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यवतमाल के मुकुटबन वनपरिक्षेत्र की घटना
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बाघिन के हत्यारे पंजे काटकर ले भागे
यवतमाल/दि.27 – झरी तहसील के मुकुटबन वनपरिक्षेत्र में एक बाघिन को गुफा में कैद कर भाले जैसे तीक्ष्ण हथियार से उसकी निर्ममता से हत्या किये जाने की घटना दो दिन पहले घटीत हुई. कल सोमवार को वन विभाग ने इस घटना की जानकारी सार्वजनिक की. इस घटना से वन सर्कल में काफी सनसनी मची हुई है.
पांढरकवडा वनविभाग अंतर्गत आने वाले मुकुटबन वनपरिक्षेत्र के मार्गुला नियत क्षेत्र में वन कक्ष नं.30 में यह घटना प्रकाश में आयी. एक नाले को लगकर रहने वाली गुफा में बाघिन मृतावस्था में पडी रहने की जानकारी मिलने के बाद रविवार की दोपहर पांढरकवडा के विभागीय वन अधिकारी (वन्यजीव) सुभाष पुरानिक, मुकुटबन के वन परिक्षेत्र अधिकारी वी.जे.वारे, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) प्रकाश महाजन तथा मानद वन्यजीव रक्षक डॉ.रमजान विरानी यह घटनास्थल पहुंचे. घटना स्थल का मुआयना किया तब बाघिन यह नाले को लगकर रहने वाली गुफा में मृतावस्था में पायी गई. उसके गले में तार का फास लगा था और भाले जैेसे तीक्ष्ण हथियार से उसे मारा गया तथा गुफा के मुंह के पास आग लगाई, ऐसा दिखाई दिया. बाघिन की उम्र तकरीबन 4 वर्ष है.
हमलावरों ने बाघिन के आग के पैरों के पंजे काटकर ले गए. पेंच व्याघ्र प्रकल्प के (नागपुर) पशुवैद्यकीय अधिकारी डॉ.चेतन पातोंड, वनी के डॉ.अरुण जाधव, झरी केे डॉ.एस.एस.चव्हाण, मुकुटबन के डॉ.डी.जे. जाधव, मारेगांव के डॉ.डी.सी.जागले आदि ने घटनास्थल पर पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम के बाद मृत्यु का निश्चित कारण पता चलेगा, ऐसा वन विभाग ने जारी किये पत्रक में कहा है. इस मामले में प्राथमिक वन अपराध दर्ज किया गया है. बाघिन के हमलावरों को गिरफ्तार करने की बडी चुनौती वन विभाग के सामने है.
मृत बाघिन गर्भवती
गुफा में कैद कर हत्या की गई बाघिन यह गर्भवती थी. उसके पेट में चार शावक थे, ऐसी चर्चा है. किंतु वन विभाग ने इसकी अभी तक पुष्ठी नहीं की. जल्द ही वह शावकों को जन्म देने वाली थी, ऐसा कहा जाता है. उसी कारण वह पिछले कुछ दिनों से मांर्गुला नियत क्षेत्र के एक नाले के समीप गुफा में आना जाना करती थी, ऐसा बताया जाता है. हमलावर उसपर नजर रखे हुए थे. वह गुफा में घुसते ही पत्थरों से गुफा का मुंह बंद किया गया. उसके बाद एक बडे छेद से भाले समान तीक्ष्ण हथियार से उसकी हत्या किये जाने की चर्चा परिसर में है. गंभीर बात यह कि दो वर्ष पहले भी इसी परिसर में इसी पध्दत से एक बाघ की हत्या की गई थी. हमलावरों ने मृत बाघ को वहीं जला डाला था, ऐसी चर्चा है. इस घटना की वन विभाग में मात्र कही पर भी नोंद नहीं है. इस परिसर में बडी संख्या में बाघों का बसेरा है. जिससे इस क्षेत्र में बाघों की हमेशा ही दहशत रहती है. उसी में इस पध्दत से बाघ को मारे जाने की घटना प्रकाश में आने की बात कही जा रही है.
- जंगली सुअर की शिकार के लिए किसी ने तो भी फांस लगाया. वह बाघिन के गले में फंस गया. मामला अपने उपर आयेगा, इस डर से बाद में बाघिन को जान से मारा गया होगा, ऐसा प्राथमिक अनुमान है. बाघिन गर्भवती थी या नहीं यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही पता चलेगा.
– एस.व्ही.दुमारे, सहायक वन संरक्षक, पांढरकवडा