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पांढरी खानमपुर वालों का जत्था पहुंचा अमरावती

गत रोज बौद्ध समाज के लोगों ने गांव से किया था सामूहिक पलायन

* गांव में प्रवेश द्वार को डॉ. आंबेडकर का नाम देने संबंधी विवाद का मामला
* मुंबई लाँग मार्च के लिए पैदल ही गांव से चल पडे है करीब डेढ हजार महिला व पुरुष
अमरावती /दि.7- अंजनगांव सुर्जी तहसील अंतर्गत पांढरी खानमपुर गांव में रहने वाले आंबेडकरी समाज के करीब डेढ हजार लोगों ने गत रोज गांव से सामूहिक पलायन करते हुए मुंबई तक पैदल लाँग मार्च निकालने की घोषणा पर अमल करना शुरु किया था. जिसके बाद इन लोगों का जत्था बीती रात दर्यापुर के बाभली गांव तक पहुंचा था. जहां से आज सुबह एक बार फिर पदयात्रा शुरु करते हुए यह सभी लोग आज दोपहर बाद अमरावती शहर पहुंच गये तथा उन्होंने स्थानीय इर्विन चौराहे पर स्थित डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के पुतला परिसर में ठिया जमाने के साथ ही कलेक्ट्रेट व संभागीय राजस्व आयुक्त कार्यालय पर मोर्चा निकालने की तैयारी शुरु की. इस समय गांववासियों का कहना रहा कि, यदि अमरावती में प्रशासन द्वारा मामले का हल निकालते हुए उन्हें न्याय नहीं दिया जाता है, तो वे अमरावती से मुंबई के लिए पैदल लाँग मार्च पर चल पडेंगे. ऐसे में पांढरी खानमपुरवासियों की शहर में आमद को देखते हुए अमरावती शहर पुलिस द्वारा इर्विन चौक परिसर से लेकर जिलाधीश कार्यालय तक अच्छा खासा बंदोबस्त तैनात कर दिया गया था. साथ ही प्रशासन द्वारा पांढरी खानमपुर गांववासियों को भी समझाने-बुझाने का प्रयास किया जा रहा था. परंतु गांववासियों ने स्पष्ट भूमिका अपनाई थी. जब तक गांव के मुख्य प्रवेश द्वारा को डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का नाम देने के संदर्भ में अंतिम निर्णय नहीं ले लिया जाता, वे तब तक अपने गांव वापिस नहीं लौटेंगे.
बता दें कि, पांढरी खानमपुर गांव की ग्रामपंचायत ने 26 जनवरी 2020 को आयोजित ग्रामसभा में यह प्रस्ताव पारित किया था कि, गांव की मुख्य सडक पर सरकारी निधि से भव्य प्रवेशद्वार बनाया जाएगा तथा उसे डॉ. बाबासाहब आंबेडकर प्रवेश द्वार का नाम दिया जाएगा. परंतु इस प्रस्ताव का गांव में रहने वाले कई लोगों द्वारा विरोध किया गया और इस प्रवेशद्वार को छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम दिये जाने की मांग उठाई. तब से ही यह मामला अधर में अटका पडा था. विवाद की शुरुआत कब हुई, जब विगत 26 जनवरी को गांव में रहने वाले आंबेडकरी समाज ने एक बार फिर इसे लेकर ग्रामसभा में प्रस्ताव पेश किया और फिर आंबेडकरी समाज के लोगों ने 31 जनवरी को गांव के मुख्य मार्ग पर एक अस्थायी प्रवेश द्वार बनाते हुए उसका नामकरण भी कर दिया. जिस पर आपत्ति उठाते हुए गांव में रहने वाले सवर्ण समाज के लोगों ने इस प्रवेशद्वार को गैरकानूनी बताकर इसे हटाने की मांग उठाई तथा इसके खिलाफ अंजनगांव सुर्जी पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई. साथ ही इस मुद्दे को लेकर गांव में रहने वाले दोनों ओर के लोग एक-दूसरे के आमने-सामने आ गये. तब से ही यह मामला लगातार तनातनी वाला बना हुआ था और गांव में वातावरण तनावपूर्ण बना हुआ है.
इसी तनावपूर्ण हालात के बीच पांढरी खानमपुर गांववासियों द्वारा जिला प्रशासन को ग्रामीण पुलिस के अधिकारियों को निवेदन सौपते हुए मामले में हस्तक्षेप करने और गांव की मुख्य सडक पर मुख्य प्रवेशद्वार बनाते हुए उसे डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का नाम दिये जाने की मांग लगातार उठाई जाने लगी. जिसके चलते इस विषय को लेकर गांव में तनाव लगातार बढता चला गया. वहीं दो दिन पूर्व पांढरी खानमपुर गांव में रहने वाले आंबेडकरी समाज के लोगों ने सामूहिक रुप से गांव छोड और मुंबई पैदल लाँग मार्च निकालने की घोषणा की थी. ऐसे में तनावपूर्ण हालात को देखते हुए पुलिस ने पांढरी खानमपुर गांव में 5-6 मार्च की रात से ही संचारबंदी लागू कर दी. लेकिन 6 मार्च की सुबह की संचारबंदी का उल्लंघन करते हुए पांढरी खानमपुर गांव में रहने वाले आंबेडकरी समाज के लोग अपने बाल-बच्चों, पालतू मवेशियों व जरुरत के साजो-सामान को साथ लेकर गांव से मुंबई जाने हेतु पैदल ही चल रहे एकसाथ लगभग 1200 से 1500 लोगों का जत्था गांव से रवाना होते ही पुलिस भी इन लोगों को रोक नहीं पायी. जिसके बाद बीती शाम यह सभी लोग पांढरी खानमपुर गांव से निकलकर पैदल चलते हुए दर्यापुर तहसील के बाभली गांव पहुंचे और वहां से आज सुबह ऋणमोचन व भातकुली के रास्ते से होते हुए दोपहर बाद तक यह जत्था अमरावती पहुंच गया. जहां पर इन लोगों ने प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए इर्विन चौराहे से जिलाधीश कार्यालय तक मोर्चा निकाला. समाचार लिखे जाने तक पांढरी खानमपुर गांव में रहने वाले आंबेडकरी समाज के प्रतिनिधि मंडल द्वारा जिलाधीश कार्यालय के भीतर प्रशासकीय अधिकारियों से चर्चा की जा रही थी. वहीं इस दौरान शेष सभी लोग जिलाधीश कार्यालय के समक्ष ठिया जमाये बैठे थे.

* कई संगठनों सहित गांव-गांव के आंबेडकरी समाज का मिला समर्थन
गत रोज पांढरी खानमपुर गांव से पैदल रवाना हुए आंबेडकर समाजबंधुओं का जत्था जैसे-जैसे आगे बढा, तो रास्ते में पडने वाले सभी गांवों के आंबेडकरी समाज बंधुओं द्वारा उनकी अगुवानी करते हुए उनके भोजन-पानी की व्यवस्था की गई. साथ ही बीती शाम बाभली गांव के बौद्ध विहार में इन सभी लोगों के भोजन एवं रात्रि विश्राम का प्रबंध किया गया. इसके उपरान्त आज सुबह अमरावती के लिए रवाना हुए इस जत्थे के साथ बाभली सहित रास्ते में पडने वाले कई गांवों में रहने वाले आंबेडकरी समूदाय के लोग जुड गये. साथ ही इस पैदल लाँग मार्च को विभिन्न आंबेडकरवादी संगठनों का भी समर्थन मिलने लगा. जिसके तहत आज अमरावती में इर्विन चौराहे से जिलाधीश कार्यालय तक निकाले गये मोर्चे में कई आंबेडकरवादी सगठनों के पदाधिकारी भी मौजूद दिखाई दिये.

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