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आयटीआय से सुपर कोविड सडक को पक्का करना भुला प्रशासन

आठ माह से अधूरा पडा है सडक का निर्माण कार्य

अमरावती/दि.24 – विगत जुलाई से सितंबर माह के दौरान जब कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होना शुरू हुआ था, तो प्रशासन ने सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था के ग्रामीण विकास यंत्रणा विभाग की इमारत सहित विभागीय क्रीडा संकुल में कोविड संक्रमित मरीजों के लिए बेड उपलब्ध कराने की तैयारी शुरू की थी और इन तीनों स्थानों के बीच डॉक्टरों सहित एम्बुलेन्स वाहनों की आवाजाही के लिए लंबा चक्कर न काटना पडे, इस बात के मद्देनजर सुपर कोविड अस्पताल और सरकारी आयटीआय के बीच सडक बनाने के काम को मंजूरी दी गई. जिसके लिए बाकायदा सरकारी निधी भी मंजूर की गई और यहां पर सडक के निर्माण का काम शुरू हुआ. किंतु आठ माह का वक्त बीत जाने के बावजूद इस सडक का निर्माण अब तक अधूरा है और यहां सडक के नाम पर केवल मिट्टी और गिट्टी डालने का ही काम हुआ है. जबकि इस अवधि के दौरान इस सडक का डामरीकरण भी हो जाना चाहिए था.
बता दें कि, इस समय शासकीय आयटीआय की इमारत में ही कोरोना संदेहित मरीजों की आरटीपीसीआर टेस्ट का काम चलता है. ऐसे में यहां पर दोनों ओर से लोगोें का आना-जाना जारी रहता है. साथ ही इस कच्ची सडक से रोजाना कई एम्बुलेन्स वाहनों का सुपर कोविड अस्पताल में आना-जाना चलता है और अस्पताल जल्दी पहुंचने हेतु कई डॉक्टरों द्वारा भी इसी सडक का इस्तेमाल किया जाता है. किंतु कच्ची सडक पर चारों ओर फैली मिट्टी और गिट्टी की वजह से वाहनों की रफ्तार अपने आप कम हो जाती है. साथ ही कई दुपहिया वाहनों का संतुलन भी बिगड जाता है. इसके अलावा एम्बुलन्स जैसे वाहन गुजरने के बाद यहां काफी देर तक हवा में धुल उडती रहती है. ऐसे में यहां पर जल्द से जल्द इस सडक का डामरीकरण किया जाना जरूरी है. जिसकी ओर प्रशासन द्वारा ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर व स्थानीय विधायक सुलभा खोडके द्वारा इस सडक के निर्माण हेतु प्रयास करते हुए सरकारी निधी को मंजूरी दिलायी गयी है. ऐसे में यह समझ से परे है कि, आखिर यह काम बीच में ही क्योें अटक गया.

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