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मेडिकल कॉलेज को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू

  • पत्रवार्ता के जवाब में पत्रवार्ता

  • बयान पर बयान जारी हो रहे

अमरावती/प्रतिनिधि दि.12 – विगत लंबे समय से अमरावती में सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू होने का स्वप्न देखा जा रहा है और विगत दो-तीन वर्षों से यह विषय लगातार चर्चा में बना हुआ है. साथ ही विगत दिनों उस वक्त जमकर हंगामा मचा, जब प्राधान्य सूची में नाम नहीं रहने के बावजूद सरकार द्वारा कोंकण क्षेत्र के सिंधुदूर्ग जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज मंजूर करने के साथ ही इस कॉलेज के लिए 61 करोड रूपयों की निधी भी जारी कर दी गई. वहीं प्राधान्य सूची में नाम रहने के बावजूद अमरावती के मेडिकल कॉलेज को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई. ऐसे में यह खबर बडी तेजी के साथ उडी कि, अमरावती का प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज सिंधुदूर्ग के हिस्से में दे दिया गया है. इसके साथ ही अमरावती के सरकारी मेडिकल कॉलेज कृति समिती इस विषय को लेकर एक बार फिर सक्रिय हो गयी. जिसके द्वारा सरकार पर विदर्भ क्षेत्र की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर अपने ही क्षेत्र के विकास को लेकर उदासिनता व लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया. जिसके बाद स्थानीय विधायक सुलभा खोडके ने एक पत्रवार्ता लेकर ऐसे सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि, उन्होंने वर्ष 2019 में विधायक निर्वाचित होने के बाद अगले चार माह में इस मेडिकल कॉलेज को मंजूरी दिलायी, तथा इससे पहले तत्कालीन सरकार व जनप्रतिनिधियों द्वारा इस संदर्भ में कोई काम नहीं किया गया था. इसके जवाब में कृति समिती द्वारा एक पत्रकार परिषद बुलाते हुए विधायक सुलभा खोडके की ओर से कही गयी बातों का सिलसिलेवार ब्यौरा पेश किया गया. जिसमें कहा गया कि, अमरावती के सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए राज्य की पूर्ववर्ती फडणवीस सरकार के कार्यकाल में ही प्रयास शुरू हुए थे और उस सरकार द्वारा ही वर्ष 2019 में इस मेडिकल कॉलेज को मंजुरी प्रदान की गई थी. ऐसे में मौजूदा जनप्रतिनिधियों द्वारा अपनी नाकामी को छिपाने के लिए इस काम का श्रेय लूटने का प्रयास न किया जाये. ऐसे में इस समय मेडिकल कॉलेज को लेकर दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ जमकर बयान जारी किये जा रहे है तथा आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी काफी तेज हो चला है.

चार माह पहले नहीं, वर्ष 2019 में मिली थी मंजुरी

पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख के मुताबिक सरकारी मेडिकल कॉलेज को मात्र चार माह में मंजुर कराने को लेकर मौजूदा जनप्रतिनिधियों द्वारा किया जा रहा दावा हकीकत से कोसो दूर है. इस सरकारी मेडिकल कॉलेज को लेकर वर्ष 2019 के मान्सून सत्र में घोषणा की गई थी. उस समय राज्य में कुल 7 मेडिकल कॉलेज बनाये जाने की घोषणा की गई थी. जिसमें अमरावती जिले का भी नाम था. इस हेतु आवश्यक कार्रवाई करते हुए एनओसी प्रमाणपत्र हासिल कर जगह का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था. साथ ही तत्कालीन पालकमंत्री अनिल बोंडे ने भी इस प्रस्तावित कॉलेज के लिए महत प्रयास किये थे.

अमरावती में नहीं मंत्रालय में जाकर पटाखे फोडो

अमरावती के पूर्व पालकमंत्री डॉ. अनिल बोंडे के मुताबिक अमरावती को मेडिकल कॉलेज से वंचित रखा गया है. यह बात यहां के जनप्रतिनिधियों को विपक्ष द्वारा हंगामा मचाये जाने के बाद समझ में आयी है. सिंधुदूर्ग को 100 करोड तथा सातारा को 61 करोड रूपयों की निधी मेडिकल कॉलेज के लिए दिये जाने की जानकारी हमारे द्वारा उजागर करने के बाद महाविकास आघाडी के नेताओं को जवाब देने के लिए पत्रकार परिषद लेनी पड रही है. साथ ही पूर्व सांसद अनंत गुढे यहां अमरावती में बैठकर पटाखे फोड रहे है, जबकि उनके सहित सभी जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि, वे मंत्रालय में जाकर पटाखे फोडे. पूर्व मंत्री डॉ. बोेंडे के मुताबिक अमरावती पर काफी पहले से अन्याय होता आया है. राज्य की पूर्ववर्ती फडणवीस सरकार ने इस अन्याय व अनुशेष को दूर करने का काफी हद तक प्रयास किया था. किंतु बाद में राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन की वजह से सबकुछ पहले जैसा हो गया है.

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