जो भी दोषी होंगे, उन पर कार्रवाई की जायेगी
सुपर कोविड अस्पताल में होगी उच्चस्तरीय जांच
-
रेमडेसिविर बिक्री मामले में जिलाधीश नवाल की गंभीर चेतावनी
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१२ – गत रोज स्थानीय सुपर कोविड अस्पताल में मरीजों हेतु उपलब्ध कराये जानेवाले रेमडेसिविर इंजेक्शन के स्टॉक में से तीन इंजेक्शन यहां के वॉर्डबॉय द्वारा अपने कुछ साथियों के साथ बाहर ले जाकर बेचने और उनकी बेहद उंचे दामों पर कालाबाजारी करने का मामला सामने आया है. जिसे जिलाधीश शैलेश नवाल ने बेहद गंभीरता से लिया है और सुपर कोविड अस्पताल में उच्च स्तरीय जांच करने का आदेश जारी करते हुए कहा है कि, इस मामले में नीचे से उपर तक जो भी व्यक्ति दोषी पाया जायेगा, उसके खिलाफ सख्त व कडी कार्रवाई की जायेगी.
बता दें कि, गत रोज सुपर कोविड अस्पताल में बतौर अटेंडंट कार्यरत शुभम कुमोद सोनटक्के तथा महावीर हॉस्पिटल में अटेेंडंट के तौर पर कार्यरत शुभम शंकर किल्हेकर को अन्न औषधी प्रशासन सहित स्थानीय अपराध शाखा तथा पुलिस आयुक्त के विशेष पथक की टीम ने 600 रूपये के अधिकतम मूल्यवाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की 12 हजार रूपये में अवैध तरीके से बिक्री करते हुए जाल बिछाकर पकडा और उनके पास से 2 रेमडेसिविर इंजेक्शन भी बरामद किये. पश्चात इन दोनों ने अपने सहयोगियों के नाम बताने शुरू किये और एक-एक कर कुल 6 आरोपी धरे गये. जिनमें सुपर कोविड अस्पताल के अक्षय राठोड नामक डॉक्टर सहित इर्विन अस्पताल की एक महिला नर्स का समावेश है. जिसके पास से रेमडेसिविर इंजेक्शन का एक और वॉयल जप्त किया गया.
उल्लेखनीय है कि, रेमडेसिविर इंजेक्शन की बीते दिनों भारी किल्लत पैदा हो गयी थी. ऐसें में इस इंजेक्शन की कालाबाजारी को रोकने हेतु जिला प्रशासन ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति व वितरण अपने हाथ में लिया था और इंजेक्शन एक-एक वॉयल गिन-गिनकर दिया जा रहा था. साथ ही इंजेक्शन प्रयोग में लाये जाने के बाद खाली वॉयल भी जमा करने के निर्देश दिये गये थे. किंतु इसके बावजूद सुपर कोविड अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों व वॉर्डबॉय ने आपस में मिलीभगत करते हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने का रास्ता ढूंढ लिया और बीती रात यह पूरा मामला उजागर हुआ है.
इस संदर्भ में जानकारी व प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किये जाने पर जिलाधीश शैलेश नवाल ने कहा कि, इस पूरे मामले की बेहद सघन और कडी जांच की जायेगी तथा सुपर कोविड अस्पताल में काम करनेवाले हर एक व्यक्ति की भुमिका को जांचा जायेगा और जो भी व्यक्ति इसमें दोषी पाया जायेगा, उसके खिलाफ सख्त व कडी कार्रवाई भी की जायेगी.
जिलाधीश शैलेश नवाल के मुताबिक जिला प्रशासन द्वारा जिला सामान्य अस्पताल को रेमडेसिविर का सरकारी कोटा उपलब्ध कराया जाता है. जहां से सुपर कोविड अस्पताल को इंजेक्शन की खेप उपलब्ध करायी जाती है और कोविड अस्पताल के फार्मसी स्टोर से वहां के डॉक्टरों की परची पर रेमडेसिविर इंजेक्शन के वॉयल आवंटित किये जाते है और खाली वॉयल बैच नंबर के साथ वापिस जमा करने के भी निर्देश दिये गये है. ऐसे में सुपर कोविड अस्पताल के फार्मसी स्टोर से अब तक किस-किस बैच नंबर के कितने वॉयल किन मरीजों के नाम पर आवंटित किये गये और उसमें से कितने खाली वॉयल वापिस आये, इसकी जांच-पडताल की जायेगी. साथ ही हर एक मरीज के केस पेपर को बारीकी से जांचा जायेगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि, आखिर किन मरीजों के नाम पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की परची काटकर उन्हें इंजेक्शन लगाने की बजाय इंजेक्शनों को खुले बाजार में उंची दरों पर बेचने हेतु भिजवाया गया.
-
तो ‘उन’ मरीजों को क्या कोरी सलाईन चढाई गयी?
बीती रात हुई कार्रवाई के दौरान हिरासत में लिये गये लोगोें के पास से रेमडेसिविर इंजेक्शन के तीन एम्पल बरामद किये गये. साथ ही आरोपियों ने इस बात की भी कबुली दी है कि, वे इससे पहले भी सरकारी दवाखाने के कोटे में रहनेवाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर चुके है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, जिन मरीजों हेतु यह रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराये गये थे, क्या उन्हें रेमडेसिविर के नाम पर सादे ग्लुकोज की सलाईन ही चढा दी गई, क्योेंकि उनके नाम पर जारी होनेवाले इंजेक्शन को खुले बाजार में कालाबाजारी कर बेचे जा रहे थे. ऐसे में इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि, सुपर कोविड अस्पताल में कई मरीजों की मौत रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं मिलने की वजह से ही हुई हो, क्योेंकि उन मरीजों के हिस्से के रेमडेसिविर से कुछ लोग पैसा कमाने में व्यस्त थे.
-
समूचे विदर्भ के सरकारी अस्पताल बने कालाबाजारी का गढ
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, अब तक समूचे विदर्भ में जहां कही भी रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी उजागर हुई है, उसमें संबंधित क्षेत्रोें के सरकारी अस्पतालों से संबंधीत डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ की संलिप्तता सामने आयी है. चूंकि इस समय सभी सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिविर का भरपूर स्टॉक उपलब्ध है और निजी अस्पतालों में भरती मरीजों के लिए रेमडेसिविर की काफी हद तक किल्लत देखी जा रही है. ऐसे में सरकारी अस्पतालों की कर्मियों द्वारा निजी अस्पतालों में भरती मरीजों के परिजनों से संपर्क करते हुए उन्हें अनाप-शनाप दरों पर रेमडेसिविर के इंजेक्शन उपलब्ध करा रहे है. वहीं मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा इस इंजेक्शन के लिए मुंह मांगी रकम देने की तैयारी दर्शायी जा रही है. किंतु इन सब के चक्कर में उन मरीजों की जान खतरे में पड रही है, जो आर्थिक रूप से कमजोर है और सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए भरती हो रहे है. किंतु इन मरीजों के हिस्से के रेमडेसिविर इंजेक्शन निजी अस्पतालों में बेचे जा रहे है. शायद यहीं वजह है कि, इन दिनों सरकारी अस्पतालों में होनेवाली मौतों की संख्या बढ गयी है.
-
कोविड अस्पताल के डॉक्टरों की भुमिका संदेहास्पद
यह मामला उजागर होने के बाद सुपर कोविड अस्पताल के वरिष्ठ व जिम्मेदार डॉक्टरों द्वारा इस पूरे घटनाक्रम का ठिकरा अटेेंडंट व वॉर्डबॉय सहित फार्मसी स्टोर पर फोडने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही हर कोई अपनी जिम्मेदारी से बचने और अपना पल्ला झाडने की भी कोशिश कर रहा है. किंतू सबसे बडा सवाल यह है कि, डॉक्टरों की परची के बिना फार्मसी से कोई भी दवाई या इंजेक्शन बाहर नहीं आता और सिनियर डॉक्टर के राउंड पश्चात ज्यूनियर डॉक्टरों की देखरेख में हर एक मरीज को इंजेक्शन व सलाईन लगायी जाती है, चूंकि यहां मामला रेमडेसिविर जैसे इंजेक्शन का है. ऐसे में इस इंजेक्शन के हर एक एम्पल यानी वॉयल की गिनती की जाती है. ऐसे में किसी बडे व जिम्मेदार डॉक्टर भी संलिप्तता के बिना फार्मसी से रेमडेसिविर इंजेक्शन के वॉयल किसी अटेंडंट या वॉर्डबॉय व नर्स के हाथ नहीं लग सकते. किंतु इस मामले में अटेंडंट व नर्स के पास से तीन रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद किये गये है. साथ ही हिरासत में लिये गये आरोपियों ने इससे पहले भी रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी किये जाने की जानकारी दी है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, आखिर इन लोगों के पास रेमडेसिवर इंजेक्शन के वॉयल कैसे उपलब्ध हुए.