‘मैग्नेटिक महाराष्ट्र’ में अमरावती की लगी लॉटरी
दो बडे उद्योगों के साथ हुआ एमओयू
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932 करोड का होगा निवेश, 2 हजार नये रोजगार के अवसर बनेंगे
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विदर्भ के शेष दस जिलों की झोली रही खाली
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बडे उद्योजक विदर्भ में निवेश करने के खास इचछूक नहीं
अमरावती प्रतिनिधि/दि.१ – राज्य में निवेश बढाने के साथ ही बडी संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु ‘मैग्नेटिक महाराष्ट्र-2.0’ उपक्रम चलाया जा रहा है. इस जरिये औद्योगिक रूप से पिछडे और अविकसित क्षेत्रों में नये उद्योग स्थापित करने का लक्ष्य तय किया गया है और ऐसे क्षेत्रों में तमाम आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए औद्योगिक समूहों के साथ करार किये जा रहे है. विगत सप्ताह ही इस उपक्रम के तीसरे चरण में 25 भारतीय कंपनियों के साथ 61 हजार करोड रूपयों के निवेश संदर्भ में करार किये गये. जिससे 2 लाख 53 हजार 880 लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा. साथ ही बीते एक वर्ष के दौरान विभिन्न देशी व विदेशी कंपनियों के साथ सामंजस्य करार करते हुए करीब 2 लाख करोड रूपयों का निवेश हो चुका है. किंतु पाया जा रहा है कि, अधिकांश निवेशक पुणे व मुंबई जैसे औद्योगिक रूप से विकसित बडे शहरों में ही निवेश करने के इच्छूक है तथा विदर्भ एवं मराठवाडा जैसे क्षेत्रों में निवेश को लेकर कोई खास उत्सूकता नहीं देखी जा रही. किंतु इस मामले में अमरावती जिला थोडा सौभाग्यशाली रहा, क्योेंकि मैग्नेटिक महाराष्ट्र के तहत विदर्भ में अकेले अमरावती में दो बडे उद्योग समूहों का एमओयू हुआ है. जिसमें वस्त्रोद्योग क्षेत्र के कार्यरत श्रीधर काटसन तथा फार्मा क्षेत्र में कार्यरत हरमन फिनोकेन लि. मेडिसीन कंपनी ने अमरावती में कुल 932 करोड रूपए निवेश करने का करार किया है. इसमें से हरमन फिनोंकेन को एक दिन पूर्व ही नांदगांव पेठ एमआयडीसी में जमीन आवंटित भी हो गयी. वहीं विदर्भ क्षेत्र के अन्य दस जिलों की झोली अब तक खाली है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, पूर्वी विदर्भ में नागपुर जैसा देश का मध्यवर्ती शहर स्थित है. जहां पर परिवहन के एक से बढकर एक साधन उपलब्ध है. साथ ही नागपुर में मिहान जैसा बडा प्रकल्प भी है, लेकिन बावजूद इसके बडे उद्योजक नागपुर में निवेश करने को लेकर कोई खास उत्सूक नहीं है. वहीं भंडारा, गोंदिया, गडचिरोली, चंद्रपुर व वर्धा इन पांच जिलों में उद्योगोें के लिए कोई विशेष सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं है. जिसकी वजह से वहां पर उद्योग आना ही नहीं चाहते. इसी तरह पश्चिम विदर्भ में अमरावती को छोडकर अकोला, वाशिम, बुलडाणा व यवतमाल इन चार जिलों को भी उद्योगों द्वारा अपनी सूची में स्थान नहीं दिया जाता. इन क्षेत्रों में तो उद्योगोें के सामने कई तरह की समस्याएं होती है. सबसे प्रमुख समस्या तो यह है कि, पश्चिम विदर्भ के किसी भी शहर से हवाई यातायात की सुविधा उपलब्ध नहीं है. कहने को तो अमरावती व अकोला में विमानतल उपलब्ध है, लेकिन रन-वे विस्तारीकरण का अभाव रहने के चलते यहां से नियमित हवाई सेवा शुरू नहीं की जा सकती. ऐसे में उद्योजकों के सामने यह अपने आप में बडी समस्या है. पश्चिम विदर्भ में औद्योगिक विकास महामंडल द्वारा जगह-जगह पर औद्योगिक क्षेत्र हेतु जमीन आरक्षित करते हुए एमआयडीसी बनायी गयी है. किंतु इन सभी औद्योगिक क्षेत्रोें में उम्मीदों पर गिनने लायक उद्योग चल रहे है. और जो उद्योग स्थापित भी हुए है, वे छोटे व मध्यम स्तर के है, तथा बडी औद्योगिक ईकाईयोें का अभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. अधिकांश एमआयडीसी में पानी की काफी समस्या है. जिसकी वजह से उद्योजकों को काफी दिक्कतों और असुविधाओं का सामना करना पड सकता है. साथ ही बडे उद्योगोें के लिए सहायक साबित हो सकनेवाले लघु उद्योग भी इस क्षेत्र में नहीं है. साथ ही साथ पूर्वी व पश्चिमी विदर्भ में कृषि प्रक्रिया पर आधारित उद्योगों के लिए बेहद पोषक वातावरण रहने के बावजूद भी इस ओर जबर्दस्त अनदेखी की गई है, अन्यथा इस जरिये भी रोजगार के अनेकों अवसर उपलब्ध कराये जा सकते थे.
विदर्भ क्षेत्र में संसाधनों की कमी नहीं रही, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव रहने के चलते यहां पर रोजगार के अवसर अपेक्षित रूप से उपलब्ध नहीं हो पाये, और यहां के युवाओं को रोजगार व नौकरी के लिए मुंबई, पुणे जैसे बडे शहरों का रास्ता पकडना पडा. ऐसे में इस क्षेत्र में नये उद्योगों को निवेश हेतु तैयार करने के साथ ही यहां पर उद्योगों के लिए पोषक वातावरण बनाना भी अपने आप में एक बडी चुनौती है.
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नांदगांव पेठ एमआयडीसी से मिल रहा ‘एडवांटेज’
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2008 के दौरान राज्य की तत्कालीन कांग्रेस-राकांपा आघाडी सरकार द्वारा अमरावती व नागपुर संभाग के औद्योगिक विकास हेतु ‘विदर्भ एडवांटेज’ नामक उपक्रम शुरू किया गया था. जिसके तहत अमरावती में ‘एडवांटेज अमरावती’ योजना को साकार करते हुए नांदगांव पेठ के निकट केमिकल झोन बनाने की संकल्पना पर काम शुरू करते हुए भुमि अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी. कालांतर में इसी जमीन पर पंचतारांकित एमआयडीसी साकार की गई. किंतु इसके बाद लंबे समय तक यह मामला लटका रहा, और वर्ष 2014 में भाजपा-सेना युती सरकार आने के बाद इस योजना ने एक बार फिर रफ्तार पकडी तथा पंचतारांकित एमआयडीसी के साथ ही टेक्सटाईल झोन साकार किया गया, जहां पर शाम इंडोफैब, वीएचएम, गोल्डन फाईबर, दामोदर इंडस्ट्रीज के साथ ही रेमण्ड और सीयाराम जैसे विश्वविख्यात ब्राण्डस् द्वारा अपने यूनिट शुरू किये गये. जिनके जरिये आज इस एमआयडीसी में करीब पांच हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है. साथ ही अब और दो बडी कंपनियां नांदगांव पेठ एमआयडीसी में अपनी औद्योगिक ईकाई लगाते हुए यहां पर निवेश करने हेतु तैयार है. ऐसे में नांदगांव पेठ एमआयडीसी का अमरावती को एडवांटेज मिलता नजर आ रहा है.