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मंडल’ की खबर के बाद दबाव डालनेवालों ने पीछे खींचे कदम

‘लक्ष्मीकांत’ के कार्यालय में कल फिर हुई बैठक

* कोविड क्लेम के फर्जीवाडे पर परदा डालने की पूरी कोशिश

अमरावती/दि.4- दो दिन पूर्व बोहरा गली परिसर निवासी एक महिला द्वारा बिना कोविड संक्रमित हुए अपने बैंक खाते में कोविड इन्शुरन्स क्लेम के ढाई लाख रूपये जमा होने को लेकर शिकायत दर्ज कराये जाते ही शहर में कोविड इन्शुरन्स क्लेम के नाम पर विगत डेढ वर्ष से फर्जीवाडा चला रहे ‘लक्ष्मीकांत’ व ‘महा-वीर’ जैसे लोगों में जबर्दस्त हडकंप मच गया था तथा शिकायतकर्ता महिला पर उसी के समुदाय के कुछ प्रतिष्ठित लोगों के जरिये अपनी शिकायत वापिस लेने को लेकर जबर्दस्त दबाव भी बनाया जा रहा था. किंतु इस संदर्भ में गत रोज जैसे ही दैनिक अमरावती मंडल ने खबर प्रकाशित करते हुए शहर पुलिस अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी कि, अब उस शिकायत को वापिस लेकर भी कोई फायदा नहीं है, बल्कि शिकायत वापिस लेना खुद फिर्यादी महिला पर भारी पड सकता है, तो उस पर दबाव बनानेवाले लोगों ने भी अपने कदम वापिस खींच लिये है. ऐसे में अब उस शिकायत पर आर्थिक अपराध शाखा द्वारा आगे की कार्रवाई करते हुए फिर्यादी महिला सहित उसके द्वारा प्रतिवादी बनायी गई बीमा एजेंट महिला के बयान दर्ज करने का काम किया गया. वहीं दूसरी ओर इस मामले में खुद को चारों ओर से घिरता हुआ देखकर गत रोज ‘लक्ष्मीकांत’ नामक शख्स द्वारा एक बार फिर अपने कार्यालय में अपने कुछ बेहद खास लोगों की मीटिंग बुलाई गई. जिसमें इस पूरे मामले पर परदा डालने को लेकर किये जानेवाले उपायों व प्रयासों पर विचार मंथन किया गया.
बता दें कि, बोहरा गली परिसर निवासी फिर्यादी महिला ने सीधे पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह से मुलाकात कर उन्हें इस फर्जीवाडे की जानकारी दी थी. ऐसे में हर तरह के अपराध के खिलाफ बेहद सख्त मिजाज रखनेवाली सीपी डॉ. आरती सिंह ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया और तुरंत ही आर्थिक अपराध शाखा के पीआई शिवाजी बचाटे को तलब करते हुए उन्हें इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा. साथ ही इस मामले में होनेवाले हर एक अपडेट की जानकारी रोजाना पेश करने की हिदायत भी दी. ऐसे में आर्थिक अपराध शाखा द्वारा पूरी संजीदगी के साथ इस मामले की जांच की जा रही है.

* ‘उस’ महिला ने पास करवाये 75 क्लेम

इस मामले में पता चला है कि, बोहरा गली परिसर में रहनेवाली और बीमा एजेंट के तौर पर काम करनेवाली महिला ने करीब 75 कोविड इन्शुरन्स क्लेम पास कराये है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि, 15 से 20 एजेंटों की टीम रखनेवाले ‘लक्ष्मीकांत’ के जरिये कितने कोविड क्लेम पास हुए होंगे. वहीं जानकारी यह भी है कि, श्रीकृष्णपेठ स्थित ‘उस’ निजी कोविड अस्पताल में फर्जी तरीके से 150 से अधिक कोविड इन्शुरन्स क्लेम पास किये गये है. ऐसे में आर्थिक अपराध शाखा द्वारा संबंधित अस्पताल सहित कोविड इन्शुरन्स कंपनियों के नाम बाकायदा नोटीस जारी करते हुए उनके जानकारी मांगी गई है. जिससे संबंधितों में जबर्दस्त हडकंप व्याप्त है, क्योंकि कोविड इन्शुरन्स क्लेम की राशि में बीमा एजेंटों, अस्पताल के डॉक्टर तथा खुद इन्शुरन्स कंपनियों के अधिकारियों की मिलीभगत थी. ऐसी दबी जुबान में चर्चा चल रही है. जिसके चलते इस समय हर कोई अपनी चमडी बचाने का प्रयास कर रहा है.

* श्रीकृष्ण पेठ के हॉस्पिटल सहित ‘उस’ होटल की भी होगी पडताल

बता दें कि, श्रीकृष्ण पेठ में अस्पताल चलानेवाले डॉक्टर द्वारा कोविड संक्रमण की पहली लहर के दौरान शहर में स्थित एक होटल में अपना निजी कोविड अस्पताल शुरू किया था. जिसे पहली लहर के खत्म होते ही बंद कर दिया गया. इस होटल में चलाये गये कोविड अस्पताल में ओवरचार्जिंग यानी सरकार द्वारा तय दरों से अधिक शुल्क वसूल करने की शिकायतें बडे पैमाने पर सामने आयी थी. साथ ही इस होटलनुमा हॉस्पिटल में भरती किये गये कई मरीजों के भी कोविड क्लेम पास हुए थे. ऐसे में आर्थिक अपराध शाखा द्वारा श्रीकृष्ण पेठ स्थित अस्पताल के दस्तावेजों को खंगाले के साथ-साथ अब इस बात की भी जांच की जा रही है कि, कोविड संक्रमण की पहली लहर के दौरान इसी डॉक्टर द्वारा शहर के ‘प्राईम’ लोकेशन पर स्थित होटल में शुरू किये गये निजी कोविड अस्पताल में कितने मरीज भरती हुए थे और उनमें से कितने मरीजों के कोविड क्लेम पास किये गये.

* पॉजीटीव रिपोर्ट कहां से आयी, इसकी भी होगी जांच

याद दिला दे कि, कोविड संक्रमण के प्रारंभिक दौर में केवल आरटीपीसीआर टेस्ट की ही सुविधा उपलब्ध थी. जिसमें गले से थ्रोट स्वैब सैम्पल लिया जाता था. यह जांच करने की सुविधा अमरावती की कोविड टेस्ट लैब सहित नागपुर की एक निजी पैथालॉजी लैब में उपलब्ध थी. किंतु इस टेस्ट की रिपोर्ट आने में करीब दो से तीन दिन का समय लग जाया करता था. वहीं बाद में रैपीड एंटीजन टेस्ट का पर्याय सामने आया. जिसमें नाक के जरिये स्वैब का सैम्पल लेकर महज 10 से 15 मिनट में पॉजीटीव या निगेटीव रिपोर्ट पता चल जाती थी. टेस्टिंग का यह नया पर्याय सामने आते ही गली-मोहल्लों में स्थित अधिकांश अस्पतालों में रैपीड एंटीजन टेस्ट कीट की सुविधा उपलब्ध हो गई थी. जहां पर धडल्ले से कोविड टेस्ट की जा रही थी. किंतु निजी अस्पतालों में की जा रही रैपीड एंटीजन टेस्ट और इसके जरिये दी गई पॉजीटीव रिपोर्ट को लेकर भी बाद में काफी हंगामा मचा और पता चला कि, कई मामलों में जानबूझकर कई लोगों की टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटीव दर्शाई गई है. ऐसे में सरकार ने कुछेक अपवादों को छोडकर अधिकांश स्थानों पर रैपीड एंटीजन टेस्ट करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. किंतु अब ताजा मामला सामने आने के बाद आर्थिक अपराध शाखा द्वारा इस बात की भी जांच की जा रही है कि, कोविड इन्शुरन्स पॉलिसियों के क्लेम का फायदा उठानेवाले कितने लोगों ने अपनी कोविड टेस्ट कहां पर व किस तरीके से कराई थी और इनमें से कितने लोग कोविड पॉजीटीव आने के बाद वाकई कोविड अस्पतालों में भरती भी थे.

* अकोला के सर्वेअर की सबसे प्रमुख भूमिका

हमें मिली जानकारी के मुताबिक अमरावती में 15-20 बीमा एजेंटों के जरिये कोविड इन्शुरन्स क्लेम का फर्जीवाडा चलानेवाला ‘लक्ष्मीकांत’ नामक शख्स खुद मुख्य सूत्रधार नहीं है, बल्कि ‘वन ऑफ द मास्टरमाइंड’ है. वहीं अकोला में रहनेवाला बीमा कंपनी का सर्वेअर इस पूरे फर्जीवाडे का प्रमूख सूत्रधार है. जिसने इस काम के लिए अपनी एक खास टीम बना रखी थी और उसमें विशिष्ट समुदाय के लोगों को ही भरती किया गया था. इसी सर्वेअर ने ‘लक्ष्मीकांत’ व ‘महा-वीर’ जैसे लोगों के जरिये इस फर्जीवाडे के जाल को आगे फैलाया और इसमें कई बीमा एजेंटों को शामिल करते हुए हजारों लोगों के नाम पर करोडों रूपये के बीमा क्लेम पास कराये गये. जिनकी सभी के बीच जमकर बंटरबांट हुई. अत: शहर पुलिस की अपराध शाखा को अपनी जांच का दायरा अमरावती से लेकर अकोला तक फैलाना होगा और कुछ बडे गिरेबानों पर भी हाथ डालने की तैयारी करनी होगी, क्योंकि यह अपने आप में काफी बडा घोटाला है.

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