नागपुर/प्रतिनिधि दि.२ – आषाढी एकादशी के पर्व पर दस मानांकित पालखियों के साथ ही अन्य पालखियों को भी पंढरपुर जाने की अनुमति मिले, इस हेतु नागपुर की लोकनायक बापुजी अणे स्मारक समिती द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दाखिल की गई है. जिस पर जल्द ही सुनवाई होगी.
बता दें कि, इस वर्ष आगामी 20 जुलाई को आषाढी एकादशी पड रही है और भगवान विठ्ठल की भक्ति करनेवाले वारकरी संप्रदाय के लिए आषाढी एकादशी का पर्व सबसे महत्वपूर्ण होता है और आषाढी एकादशी के लिए प्रतिवर्ष समूचे राज्य से हजारों पालखियां ‘जय हरी विठ्ठल’ व ‘ज्ञानबा तुकाराम’ का जयघोष करते हुए पंढरपुर जाती है. किंतु कोविड संक्रमण के चलते गत वर्ष से पंढरपुर वारी पर प्रतिबंध लगाया गया है और इस वर्ष भी राज्य सरकार द्वारा केवल 10 मानांकित पालखियों को ही पंढरपुर जाने की अनुमति दी गई है. ऐसे में विविध धार्मिक संस्थाओं एवं अन्य पालखियों को भी पंढरपुर जाने की अनुमति मिलने हेतु राज्य सरकार को निवेदन दिये गये है. साथ ही वारकरी संप्रदाय की भावनाओं के मद्देनजर समिती के अध्यक्ष अमृत दिवाण व संयोजक एड. अमृत काले विगत 8 जून को मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे को इस बारे में पत्र लिखा था. लेकिन सरकार द्वारा इसे गंभीरता से नहीं लिया गया. जिसके पश्चात हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए कहा गया कि, अदालत द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप किया जाये और मानांकित पालखियों सहित अन्य पालखियों को ही पंढरपुर जाने की अनुमति देने की मांग पर विचार करने का निर्देश सरकार को दिया जाये. इसके अलावा मानांकित पालखियों सहित अन्य कितनी पालखियों को अनुमति दी जा सकती है, यह निर्धारित करने हेतु एक समिती स्थापित की जाये. ऐसा भी याचिकाकर्ताओं का कहना रहा. इस याचिका में राज्य के मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है.
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समानता के अधिकार का उल्लंघन
इस याचिका में कहा गया है कि, वारकरी संप्रदाय का पूरा तत्वज्ञान समानता के सिध्दांत पर आधारित है. इस संप्रदाय में संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, संत चोखोबा, संत गोरोबा व संत निलोबा अलग-अलग जातियों से वास्ता रखते थे और इन सभी ने समाज को समानता की सीख दी. किंतु इसके बावजूद सरकार ने कुछ पालखियों को मानांकित का दर्जा देते हुए पंढरपुर जाने की अनुमति देकर समानता के अधिकार का उल्लंघन किया है. अत: सरकार द्वारा अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए सभी पालखियों को पंढरपुर जाने की अनुमति दी जाये.