शिक्षा उपसंचालक सहित संस्था चालक के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज
बिना वेतन सहायक शिक्षक की बैक डेट में की थी नियुक्ति
* 20 लाख रुपए में की गई थी डिलिंग
यवतमाल/दि.3– समिपस्थ मेंढला स्थित एकता बहुउद्देशीय संस्था द्वारा संचालित शाला में बिना वेतन सहायक शिक्षक के तौर पर बैक डेट में नियुक्ति हेतु 20 लाख रुपए की डिलिंग हुई थी. जिसमें यवतमाल के तत्कालीन शिक्षाधिकारी व फिलहाल पुणे स्थित शिक्षा संचालनालय में अंदाज व नियोजन विभाग में उप संचालक के तौर पर कार्यरत दीपक चवने सहित 5 लोगों के खिलाफ संबंधित शिक्षक ने जालसाजी को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. जिसके आधार पर विगत बुधवार को यवतमाल ग्रामीण पुलिस थाने में उपसंचालक सहित 5 लोगों के खिलाफ धोखाधडी व जालसाजी का अपराध दर्ज कराया गया है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक सलीम खान जाहीद खान (मिटनापुर, तह. बाभुलगांव) नामक युवक को बिना वेतन सहायक शिक्षक के तौर पर नियुक्ति देने हेतु पैसों की मांग की गई थी तथा वर्ष 2015 से नियुक्ति का आदेश देने के लिए 20 लाख रुपए की डिलिंग की गई थी. जिसके तहत उसे मेंढला स्थित एकता बहुउद्देशीय संस्था द्वारा संचालित शाला पर नियुक्ति देना तय किया गया था. इस मामले में पैसे देने के बावजूद भी उक्त युवक को नियुक्ति नहीं दी गई. जिसके चलते उक्त युवक ने शिक्षा उपसंचालक दीपक चवने सहित संस्था के संस्थापक दिलीप माणिकराव वासेकर व संचालक सुजाता दिलीप वासेकर, राजेंद्र केशव कांबले, भगवान केंगर और विनायक वासेकर के खिलाफ धोखाधडी व जालसाजी की शिकायत दर्ज कराई. जिसके आधार पर यवतमाल ग्रामीण पुलिस ने भादंवि की धारा 420, 506 व 34 के तहत अपराधिक मामला दर्ज करते हुए जांच शुरु की.
* यवतमाल के शिक्षा विभाग का क्लर्क नांदेड में
यवतमाल के तत्कालीन शिक्षाधिकारी व मौजूदा शिक्षा उपसंचालक पुणे से नांदेड आने के बाद बैक डेट के आदेश हेतु यवतमाल के क्लर्क को बुलाते है और ऐसी फाइलें नियमित तौर पर उनके पास जाती है. जिसमें सर्वाधिक शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की नियुक्तियों के आदेशों का समावेश है तथा निजी संस्थाओं में पैसों का लेन-देन करने के बाद ही नियुक्ति दी जाती है. यह व्यवहार लगभग सभी को पता रहता है. पदोन्नति के बाद भी उपसंचालक द्वारा बैक डेट के आधार पर नियुक्तियां देने का काम चलता है. जिसकी जांच पडताल करने पर काफी बडी गडबडी सामने आ सकती है, ऐसी चर्चा शिक्षा क्षेत्र में चल रही है. साथ ही कहा जा रहा है कि, एक आदेश के लिए ढाई से तीन लाख रुपए तक कीमत वसूल की जाती है.