अमरावतीमुख्य समाचार

साबले के खिलाफ हो सकती है कार्रवाई

  •  बेसिपरैप के आरोप लगाना पड़ सकता है भारी

  •  जिलाधीश नवाल ने मामले की जांच सौंपी पुलिस को

  •  तीन-चार दिन में उठाए जा सकते हैं कड़े कदम

  •  यूट्यूबरों पर भी गिर सकती है जबरदस्त गाज

अमरावती/प्रतिनिधि दि. 27 – विगत दिनों सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित पाये जाने को लेकर जिला परिषद सदस्य प्रकाश साबले ने आरोप लगाया था कि कई अधिकारियों व कर्मचारियों ने कोविड टेस्ट लैब वालों के साथ मिलीभगत कर फर्जी तरीके से अपनी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट को पॉजीटिव दिखाया, ताकि वे 15 दिनों के सवैतनिक अवकाश के साथ ही कोविड बीमा पॉलिसी का लाभ ले सकें. लेकिन इस आरोप को लगाने के बाद पिछले सात दिन के दौरान साबले इस बारे में प्रशासन को कोई अधिकारिक सबूत नहीं दे सके हैं. ऐसे में अब यह पूरी तरह से स्पष्ट हो चुका है कि यह सब साबले का पब्लिसिटी स्टंट था. वहीं जिप प्रशासन की क्लोजर रिपोर्ट मिलने के बाद अब जिलाधीश कार्यालय ने इस मामले में सख्त रूख अपनाते हुए मामले की जांच शहर पुलिस आयुक्तालय को सौंप दी है.
वहीं पता चला है कि साबले द्वारा आरोप लगाये जाने के बाद जिन जिन लोगों ने यूट्यूब चैनलों पर इस विषय को लेकर भ्रामक खबरे चलाई तथा सोशल मीडिया साईट्स पर भी बेसिरपैर की पोस्ट शेयर की, उन तमाम लोगों के खिलाफ पुलिस आयुक्तालय की साईबर सेल द्वारा जांच शुरू की गई है और आगामी तीन-चार दिन के भीतर ऐसे सभी लोगों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करनी शुरू कर दी जायेगी. ऐसे में अब कोविड बीमा घोटाले को लेकर फर्जी खबरे प्लांट करनेवाले तमाम लोगों में जबरदस्त हड़कंप व्याप्त है.
इस संदर्भ में जिलाधीश शैलेश नवाल से संपर्क किये जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें जिला परिषद सीइओ की क्लोजर रिपोर्ट मिल चुकी है, जिसमें जिप प्रशासन द्वारा साफ तौर पर कहा गया है कि दो बार समय देने के बावजूद जिप सदस्य प्रकाश साबले ने अपने आरोपों के संदर्भ में कोई ठोस सबूत या दस्तावेज पेश नहीं किया है, बल्कि केवल आरोपों को लेकर एक लिखीत पत्र दिया है. ऐसे में किसी अधिकारी व कर्मचारी द्वारा फर्जी तरीके से कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव दिखाए जाने का मामला साबित नहीं होता है. इस रिपोर्ट को बेहद गंभीरता से लेते हुए जिलाधीश नवाल ने अब इस मामले को जांच हेतु पुलिस के सुपुर्द कर दिया है.
बता दें कि इस समय जिले में महामारी प्रतिबंधात्मक अधिनियम 1897 की धाराएं लागू हैं, इस दौरान बीमारी को लेकर किसी भी तरह की कोई अफवाह अथवा भ्रामक खबर फैलाना भी दंडनीय अपराध है. किंतु इसी दौरान जिप सदस्य रहनेवाले प्रकाश साबले ने जिप की आम सभा के दौरान एक सनसनीखेज आरोप लगाते हुए ंहंगामाखेज स्थिति पैदा कर दी थी, साथ ही मीडिया के सामने भी अपने आरोपों को दोहराते हुए कहा था कि कई कोविड टेस्ट लैब में फर्जी तरीके से लोगों की रिपोर्ट पॉजीटिव दी जा रही है, ताकि वे लोग कोविड बीमा पॉलिसी का लाभ ले सकें. इस काम में जमकर आर्थिक लेन-देन होने का आरोप भी उन्होंने लगाया था. साथ ही यह दावा भी किया था कि एक कोविड टेस्ट लैब से खुद उन्हें इस तरह का ऑफर मिला था. लेकिन यह आरोप लगाये हुए करीब सात दिन बीत जाने के बावजूद प्रकाश साबले अब तक यह नहीं बता पाये हैं कि उन्हें किस कोविड लैब से ऐसी ऑफर मिली थी. साथ ही उन्होंने अबतक इस बात का भी खुलासा नहीं किया है कि अब तक किन किन सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों ने फर्जी तरीके से अपनी फर्जी पॉजीटिव रिपोर्ट बनाई थी. जबकि उन्हें यह सब जानकारी दो दिन के भीतर जिप प्रशासन को देनी थी, ताकि प्रशासन मामले की जांच करते हुए संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई करे. किंतु चार पांच दिन बीत जाने के बाद भी जब साबले की ओर से कोई सबूत नहीं मिला, तो जिप प्रशासन ने अपने स्तर पर मामले की जांच करते हुए अपनी क्लोजर रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी है. वहीं इस पूरे मामले को पहले ही दिन से जिला प्रशासन ने बेहद गंभीरता से लिया था, क्योंकि साबले के आरोपों ने प्रशासन द्वारा विगत एक वर्ष से किये जा रहे तमाम कार्यों पर उपाययोजनाओं पर सवालिया निशान खड़े करने के साथ ही आम लोगों में इस संक्रामक बीमारी को लेकर अविश्वास का भाव पैदा कर दिया था, जिसकी वजह से ऐन लॉकडाऊन काल के दौरान लोगबाग यह सोचकर लापरवाह हो गये कि ऐसी कोई बीमारी नहीं है, बल्कि ये सब किसी घोटाले या साजिश का हिस्सा है. साथ ही साबले के आरोपों ने प्रशासन के प्रयासों को मजाक का विषय बना कर रख दिया. ऐसे में जिला प्रशासन इस पूरे मामले को लेकर बेहद गंभीर रूख में दिखाई दे रहा है. इस समय इस मामले की जांच पुलिस विभाग को सौंपी गई है और पुलिस जांच में जो भी व्यक्ति अफवाह व भ्रामक खबरें फैलाने का दोषी पाया जायेगा, उसके खिलाफ बेहद कड़ी कार्रवाई की जायेगी, ऐसा स्पष्ट संकेत खुद जिलाधीश शैलेश नवाल ने दिया है.
अमरावती मंडल के साथ बातचीत करते हुए जिलाधीश नवाल ने कहा कि कोरोना संदेहितों की जांच और संख्या में पारदर्शिता रखने हेतु निजी पैथॉलॉजी लैब में रैपिड एंटीजन टेस्ट बंद कराई गई. इसका कोई अन्य मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी कोरोना संक्रमित मरीज को उसके द्वारा खरीदी गई कोविड बीमा पॉलिसी का लाभ तभी मिलता है, जब उसकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट पॉजिटीव आती है. रैपिड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट बीमा लाभ के लिए ग्राह्य मानी ही नहीं जाती, ऐसे में निजी लैब में टेस्ट बंद कराने की बात को किसी अन्य बात से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. किंतु कुछ लोगों द्वारा फैलाई गई भ्रामक खबरों की वजह से जिले में असमंजस की स्थिति बन गई और प्रशासन को हालात संभालने के लिए और भी अधिक मशक्कत करनी पड़ी. ऐसे में सभी लोगों को चाहिए कि वे प्रशासन पर पहले की तरह पूरा विश्वास रखें. प्रशासन अपनी हर जिम्मेदारी को निभा रहा है तथा हमारा पूरा प्रयास है कि जल्द से जल्द कोरोना को लेकर हालात पहले की नियंत्रित हो जाये. इस बातचीत में कलेक्टर नवाल ने कई बार दोहराया कि संकट की इस घड़ी में जो लोग बेसिरपैर की बातें फैला कर लोगों में भ्रम पैदा करने का प्रयास करेंगे, प्रशासन द्वारा उन्हें बख्शा नहीं जायेगा.

Related Articles

Back to top button