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एक सिटीस्कैन केवल 4 से 5 एक्सरे समान

कोरोना मरीज के सिटीस्कैन पर रेडिओलॉजिस्ट की अलग अलग राय

  •  डॉ.गुलेरिया का बयान अमान्य

नागपुर/प्रतिनिधि दि.7 – ऑल इंडिया इंस्टीट्युट ऑफ मेडिकल सायंन्सेस के संचालक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने एक सिटी स्कैन 300 से 400 एक्सरे समान रहने की जानकारी देकर सौम्य कोरोना रहने वाले मरीजो को सिटीस्कैन टालने की सलाह दी थी. दी इंडियन रेडिओलॉजिकल एन्ड इमेजिंग एसोसिएशन ने डॉ.गुलेरिया का यह दावा अमान्य किया है. फिलहाल उच्च व आधुुनिक तकनीकि युक्त उपकरण उपलब्ध रहने से डॉ.गुलेरिया का दावा निरर्थक रहने की बात एसोसिएशन ने स्पष्ट की है. एसोसिएशन के अनुसार एक सिटीस्कैन केवल 4 से 5 एक्सरे समान है.
डॉ.गुलेरिया ने दी हुई जानकारी वर्तमान विज्ञान से नहीं जुडती. उनके व्दारा किये गए दावे समान रेडियेशन बेकार नहीं. सिटीस्कैन से कर्करोग होता है, ऐसा कहना अयोग्य है. एचआर-सिटी समय की जरुरत है. सिटीस्कैन से मरीज के स्वास्थ्य पर गलत परिणाम होते है, इसके सबूत उपलब्ध नहीं, ऐसा रेडिओलॉजिस्ट डॉ.राजू खंडेलवाल ने कहा है. मेडिकल के रेडिओलॉजिस्ट विभाग प्रमुख डॉ.आरती आनंद ने डॉ.गुलेरिया के बयान का गलत अर्थ निकाला गया होगा, ऐसे विचार व्यक्त किये. सिटीस्कैन ज्यादा बेकार नहीं है. एचआर-सिटी हमेशा नहीं करनी पडती. कोरोना मरीजों में पहले पांच दिन में एचआर-सिटी नहीं करनी चाहिए, कोरोना लक्षण रहते समय आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटीव आने पर एचआर-सिटी तत्काल करनी चाहिए, दूसरी बार सिटी करना परिस्थिति पर निर्भर है, इस तरह की जानकारी उन्होंने दी. रेडिओलॉजिस्ट डॉ.जितेंद्र साहु ने भी डॉ.गुलेरिया की जानकारी गलत रहने की बात स्पष्ट की है. नए उपकरणों का रेडिएशन कम रहता है. मरीज को एचआर-सिटी यंत्र में केवल 30-35 सेकंद रुकना पडता है. वर्तमान समय में रेडियेशन कम था, फेफडों की स्थिति जांचने के लिए एचआर-सिटी करना आवश्यक है, ऐसा उन्होंने बताया. रेडिओलॉजिस्ट डॉ.रवि राजदेव ने 30-40 वर्ष पूर्व के यंत्र धोखादायक थे, इस ओर ध्यान खिचा है. कम रेडियेशन के स्कैनर इस्तेमाल किये जाते है. रेडियेशन मरीज की शारीरिक स्थिति पर निर्भर रहता हेै. मोटे मरीज के लिए ज्यादा रेडियेशन इस्तेमाल किया जाता है. कमाल रेडियेशन में एक एचआर-सिटी 4 से 6 एक्सरे समान है. एक सिटीस्कैन से कैन्सर नहीं होता, ऐसा उन्होंने स्पष्ट किया है.

  • गोंदिया में रेमडेसिविर की कालाबाजारी, 3 गिरफ्तार

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करनेवाले गिरोह का स्थानीक अपराध शाखा के दल ने पर्दाफाश किया है. तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. एम्बुलेंस चालक अमोल नितेश चौधरी, संजय रमेश तुरकर यह दोनों गोंदिया के निवासी है. उनके साथ ही एक महिला नर्स का समावेश है. पुलिस को गश्ती के दौरान पता चला कि अमोल चौधरी यह रेमडेसिविर इंजेक्शन ज्यादा दर पर यानी प्रति 15 हजार रुपए में बगैर अनुमति बेच रहा है. जिसपर पुलिस ने इस दल के दो कर्मचारियों कोे बोगस ग्राहक बनाकर रेमडेसिविर इंजेक्शन लेने के लिए बाहेकर हॉस्पिटल के पास खडे रहने वाले अमोल चौधरी के पास भेजा. विश्वास होने के बाद जाल बिछाकर उसे पटेल चौक, छोटा गोंदिया से हिरासत में लिया. उसके पास से दो रेमडेसिविर इंजेक्शन जब्त किये. इस बीच इंजेक्शन कहा से लाते, इस बारे में पूछने पर उन्होेंने बताया कि बाहेकर हॉस्पिटल में सफाई कामगार के रुप में कार्यरत संजय तुरकर के पास सेे खरीदने की बात कही. पुलिस ने संजय तुरकर को जाल बिछाकर गिरफ्तार किया. तलाशी लेने पर उसके पैंट की जेब से दो मिथिल प्रेडनिसोलेन सोडियम इंजेक्शन मिला. उसे रेमडेसिविर व मिथिल प्रेडनिसोलेन इंजेक्शन के बारे मे पूछने पर उसने बताया कि, यह इंजेक्शन उसने बाहेकर हॉस्पिटल की एक महिला स्टॉफ नर्स से लाने की बात कही. उसके पास से दो रेमडेसिविर, दो मिथिल प्रेडनिसोलेन व दो मोबाइल हैंडसेट, इस तरह कुल 43 हजार 70 रुपए का माल जब्त किया है.

  • मरीज को एसिडिटी का इंजेक्शन देकर रेमडेसिविर चुराया

कोरोना मरीज को जरुरी रहने वाले रेमडेसिविर के इंजेक्शन की बजाय एसिडिटी का इंजेक्शन देकर मरीज के लिए लाया गया रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक मार्केट में बेचने का प्रकार नागपुर में प्रकाश में आया है. नागपुर में रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने के लिए जामठा स्थित कोविड अस्पताल में रेमडेसिविर के बजाय एसिडिटी का इंजेक्शन देने का प्रकार सामने आया है. इस घटना को अंजाम अस्पताल के पुरुष परिचारक व एक महिला परिचारिका ने किया, ऐसा पुलिस जांच में निष्पन्न हुआ है. इस मामले में वाठोडा पुलिस ने 18 अप्रैल को गिरफ्तार किये आरोपी के पास से पुलिस जांच में यह जानकारी सामने आयी है. सिताबार्डी पुलिस ने अप्रैल महिने में रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया था तथा वाठोडा पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया. इन पांच आरोपी की गिरफ्तारी के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन कैसे हासिल किया, यह धक्कादायक बात सामने आयी. मिली जानकारी के अनुसार शहर के जामठा स्थित कोविड अस्पताल में कोरोना मरीज को देने के लिए उनके रिश्तेदारों ने तीन इंजेक्शन अस्पताल प्रशासन के हवाले किये. किंतु इस मरीज को रेमडेसिविर के तीन इंजेक्शन देने के बजाय उस अस्पताल की महिला नर्स ने रेमडेसिविर का एक ही इंजेक्शन दिया और दो इंजेक्शन एसिडिटी के दिये. शेष दो इंजेक्शन एक पुरुष परिचारक के माध्यम से ब्लैक मार्केट में बेचने के लिए दिये.

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