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शिक्षा के साथ ही आर्थिक व सामाजिक विकास की जिम्मेदारी भी उठाये विद्यापीठ

  •  दीक्षांत भाषण में केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी का कथन

  •  शंकरबाबा पापलकर की डी. लिट को बताया विद्यापीठ के इतिहास का सर्वाधिक आनंदवाला क्षण

अमरावती/प्रतिनिधि दि.29 – शिक्षा दान का कार्य करनेवाले विद्यापीठ द्वारा अपने भौगोलिक परिसर के सामाजिक व आर्थिक विकास की भी जिम्मेदारी स्वीकारी जानी चाहिए, ताकि इस जरिये संबंधित परिसर का संतुलित विकास हो. इस हेतु विद्यापीठ व महाविद्यालयीन शिक्षकों, संशोधकों व विद्यार्थियों ने स्वयंस्फूर्त रूप से आगे आकर जवाबदारी उठानी चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी द्वारा किया गया. अमरावती विद्यापीठ के 37 वें दीक्षांत समारोह में दीक्षांत भाषण प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय मंत्री गडकरी द्वारा उपरोक्त विचार व्यक्त किये गये.
राज्य के राज्यपाल तथा विद्यापीठ के कुलपति भगतसिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में ऑनलाईन तरीके से आयोजीत किये गये इस दीक्षांत समारोह में विशेष अतिथि के रूप में राज्य के उच्च व तंत्रशिक्षा मंत्री उदय सामंत, कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर, प्र-कुलगुरू डॉ. राजेश जयपूरकर, कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख सहित सभी विद्याशाखाओं के अधिष्ठाता व व्यवस्थापन परिषद के सदस्य उपस्थित थे.
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने कहा कि, शिक्षा को समाज परिवर्तन का साधन माना जाता है और अमरावती विद्यापीठ द्वारा कर्मयोगी संत गाडगेबाबा के विचारों को समाज तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. साथ ही गाडगेबाबा के विचारों पर चलते हुए समाजसेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर देनेवाले वरिष्ठ समाजसेवक शंकरबाबा पापलकर को विद्यापीठ द्वारा डी.लिट. की पदवी से सम्मानित करने का प्रसंग ऐतिहासिक व आनंददायी है. शंकरबाबा ने अनाथों व दिव्यांगों के लिए अपना जीवन समर्पित करते समय समाज के समक्ष एक आदर्श प्रस्थापित किया है. जिनसे समाज के सभी लोगों ने प्रेरणा लेनी चाहिए. इस समय उन्होंने यह भी कहा कि, मौजूदा समय में देश के समक्ष कई समस्याएं है. साथ ही इन दिनों कोविड सहित विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष करना पड रहा है. इसके बावजूद देश ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है. जिसके जरिये राष्ट्रीय व सामाजिक पुननिर्माण हो रहा है. इस समय नये-नये तकनीकी ज्ञान का आधार लेकर सामाजिक विकास साधने हेतु शिक्षा क्षेत्र के विभिन्न घटकों ने आगे आना चाहिए तथा सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक विकास हेतु विद्यापीठ द्वारा ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया जाना चाहिए.
विद्यापीठ द्वारा लोणार सरोवर संशोधन की जवाबदारी ली गई है. यह क्षेत्र मैन मेड फाईबर का केंद्र स्थान है और यहां पर बडे पैमाने पर संतरे के बागान है. साथ ही यहां पर टेक्सटाईल इंडस्ट्री भी स्थापित है और इस क्षेत्र में बडे पैमाने पर कपास का भी उत्पादन होता है. ऐसे में किसानों की आय व जीडीपी को बढाने की जिम्मेदारी विद्यापीठ द्वारा उठायी जाये. इस आशय का आवाहन करते हुए केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने विद्यापीठों के प्राध्यापकोें द्वारा पेटेंट हासिल करने को लेकर आनंद व्यक्त किया. साथ ही सभी आचार्य पदवीधारक व पदवीकांक्षियों सहित गुणवत्ता प्राप्त विद्यार्थियोें का अभिनंदन करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी.
इस दीक्षांत समारोह में विशेष अतिथि के तौर पर उपस्थित राज्य के उच्च व तंत्र शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने विद्यापीठ द्वारा आयोजीत दीक्षांत समारोह की प्रशंसा करने के साथ ही वरिष्ठ समाजसेवक शंकरबाबा पापलकर को डी. लिट. की मानद पदवी से सम्मानित किये जाने की सराहना की. साथ ही कहा कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान संगाबा अमरावती विद्यापीठ ने कई समाजोपयोगी उपक्रम शुरू किये. इस दौरान विद्यापीठ परिसर में सरकारी कोविड टेस्ट लैब खोली गयी. जहां पर विद्यापीठ के प्राध्यापकों व विद्यार्थियों द्वारा विगत एक वर्ष से कोविड संदेहित लोगों के थ्रोट स्वैब सैम्पलों की जांच की जा रही है. इसी तरह रासेयो पथक के विद्यार्थियों द्वारा कोरोना के संदर्भ में जनजागृति करते हुए पुलिस मित्र व स्वास्थ्य दूत के तौर पर काम किया जा रहा है. इस हेतु विद्यार्थियों सहित उनके अभिभावक भी बधाई के पात्र है. साथ ही उन्होंने कहा कि, विद्यार्थियों की समस्याओं को हल करने हेतु राज्य सरकार प्रयासरत है और विद्यार्थी बीमा योजना की त्रृटियों को सुधारा जा रहा है. इसके अलावा विद्यार्थियों व पालकों को होनेवाली तकलीफों को कम करने हेतु महाराष्ट्र के प्रत्येक विद्यापीठ के हर एक विद्यार्थी को उनकी संपूर्ण जानकारी रहनेवाला स्मार्ट कार्ड देने का भी प्रयास किया जा रहा है.

  •  अपनी शिक्षा को समाज व देश के हित में काम लाये

– अध्यक्षीय संबोधन में राज्यपाल व कुलपति कोश्यारी का संदेश
कोविड की संक्रामक महामारी के खतरे को देखते हुए ऑनलाईन तरीके से आयोजीत किये गये विद्यापीठ के 37 वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्य के राज्यपाल व विद्यापीठ के कुलपति भगतसिंह कोश्यारी ने कहा कि, महाविद्यालयीन जीवन को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के दौरान अर्जीत किये गये ज्ञान को सभी पदवी प्राप्त विद्यार्थियों एवं संशोधकों द्वारा देश और समाज के हित में प्रयोग में लाया जाना चाहिए. यदि आपके द्वारा अर्जीत ज्ञान से देश और समाज तथा समाज के अंतिम घटक को लाभ पहुंचता है, तभी आप अपनी शिक्षा को सही अर्थों में सार्थक मान सकते है. संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ द्वारा शिक्षादान के साथ ही अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत किये जानेवाले सामाजिक उपक्रमों की सराहना करते हुए राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने विद्यापीठ द्वारा वरिष्ठ समाजसेवक शंकरबाबा पापलकर को डी. लिट. की मानद पदवी प्रदान किये जाने को विद्यापीठ का ऐतिहासिक व अभूतपूर्व फैसला बताया और शंकरबाबा पापलकर के कार्यों को सभी के लिए प्रेरणादायी बताते हुए कहा कि, आज समाज को ऐसे ही सच्चे समाजसेवकों की जरूरत है. इसके साथ ही राज्यपाल कोश्यारी ने दीक्षांत अतिथि के रूप में उपस्थित केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी द्वारा किये जाते कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि, केंद्रीय मंत्री गडकरी ने अपने कार्यों के जरिये समूचे विश्व में भारत देश का नाम उंचा किया है. अत: सभी विद्यार्थियों को नितीन गडकरी के कार्यों से भी प्रेरणा लेनी चाहिए. इस समय अपने संबोधन में राज्यपाल व कुलपति कोश्यारी ने यह भी कहा कि, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को आत्मनिर्भर होने का संकल्प व संदेश दिया है. ऐसे में सभी विद्यार्थियों ने अपने देश व प्रदेश के विकास में सहकार्य व योगदान देने का प्रयास करना चाहिए और कर्म को ही पूजा मानकर जीवनपथ पर आगे बढना चाहिए.

इस दीक्षांत समारोह में सर्वप्रथम सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर ने आयोजन की प्रस्तावना रखी. साथ ही विद्यापीठ द्वारा दी जानेवाली डी. लिट. की मानद पदवी का स्वीकार करने हेतु शंकरबाबा पापलकर के प्रति आभार ज्ञापित किया. साथ ही उन्होंने इस बात को लेकर अफसोस भी जताया कि, इस दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष सहभागी नहीं किया जा सका है. इसके अलावा उन्होंने विद्यापीठ द्वारा किये जा रहे विविध कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि, विद्यापीठ की कोविड टेस्ट लैब में अब तक करीब पौन 4 लाख सैम्पलों की जांच की जा चुकी है. साथ ही विद्यापीठ की ओर से नैक को प्रस्ताव भेजा जा चुका है. इसके अलावा डिजीटलायजेशन, आपत्ति व्यवस्थापन, जलसंवर्धन, सौर उर्जा प्रकल्प जैसे विविध कामों के लिए प्राप्त निधी विविध शैक्षणिक व सामाजिक उपक्रम एवं पेटेंट आदि की जानकारी भी कुलगुरू डॉ. चांदेकर द्वारा प्रस्तुत की गई.
इस आयोजन का प्रारंभ राष्ट्रगीत व विद्यापीठ गीत से हुआ. कार्यक्रम में संचालन डॉ. मोना चिमोटे व डॉ. प्रणव कोलते द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम का समापन पसायदान व राष्ट्रगीत से हुआ. इस आयोजन में विद्यापीठ के शिक्षक, अधिकारी व कर्मचारी, महाविद्यालयों के प्राचार्य, शिक्षक, विद्यार्थी, अभिभावक तथा पत्रकारों सहित सामान्य नागरिक बडी संख्या में ऑनलाईन पध्दति से उपस्थित हुए.

  • मानद डी. लिट. से सम्मानित हुए शंकरबाबा पापलकर

वरिष्ठ समाजसेवक शंकरबाबा पापलकर को विद्यापीठ की सर्वोच्च पदवी मानद मानव विज्ञान पंडित (डी. लिट.) प्रदान करते हुए सम्मानित किया गया. इस अवसर पर कुलपति भगतसिंह कोश्यारी की ओर से कुलगुरू डॉ. मुरलीधर चांदेकर ने शंकरबाबा पापलकर का पदवी प्रमाणपत्र, गौरव घोष, शॉल व संत गाडगेबाबा की प्रतिमा देकर सम्मान किया. साथ ही इस समय शंकरबाबा पापलकर द्वारा किये गये कार्यों की जानकारी पर आधारित डॉक्युमेंट्री भी प्रस्तुत की गई.

  • 316 संशोधकों को पीएचडी, 83 परीक्षार्थियों को पदक व नकद पुरस्कार

  • 110 सुवर्णपदक, 22 रजत पदक व 22 नकद पुरस्कार दिये गये

  • सर्वाधिक 6 सुवर्ण अमरावती की सारिका वनवे को

  • 5 सुवर्ण व 1 रजत अकोला के तेजस राठी को

बता दें कि, विद्यापीठ द्वारा ली गई ग्रीष्मकालीन 2020 की परीक्षा में 3 लाख 79 हजार परीक्षार्थियों द्वारा 685 विषयों की परीक्षा दी गई थी. वहीं शीतकालीन-2019 मे 3 लाख 25 हजार 643 विद्यार्थियों द्वारा 620 विषयों की परीक्षा दी गई थी. इन परीक्षाओें में उल्लेखनीय सफलता के साथ ही प्राविण्यता सूची में स्थान हासिल करनेवाले 83 विद्यार्थियों को इस दीक्षांत समारोह में 110 सुवर्ण पदक, 22 रजत पदक तथा 22 नकद पुरस्कार ऐसे कुल 154 पुरस्कारों का वितरण किया गया. जिसमें सर्वाधिक 6 सुवर्ण पदक अमरावती विद्यापीठ अंतर्गत मराठी पदव्युत्तर विभागइ की सारिका विष्णुपंत वनवे ने हासिल किये. साथ ही इस छात्रा ने एक नकद पुरस्कार भी हासिल किया. इसके अलावा अकोला के सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्र तेजस दिनेश राठी ने 5 सुवर्ण व 1 रजत सहित एक नकद पुरस्कार हासिल किया. पदक व पुरस्कार प्राप्त करनेवाले 83 मेधावी परीक्षार्थियों में 65 छात्राओं तथा 18 छात्रों का समावेश रहा. इसके अलावा इस दीक्षांत समारोह में कुल 316 संशोधकों को पीएचडी यानी आचार्य की पदवी प्रदान की गई. जिनमें विज्ञान व तंत्रज्ञान विद्याशाखा के 126, मानव्य विज्ञान विद्याशाखा के 87, वाणिज्य व व्यवस्थापन विद्याशाखा के 19 तथा आंतर विद्याशाखिय अभ्यास विद्याशाखा के 52 संशोधकों का समावेश रहा. इन सभी संशोधकों व पदक प्राप्त परिक्षार्थियों का गणमान्यों द्वारा अभिनंदन किया गया.

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