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राज्य में २० हजार प्राध्यापकों का अनुशेष

२०० पॉर्इंट रोस्टर पध्दति को लेकर मांग और विरोध

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२ – राज्य में विगत अनेक वर्षों से पदभरती बंद रहने के चलते विविध अनुदानित वरिष्ठ महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों के २० हजार पद रिक्त पडे है. वहीं अब राज्य के उच्च व तंत्र शिक्षा मंत्री उदय सावंत (Education Minister Uday Sawant) द्वारा ४० प्रतिशत पदभरती की घोषणा किये जाने के चलते २०० पॉर्इंट रोस्टर लागू करने की हलचले तेज हो गयी है. यदि ऐसा होता है तो इससे पहले अवसर नहीं मिलनेवाले पिछडावर्गीय अभ्यर्थियों को एक बार फिर पदभरती से दूर रहना पड सकता है.
बता दें कि, राज्य में वर्ष १९९० से सहायक प्राध्यापक भरती के लिए विषयनिहाय आरक्षण लागू किया गया है. लेकिन कुछ संगठनों ने केंद्रीय विद्यापीठों की तर्ज पर संवर्गनिहाय २०० पॉइंट रोस्टर लागू करने का आग्रह किया. केंद्र सरकार ने ९ जुलाई २०१९ को यह कानून केवल केंद्र सरकार के अख्तियारवाले विद्यापीठोें व उनसे संलग्नित महाविद्यालयों के लिए तैयार किया है. ऐसे में महाराष्ट्र के विद्यापीठों व शिक्षा संस्थाओं में संवर्गनिहाय रोस्टर लागू करने की मांग गलत रहने की बात फेडरेशन के केंद्रीय अध्यक्ष प्रा. मधुकर उईके ने व्यक्त की है. फिलहाल अस्तित्व में रहनेवाली १०० बिंदू नामावली के अनुसार ही विषय निहाय प्राध्यापक भरती में ओबीसी, एससी, एसटी व वीजे/एनटी के पद भरने का क्रमांक आया है, लेकिन अब यदि २०० पॉर्इंट रोस्टर लागू किया जाता है तो इन पिछडा वर्गीय उम्मीदवारों पर फिर एक बार अन्याय होने की संभावना है.
अत: नई रोस्टर पध्दति लागू न की जाये. ऐसी मांग ऑल इंडिया आदिवासी एम्प्लाईज फेडरेशन (All India Tribal Employees Federation) द्वारा की गई है. ज्ञात रहें कि, विगत २५-३० वर्षों से १०० बिंदू नामावली के अनुसार पदभरती की जा रही है. किसी विषय के चार पद भरते समय दो पद खुले संवर्ग के लिए होते है, वहीं अन्य दो पद बारी-बारी से आरक्षित संवर्गों हेतु आरक्षित रखे जाते है. लेकिन कई स्थानों पर रोस्टर घोटाले के मामले भी सामने आये है. जिसके तहत आरक्षित प्रवर्ग के पदों हेतु उम्मीदवार उपलब्ध नहीं रहने की वजह आगे करते हुए इन आरक्षित पदों को अन्य प्रवर्गों में परावर्तीत कर लिये जाने का आरोप फेडरेशन द्वारा लगाया गया है और कहा गया है कि, इस समय केवल एससी/एसटी, ओबीसी, वीजे/एनटी व एसबीसी प्रवर्ग का ही अनुशेष बाकी है.

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