदरा/दि.1 – चिखलदरा हिल स्टेशन की शान व एकमात्र एकलव्य आदिवासी स्कुल जो की सीबीएससी पॅटर्न से चलाई जाती थी, केंद्र सरकार के पैसों से मात्र दस साल पहले बनायी गयी थी. मगर बिल्डींग के स्ट्रक्चर ऑडिट, जो कि हर 20 साल बाद होता था, उसे केवल दस साल में ही करना पडा और इस ऑडिट में यह बिल्डींग अनुत्तीर्ण यानी फेल हो गई. जिसके बाद इस स्कुल को वडगांव स्थित एक बिल्डींग को तीन लाख रूपये किराये से लेते हुए स्थलांतरीत किया गया.
बता दें कि, इस स्कूल में 6 वीं से 12 वीं तक 350 बच्चे पढते है. मगर आदिवासी विभाग द्वारा बनाई गई इस बिल्डींग के लिए जांच कमेटी बनाई गई थी. जिसमें उपसंचालक आदिवासी विभाग की अध्यक्षता में प्रकल्प अधिकारी, स्कुल के प्रिंसिपल किंग्नीकर तथा नागपुर आदिवासी बांधकाम विभाग के दो एक्जिीकेटिव इंजिनियर ने जांच करके इस इमारत के रिपेरिंग के लिए सवा छह करोड रूपए खर्च करने का सुझाव दिया.
मगर जांच कमेटी यह तय नहीं कर पायी कि, मात्र दस साल के भीतर स्ट्रक्चरल ऑडिट में इस बिल्डींग के फेल होने के लिए कौन व्यक्ति जिम्मेदार है और उस पर क्या कारवाई की जाये. जिसे देखते हुए आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि, वहीं इस पूरे प्रकरण को दबाने का भी पुरजोर प्रयास किया जा रहा है. ऐसा प्रतीत होता है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां कक्षा 1 ली से कक्षा 5 वीं तक की क्लासेस शुरू करने का प्रस्ताव भी जगह के अभाव में खारिज कर दिया गया. क्योंकि सवा छह करोड रूपये खर्च करने के बावजूद इस बिल्डींग में सेकंड फ्लोअर नहीं बनाया जा सकता. जिसे देखते हुए यह इमारत पुरी तरह डिस्मेंटल करने यानी गिरा देने की स्थिति में है. मगर इतना बडा निर्णय लेना बहुत बडा बखेडा खडा कर सकता है. इसलिए 9 करोड रूपये की लागत से बनी इस इमारत की रिपेरिंग पर सवा छह करोड खर्च करने का निर्णय लिया गया. मगर क्या 350 बच्चों के भविष्य के लिए यह निर्णय उचीत है. इसकी ओर भी ध्यान देना बेहद आवश्यक है. जिसे देखते हुए एक उच्चस्तरीय टेक्नीकल कमेटी के द्वारा इसकी जांच करायी जानी चाहिए.

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