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फर्जी दिव्यांग व नकली बीमार शिक्षकों पर होगी कार्रवाई

तबादले के लिए किया गया था जाली दस्तावेजों का प्रयोग

* 442 शिक्षकों के वैद्यकीय प्रमाणपत्र जांचे जाएंगे
* जिप सीईओ अविश्यांत पंडा ने जारी किए आदेेश
अमरावती/दि.6 – तबादले के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेते हुए खुद को गंभीर रुप से बीमार अथवा दिव्यांग बताने वाले शिक्षकों की संख्या लगातार बढ रही है और इसे लेकर जिप प्रशासन को बडे पैमाने पर शिकायतें प्राप्त हो रही है. जिसे ध्यान में रखते हुए जिला परिषद के सीईओ अविश्यांत पंडा ने करीब 422 शिक्षकों के वैद्यकीय प्रमाणपत्रों की जांच करने के आदेश जारी किए है. जिसके लिए 15 मई की अंतिम तिथि तय की गई है.
बता दें कि, इस समय जिला परिषद में अलग-अलग संवर्गों के कर्मचारियों की तबादला प्रक्रिया चल रही है. जिसमें शिक्षकों के तबादले का टाइम-टेबल काफी पहले ही घोषित हो गया था और तबादले के इच्छूक कई शिक्षकों ने ऑनलाइन आवेदन पेश किए थे. चूंकि तबादला प्रक्रिया में दिव्यांग एवं बीमार रहने वाले शिक्षकों को अलग संवर्ग के तहत पहली प्राथमिकता दी जा रही है. ऐसे में अधिकांश शिक्षकों ने इस संवर्ग का आधार लिया. जिसके लिए कई शिक्षकों ने खुद के पूरी तरह से स्वस्थ रहने के बावजूद खुद को दिव्यांग व गंभीर रुप से बीमार बताने के लिए फर्जी दस्तावेज जोडे. जिसके चलते इस संवर्ग में तबादले के इच्छूक शिक्षकों की तादात बढ गई है और सच में बीमार एवं दिव्यांग रहने वाले शिक्षकों के साथ अन्याय होने का खतरा पैदा हो गया. जिसकी वजह से इसे लेकर जिला परिषद के शिक्षा विभाग व सीईओ अविश्यांत पंडा के पास बडे पैमाने पर शिकायतें पहुंचनी शुरु हुई और मामले की गंभीरता को समझते हुए जिप सीईओ अविश्यांत पंडा ने दिव्यांग व बीमार संवर्ग से तबादले हेतु आवेदन करने वाले 422 शिक्षकों के वैद्यकीय प्रमाणपत्रों की जांच पडताल करने का आदेश जारी किया है. साथ ही इसे लेकर आगामी 15 मई तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

* ऐसे होगी वैद्यकीय जांच
अमरावती विभाग के लिए यवतमाल स्थित सरकारी अस्पताल में वैद्यकीय मंडल नियुक्त है. जिसमें सभी तरह के विशेषज्ञ डॉक्टरों का समावेश है और उनके द्बारा की गई जांच को अंतिम व सत्य माना जाता है. ऐसे में अपने अथवा अपने परिजनों की बीमारी या दिव्यांगता की वजह आगे करते हुए तबादला मांगने वाले शिक्षकों को उनके द्बारा प्रस्तूत किए गए वैद्यकीय प्रमाणपत्रों की यवतमाल के वैद्यकीय मंडल से जांच करवाकर लानी होगी. ऐसा सीईओ पंडा द्बारा जारी आदेश में कहा गया है. इस आदेशानुसार शिक्षाधिकारी प्रिया देशमुख ने तबादला मांगने वाले संबंधित शिक्षकों को इस आशय का पत्र भेजा है. जिसमें कहा गया है कि, वे तबादला आवेदन के साथ जोडे गए अपने वैद्यकीय प्रमाणपत्रों की यवतमाल के सरकारी अस्पताल में पदस्त वैद्यकीय मंडल से जांच पडताल करवाकर लाए और वैद्यकीय मंडल का प्रमाणपत्र 15 मई से पहले शिक्षा विभाग के समक्ष प्रस्तूत करें, ऐसे में अब सबकी निगाहे इस बात की ओर लगी हुई है कि, इस कालावधि के दौरान खुद को दिव्यांग व बीमार बताने वाले कितने शिक्षकों द्बारा अपना प्रमाणपत्र लाकर पेश किया जाता है. इसके साथ ही 15 मई को सच्चे व झूठे लोगों की संख्या भी स्पष्ट हो जाएगी.

* ऐसी है दिव्यांग व बीमार शिक्षकों की संख्या
खुद के बीमार रहने का प्रमाणपत्र जोडने वाले में सर्वाधिक 182 शिक्षकों ने ख्ाुद को अस्थिव्यंग का शिकार बताया है. इसके बाद दूसरे स्थान पर 86 शिक्षकों ने खुद को हृदयरोगी बताया है. जिसमें से 28 शिक्षकों ने अपनी हृदय शल्यक्रिया हो चुकने की बात कही है. वहीं 58 शिक्षकों ने बताया है कि, आने वाले वक्त में उनकी हृदय शल्यक्रिया होनी है. इसके अलावा 31 शिक्षक मस्तिष्क संबंधि बीमारियों व 18 शिक्षक कैंसर से पीडित है. इसके अलावा 13 शिक्षक पैरालिसिस, 8 शिक्षक किडनी संबंधित बीमारी तथा 1 शिक्षक थैलेसीमिया ग्रस्त है, ऐसा शिक्षकों द्बारा तबादले के लिए प्रस्तूत किए गए दस्तावेजों से पता चलता है, ऐसे में अब सभी शिक्षकों द्बारा प्रस्तूत किए गए वैद्यकीय प्रमाणपत्र की प्रशासन द्बारा जांच पडताल करवाने का आदेश जारी किया गया है.

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