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साफ-सफाई पर बहुत कुछ कहती है पार्षदों की चुप्पी

सभी दलों के पार्षद है साफ-सफाई को लेकर पूरी तरह से ‘चिडीचुप’

  •  सत्ता पक्ष घेर रहा प्रशासन को, विपक्ष फोड रहा सत्ता पक्ष पर ठीकरा

  •  हर कोई अपना दामन पाक साफ बताते हुए खुद की जिम्मेदारी से पल्ला झाड रहा

अमरावती/प्रतिनिधि दि.28 – विगत गुरूवार से दैनिक अमरावती मंडल द्वारा अमरावती शहर में चहुुंओर व्याप्त गंदगी तथा साफ-सफाई की व्यवस्था के अभाव को लेकर समाचारों की श्रृंखला प्रकाशित करनी शुरू की गई. व्यापक जनहित और शहरवासियों के मुलभूत अधिकारों एवं स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस एक सप्ताह के दौरान हमने साफ-सफाई के काम, इससे संबंधित ठेके, उपलब्ध संसाधन व व्यवस्था के साथ-साथ संबंधितोें के पक्ष को भी जाना समझा और प्रकाशित किया. लेकिन हैरत की बात यह है कि, बेहद सडे-गले व छिटपूट मुद्दों को लेकर आसमान सिर पर उठाते हुए खुद को आम जनता का सबसे बडा हितैषी बतानेवाले स्थानीय जनप्रतिनिधियों के मुंह से अब तक इस समस्या को लेकर कोई बोल नहीं छूटा है और सीधे आम जनता से जुडे इस मसले को लेकर सभी दलोें के पार्षदों ने एक तरह से चुप्पी साध ली है. हालांकि सुनने और समझनेवालों के लिए यह चुप्पी ‘बहुत कुछ’ कह रही है और अमरावती की आम जनता अब धीरे-धीरे पूरी कहानी समझ रही है.
याद दिला दें कि, दैनिक अमरावती मंडल द्वारा शुरू किये गये इस अभियान के बाद स्थानीय स्तर पर जबर्दस्त हडकंप व्याप्त हो गया था और विगत शनिवार को स्थानीय विधायक सुलभा खोडके ने आनन-फानन में मनपा आयुक्त व स्वच्छता विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करने के साथ ही एक पत्रकार परिषद को भी संबोधित किया था. जिसमें उन्होंने इस मामले में पार्षदों को एक तरह से क्लिनचिट देते हुए कहा था कि, साफ-सफाई के ठेके से पार्षदों का कोई संबंध नहीं है और ठेकेदारों से काम करवाना प्रशासन की जिम्मेदारी है. साथ ही पार्षदों का काम केवल आमसभा में साफ-सफाई से संबंधित कामों सहित अन्य कामों को लेकर निती बनाने का होता है. लेकिन साफ-सफाई से संबंधित कामों का और स्थानीय नगरसेवकों का आपस में क्या संबंध होता है, यह पूरे शहर को बेहतरीन तरीके से पता है, ऐसा कहना अतिशयोक्ती नहीं होगा. खुद मनपा गलियारे में दबे तौर पर और दबी जुबान में चलनेवाली चर्चाओं के मुताबिक अमरावती शहर में जिन 23 ठेकेदारों को साफ-सफाई के कामों का ठेका दिया गया है, उनका प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर नगरसेवकों के साथ सीधा संबंध है. साथ ही कुछेक प्रभागों में तो खुद नगरसेवकों द्वारा ही ठेके उठाये गये है. अलबत्ता कागज पर अपनी बजाय किसी और का नाम दर्शाया गया है. इसके अलावा जिन प्रभागोें में ठेका किसी और के नाम है, वहां पर ठेकेदार व पार्षद के बीच ‘मखाने’ का लेवा-देवा बेहद आम है, ऐसी जानकारी है.
शायद यहीं वजह है कि, साफ-सफाई के ठेके से संबंधित मसले को लेकर तो नगरसेवकों द्वारा आमसभा में बढ-चढकर चर्चा की जाती है. किंतु प्रत्यक्ष साफ-सफाई के काम को लेकर किसी के मुंह से एक शब्द तक नहीं निकल रहा. ऐसे में पार्षदों के इस मौन को समझे जाने की जरूरत है. यहां इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती है कि, अमरावती मंडल की ओर से साफ-सफाई को लेकर यह अभियान शुरू किये जाने के चलते मनपा के गलियारों में खलबली तो जबर्दस्त व्याप्त है और हर कोई अपने दामन को पाक साफ बताते हुए अपना पल्ला झाडता दिखाई दे रहा है. जिसके तहत जहां सत्ता पक्ष द्वारा इस अव्यवस्था के लिए प्रशासन को जिम्मेदार बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी पार्षदों द्वारा इसे सत्ता पक्ष की नाकामी दर्शाया जा रहा है. लेकिन सबसे बडा सवाल यह है कि, हर नगरसेवक अपने-अपने वॉर्ड व प्रभाग के लिए जिम्मेदार होता है तथा चकाचक साफ-सफाई, साफ-सूथरी सडके आदि का वादा करते हुए ही नगरसेवक का चुनाव लडा जाता है. इसके बावजूद नगरसेवकों द्वारा खुद अपने वॉर्ड की साफ-सफाई की ओर पर्याप्त ध्यान क्योें नहीं दिया जाता और चूंकि नगरसेवकों का निवास भी उसी वॉर्ड व प्रभाग में होता है, तो उन्हें अपने वार्ड परिसर में व्याप्त गंदगी व कचरे के ढेर क्यों दिखाई नहीं देते तथा अपने वार्ड का मनपा सदन में प्रतिनिधित्व करनेवाले नगरसेवक अपने वार्ड के सफाई ठेकेदार को कटघरे में क्योें खडा नहीं कर पाते. इन सवालों के घेरे में आज खुद नगरसेवक खडे है और अमरावती की जनता उनसे इन तमाम बातों का जवाब चाहती है. क्योंकि यही जनता अपने गाढे-मेहनत के पैसों से महानगरपालिका को विभिन्न तरह के टैक्स अदा करती है. जिसकी ऐवज में उन्हें साफ-सूथरी नालियों, अच्छी सडकों के साथ ही स्ट्रीट लाईट, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा जैसी बुनियादी सुविधाएं प्राप्त करने का पूरा अधिकार है. किंतु मनपा के भीतर ‘अंदरखाने’ में चल रही ‘मखाने’वाली साठ-गांठ की वजह से शहरवासी अपने अधिकारों से वंचित है. साथ ही साथ डेंग्यू व चिकनगुनिया जैसी संक्रामक महामारियों का दंश झेलने के लिए अभिशप्त भी है. जिसकी वजह से लोगों में हद दर्जे का गुस्सा व रोष व्याप्त है.

  • 300 लीटर डीजल में कचरे की 250 ट्रीप!

यहां पर इस तथ्य की भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि, सत्ता पक्ष व विपक्ष की तरह ही मनपा का स्वच्छता विभाग भी अपने दामन को पाक साफ दिखाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है. प्रस्तुत प्रतिनिधि द्वारा जब इस मामले को लेकर स्वच्छता विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी से शहर में चारों ओर फैले कचरे और साफ-सफाई की व्यवस्था के अभाव को लेकर चर्चा की गई, तो उन्होंने शहर में कही पर भी कचरे या गंदगी के ढेर रहने की बात से साफ तौर पर इन्कार किया. साथ ही यहां तक कहा कि, शायद आपने ऐन कचरा उठाने से पहले के फोटो लिये है और इस समय शहर में कही कोई गंदगी या कचरा नहीं है. उनका कहना यह रहा कि, शहर में रोज कचरा निकलता है. जिसे कंटेनर व ओपन स्पेस में लाकर डाला जाता है और इसे लगभग रोजाना ही उठा लिया जाता है. इस अधिकारी ने यह दावा भी किया कि, शहर के विभिन्न इलाकों से कचरा उठाकर कंपोस्ट डिपो पर पहुंचाने का जिम्मा रहनेवाले ठेकेदार द्वारा रोजाना शहर के अलग-अलग इलाकों से कंपोस्ट डिपो तक कचरे की 250 ट्रीप लगायी जाती है लेकिन जब उन्हें यह बताया गया कि, इस काम का जिम्मा रखनेवाले ठेकेदार द्वारा शहर के एक पेट्रोल पंप से रोजाना केवल 300 लीटर डीजल खरीदा जाता है और इतने डीजल में ट्रकोें के जरिये 250 ट्रीप कतई पूरी नहीं हो सकती, तो इसके बावजूद भी संबंधित अधिकारी ने कचरा संकलन ठेकेदार की हिमायत करते हुए कहा कि, इस ठेकेदार के सभी वाहन जीपीएस सिस्टीम से लैस हैं और कंपोस्ट डिपो पर लगे सीसीटीवी कैमेरे व कंप्यूटर सिस्टीम में यहां पहुंचनेवाले हर एक ट्रक की जानकारी दर्ज की जाती है. ऐसे में 250 ट्रीप की बात को सच माना जाये, लेकिन उनके द्वारा यह नहीं बताया जा सका कि, 300 लीटर डीजल में 250 ट्रीप कैसे पूरी हो सकती है. बल्कि उनका सारा जोर इस बात को लेकर था कि, दैनंदिन सफाई ठेकेदार और कचरा संकलन ठेकेदार द्वारा अपने-अपने काम को सही ढंग से पूरा किया जा रहा है. साथ ही इन कामों पर मनपा के स्वच्छता विभाग द्वारा पूरी मुस्तैदी के साथ नजर रखी जा रही है. लेकिन यहां पर यह सवाल पैदा होता है कि, अगर ठेकेदार सही ढंग से काम कर रहे है और सफाई महकमा मुस्तैदी के साथ नजर रख रहा है, तो फिर शहर की गली-मोहल्लों, नालियों और सर्विस लेन सहित खुली पडी जगहों पर गंदगी और कचरे के ढेर क्यों लगे हुए है.

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