अमरावती का मेडिकल कॉलेज सिंधुदूर्ग ‘ट्रान्सफर’
आघाडी सरकार का विदर्भ के प्रति दुराग्रह फिर आया सामने
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सरकार ने निधी का प्राधान्यक्रम बदला
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सिंधूदूर्ग सहित अलीबाग मेडिकल कॉलेज को निधी में दी प्राथमिकता
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भाजपा नेता अनिल बोंडे व किरण पातुरकर ने लगाया प्राधान्य सूची बदलने का आरोप
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जिले में दो मंत्री पद रहने के बावजूद चुप्पी पर जताया आश्चर्य
अमरावती/प्रतिनिधि दि.५ – राज्य की पूर्ववर्ती फडणवीस सरकार के कार्यकाल दौरान अमरावती में सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू करने को लेकर बडे जोर-शोर से तैयारियां की जा रही थी. इस हेतु दो स्थान के पर्याय दिये गये थे और एक जगह को अंतिम रूप से मान्य करते हुए इंडियन मेडिकल काउंसिल के पास अमरावती में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव भी भेजा गया था. साथ ही फडणवीस सरकार द्वारा निधी आवंटन के मामले में अमरावती के प्रस्तावित सरकारी मेडिकल कॉलेज को प्राधान्य सूची में पहले स्थान पर रखा गया था. किंतु अब पता चल रहा है कि, राज्य की मौजूदा महाविकास आघाडी सरकार ने इस प्राधान्य सूची को ही बदल दिया है और अब पहले स्थान पर सिंधुदूर्ग व दूसरे स्थान पर अलीबाग को रखा गया है. वहीं इस सूची में अमरावती का नाम ही नहीं है. जिसका सीधा मतलब है कि, पश्चिम महाराष्ट्र के प्रति विशेष आग्रह रखनेवाले आघाडी के नेताओें ने एक बार फिर विदर्भ क्षेत्र के प्रति अपनी अनास्थ जाहीर की है. इस आशय का आरोप राज्य के पूर्व कृषि मंत्री व भाजपा किसान आघाडी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अनिल बोंडे एवं भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर द्वारा लगाया गया है.
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल से चर्चा करते हुए पूर्व कृषि मंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि, मुख्यमंत्री देवेेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली भाजपा-शिवसेना युती सरकार के कार्यकाल दौरान अमरावती में सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू करने को लेकर बेहद गंभीरतापूर्वक प्रयास शुरू किये गये थे. जिसके तहत मेडिकल काउंसील की टीम ने अमरावती आकर प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज के लिए सुझाये गये स्थानों का दौरा व मुआयना भी किया था और एक स्थान से तत्वत: तौर मान्यता भी प्रदान की गई थी. जिसके बाद इस प्रक्रिया को और भी आगे बढाया गया. किंतु इसी बीच राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया और विगत एक वर्ष से यह विषय लगभग ठंडे बस्ते में चला गया है.
‘वो’ सत्ता के गुढ से चिपकी मक्खी की तरह
इस संदर्भ में अपनी संतप्त प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व कृषि मंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने कहा कि, एक वर्ष पूर्व राज्य की राजनीति में हुई नाटकिय उठापटक के बाद बने बेमेल गठबंधन के चलते अमरावती सहित विदर्भ क्षेत्र के कुछ लोगों को बैठे-बिठाये मंत्री बनने की ‘लॉटरी’ लग गयी है. ऐसे में वे सत्ता के गुढ के साथ मक्खी की तरह चिपककर अपना फायदा देख रहे है. जिसके चक्कर में विदर्भ क्षेत्र का नुकसान हो रहा है. जबकि ऐसे वक्त चाहिए कि, दलगत राजनीति को परे रखते हुए विदर्भ क्षेत्र के सभी विधायकों व जनप्रतिनिधियों ने एकजूट होकर आवाज उठानी चाहिए. क्योेंकि यह हमारे क्षेत्र के विद्यार्थियों के शैक्षणिक भविष्य एवं विकास से जुडा मसला है, लेकिन सर्वाधिक आश्चर्यवाली बात यह है कि, राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद मौजूदा जिला पालकमंत्री ने पद पर आने के बाद एक बार भी इस विषय को लेकर कोई बैठक नहीं बुलायी.
बहुत जल्द दुबारा शुरू करेंगे जनआंदोलन
अमरावती में सरकारी मेडिकल कालेज शुरू करने की मांग को लेकर इससे पहले व्यापक जन आंदोलन करने के साथ ही बडे पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान चला चुके सरकारी मेडिकल कॉलेज कृति समिती के संयोजक एवं भारतीय जनता पार्टी के शहराध्यक्ष किरण पातुरकर ने कहा कि, संभागीय मुख्यालय रहनेवाले अमरावती जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू होना बेहद जरूरी एवं महत्वपूर्ण मुद्दा है. जिसके लिए विगत लंबे अरसे से यहां की जनता द्वारा मांग उठायी जा रही है. जिसे पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार द्वारा सकारात्मक ढंग से लिया गया था. वहीं कांग्रेस एवं राकांपा द्वारा लंबे समय से विदर्भ, विशेषकर पश्चिम विदर्भ क्षेत्र की अनदेखी की जाती रही है. यहीं रवैय्या अब भी कायम रखा गया है. और एक बार फिर पश्चिम विदर्भ के हिस्से में आनेवाला सरकारी मेडिकल कॉलेज यहां की बजाय सिंधुदूर्ग एवं अलीबाग के लिए ‘हाईजैक’ कर लिया गया है. जिसके खिलाफ कृति समिती द्वारा एक बार फिर बडे पैमाने पर आंदोलन किया जायेगा.