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सिकलसेल मरीजों की समस्याओं पर ध्यान दें प्रशासन

सिकलसेल संघ ने सौंपा जिलाधीश को ज्ञापन

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१५ – इस समय दिनोंदिन सिकलसेल की बीमारी का प्रमाण बढ रहा है, लेकिन बावजूद इसके इन मरीजों की सुरक्षा हेतु राज्य सरकार ने किसी तरह की कोई व्यवस्था तैयार नहीं की है. इसके परिणाम स्वरूप सिकलसेल से पीडित मरीज तमाम योजनाओं से ग्रस्त होकर मौत के दरवाजे पर खडे है. ऐसे में सिकलसेल मरीजों की न्यायोचित मांगोें पर सरकार एवं प्रशासन ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए. इस आशय की मांग सिकलसेल संघ द्वारा जिलाधीश को सौंपे ज्ञापन में की गई है.
इस ज्ञापन में कहा गया कि, प्रत्येक जिले के जिला सामान्य अस्पताल में सिकलसेल मरीजों हेतु 30 बेड का स्वतंत्र वॉर्ड होना चाहिए. जहां पर चौबीसौ घंटे तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवायी जानी चाहिए. साथ ही इस बीमारी को लेकर समाज में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में खास तौर से जनजागृति अभियान चलाया जाना चाहिए. इसके अलावा सिकलसेल मरीजों को फिलहाल अस्थायी तौर पर अपंगत्व प्रमाणपत्र दिया जाता है, जो स्थायी तौर पर चाहिए, क्योंकि यह एक अनुवंशिक बीमारी है, जो कभी ठीक नहीं हो सकती. ऐसे में हर साल सिकलसेलग्रस्त मरीजों को अपने प्रमाणपत्र का नूतनीकरण करने हेतु जिला सामान्य अस्पताल में चक्कर कांटने पडते है. जिससे इन मरीजों को काफी तकलीफे होती है. ऐसे में सिकलसेल संक्रमित मरीजों को स्थायी रूप से अपंगत्व प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए. इसके अलावा दिव्यांग संवर्ग हेतु सरकारी नौकरी में उपलब्ध रहनेवाले चार प्रतिशत आरक्षण का लाभ भी सिकलसेल पीडित मरीजों को दिया जाना चाहिए.
ज्ञापन सौंपते समय सिकलसेल संघ के अध्यक्ष गौतम भगत, उपाध्यक्ष अशोक भोरे, सचिव दिवाकर मेश्राम तथा सदस्य बाबूराव वासनिक, विष्णु बोरडे, बाबाराव राउत व रोहित दुपारी आदि उपस्थित थे.

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