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कोरोना काल में छह माह बाद स्वास्थ्य मंत्री को याद आयी अमरावती

  • हुजुर… आते-आते बहुत देर कर दी

  • मात्र ढाई घंटे में निपट जायेगा स्वास्थ्य मंत्री का अमरावती दौरा

  • समीक्षा बैठक के साथ ही कोविड अस्पताल का मुआयना भी करेंगे

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२५  – अमरावती जिले में कोरोना का कहर शुरू हुए छह माह बीत गये है और विगत जुलाई माह से यानी पिछले तीन माह के दौरान अमरावती जिले में कोरोना का संक्रमण लगभग अनियंत्रित हो चला है. किंतु इस दौरान राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे को कभी अमरावती जिले की सुध लेने की फुरसत नहीं मिली. जबकि आज से तीन माह पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे पडोसी जिले यवतमाल तक समीक्षा बैठक लेने हेतु आये थे,किंतु तब उन्होंने संभागीय मुख्यालय का दर्जा रहनेवाले अमरावती जिले का दौरा करना उचित नहीं समझा.
वहीं अब हालात जब लगभग बेकाबू हो चले है, तब स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे मात्र ढाई घंटे के लिए अमरावती जिले के दौरे पर आ रहे है, इसे एक तरह से ‘मुंह दिखाई‘ की रस्म पूरा करने की तरह कहा जा सकता है.क्योंकि इस ढाई घंटे के दौरान स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे जिलाधीश कार्यालय में एक समीक्षा बैठक में उपस्थित रहते हुए जिले में विगत छह माह से किये जा रहे कामों की समीक्षा करते हुए मौजूदा समस्याओें व दिक्कतों एवं जरूरतों को समझेंगे. साथ ही इन्हीं ढाई घंटे के दौरान वे सुपर स्पेशालीटी हॉस्पिटल के सरकारी कोविड अस्पताल का भी दौरा कर लेंगे. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का स्थानीय स्वास्थ्य महकमे की दिक्कतों, जरूरतों एवं चुनौतियों पर कितना ध्यान जा पायेगा, यह कहना फिलहाल अनिश्चित है. उल्लेखनीय है कि, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे गत रोज गोंदिया जिले के दौरे पर थे. जहां से निकलकर वे शुक्रवार की सुबह कोरोना के लिहाज से खतरनाक हॉटस्पॉट बन चुके नागपुर जिले के दौरे पर पहुंचे और महज कुछ घंटों के भीतर नागपुर जिले की स्वास्थ्य संबंधी समीक्षा करते हुए अमरावती जिले के दौरे पर रवाना हो गये.
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का अमरावती में अपरान्ह ४.३० बजे के आसपास आगमन हुआ और आते ही उन्होंने स्थानीय जिलाधीश कार्यालय में एक समीक्षा बैठक में शिरकत की. जिसके बाद शाम ६.३० बजे के आसपास वे सरकारी कोविड अस्पताल का मुआयना करने हेतु पहुचेंगे और सात-साढे सात बजे के आसपास अपना दौर खत्म कर अपने गृहनगर जालना के लिए रवाना भी हो जायेंगे. ऐसे में इतने कम समय में स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का किन-किन बातों की ओर ध्यान जा पायेगा, यह अपने आप में देखनेवाली बात होगी. उल्लेखनीय है कि, तीन माह पूर्व अकोला जिले में कोरोना संक्रमण को लेकर हालात काफी बिकट हो गये थे और अकोला के जिला पालकमंत्री बच्चू कडू ने अपने स्तर पर पहल करते हुए अकोला में कुछ दिनों का जनता कफ्र्यू लगाने का फैसला किया था. उस समय स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने विशेष तौर पर अकोला पहुंचकर वहां के हालात की समीक्षा की थी. लगभग उसी समय अमरावती जिले में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या में बेतहाशा वृध्दि होनी शुरू हुई तथा यह सिलसिला अब और भी अधिक तेज हो गया है. जिसके बाद अमरावती में कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या १२ हजार के स्तर को पार करने पश्चात स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का मात्र ढाई घंटों के लिए अमरावती जिले में आगमन हो रहा है, जबकि इस समय तक अमरावती जिले में करीब २५९ लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं ऑक्सीजन सिलेंडरों एवं रेमडेसिविर व टोसिली जुमैब जैसी दवाईयों को लेकर विगत लंबे समय से जबर्दस्त किल्लत महसूस की जा रही है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख होने के नाते स्वास्थ्य मंत्री का यह दौरा काफी पहले ही आयोजीत हो जाना चाहिए था. लेकिन बावजूद इसके कहा जा सकता है कि, हुजुर… देर आयद, दुरूस्त आयद.

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सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर मैं हूं ना

स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे द्वारा छह माह का कोरोना काल बीत जाने के बाद इतने विलंब से अमरावती जिले के दौरे पर आने के संदर्भ में पूछे गये सवाल पर जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर का कहना रहा कि, राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे तथा स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का राज्य के हर एक जिले पर पूरा ध्यान है और सभी जिला प्रशासन एवं जिला स्वास्थ्य विभाग के साथ सरकार का लगातार ऑनलाईन संपर्क जारी है. जिसके तहत हर जगह की समस्याओं व दिक्कतों की जानकारी लेते हुए हरेक स्थान पर वहां की जरूरत के हिसाब से आवश्यक तैयारी व व्यवस्था की जा रही है. साथ ही पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने यह भी कहा कि, राज्य की कैबिनेट मंत्री व जिला पालकमंत्री होने के नाते वे स्वयं सरकार की एक प्रतिनिधि के तौर पर अमरावती जिले की हर एक जरूरत व व्यवस्था पर ध्यान दे रही है तथा हरेक बात से मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को अवगत करा रही है. ऐसे में यह कहना पूरी तरह से गलत है कि, सरकार अथवा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अमरावती की अनदेखी की गई है, या अमरावती की ओर विलंब से ध्यान दिया गया है.

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हालात के हिसाब से दौरोें को प्राथमिकता, लेकिन ध्यान सभी ओर है सरकार का

महाविकास आघाडी सरकार के महत्वपूर्ण घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके के मुताबिक जिस समय अकोला में हालात बेकाबू हो गये थे, तब अमरावती व नागपुर में सांख्यिकी अनुपात के लिहाज से हालात काफी नियंत्रण में थे. ऐसे में उस समय स्वास्थ्य मंत्री ने अकोला जिले का दौरा किया है. वहीं अब जब नागपुर व गोंदिया सहित अमरावती जिले में हालात बिगडते नजर आ रहे है, तो वे व्यवस्थाओं का जायजा लेने और व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरूस्त करने हेतु अमरावती आ रहे है. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि, सरकार अथवा स्वास्थ्य मंत्री ने अमरावती की ओर ध्यान देने में विलंब किया या अमरावती की अनदेखी की. संजय खोडके के मुताबिक उनकी अमरावती जिले सहित संभाग को लेकर लगातार ही राज्य के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री अजीत पवार तथा स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के साथ बातचीत होते रहती है और वे इन दोनोें नेताओं को यहां की दिक्कतों, समस्याओं व जरूरतों के संदर्भ में अवगत कराते रहते है. जिसके पश्चात सरकार की ओर से स्थानीय प्रशासन को तमाम जरूरी दिशानिर्देश जारी किये जाते है. खोडके के मुताबिक वे अपेक्षा करते है कि, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे के इस दौरे पश्चात अमरावती में और भी अधिक निजी कोविड अस्पताल खोले जाने को मान्यता दी जायेगी. साथ ही प्रशासन एवं पालकमंत्री द्वारा भी स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष जिला स्टेडियम पर जम्बो कोविड हॉस्पिटल खोले जाने का विषय उठाया जाना चाहिए.

सरकारी कोविड अस्पताल में स्टाफ बढाये जाने की जरूरत

यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इस समय प्रशासन द्वारा सुपर स्पेशालीटी अस्पताल के सरकारी कोविड हॉस्पिटल में बेड की संख्या बढाते हुए यहां पर लगातार सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है, लेकिन जिस अनुपात में बेड की संख्या बढायी जा रही है, उस अनुपात में यहां पर डॉक्टरों, नर्सिंग स्टॉफ एवं अन्य परिचरों व सफाई कर्मियों की संख्या नहीं बढायी जा रही. ऐसे में सरकारी कोविड अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ पर काम का बोझ लगातार बढता जा रहा है. जिसके चलते स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सरकारी कोविड अस्पताल में प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ नियुक्त करने की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए. बता दें कि, सरकारी कोविड अस्पताल में ऑ्िनसजन व आयसीयू बेड की संख्या ३०० के लगभग है. जिसमें से ७० बेड पर वेंटिलेटर लगाने की व्यवस्था है, और इस समय करीब २० बेड पर मरीजों को वेेंटिलेटर के सहारे रखकर उनका इलाज किया जा रहा है. इसके अलावा यहां के सामान्य वॉर्ड में ५० एवं महिला वॉर्ड में ५० बेड है. वहीें पीडीएमसी अस्पताल में बनाया गया १०० बेड का कोविड वॉर्ड भी इसी अस्पताल के अंतर्गत कार्यरत है. वहीं अब आयटीआय की इमारत में कोविड अस्पताल का विस्तारित कक्ष खोलते हुए १०० अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की जा रही है. इसके साथ ही कोविड अस्पताल में उपलब्ध बेडों की कुल संख्या ५०० हो जायेगी. जिसमें से ४०० बेड कोविड हॉस्पिटल में और १०० बेड पीडीएमसी अस्पताल में उपलब्ध रहेंगे, लेकिन इस समय कोविड अस्पताल में ११० लोगों का नर्सिंग स्टाफ व करीब ७०-८० चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का स्टाफ है. जिससे बेडों की संख्या के लिहाज से आधा कहा जा सकता है. किसी भी अस्पताल हेतु तय मानकों के मुताबिक प्रति १५ बेड पर एक नर्सिंग स्टाफ के हिसाब से ४ शिफ्टों के लिए १५ बेड के लिए ४ लोगों का नर्सिंग स्टाफ होना चाहिए. साथ ही हर शिफ्ट में अस्पताल के हर फ्लोर पर चार सफाई कर्मचारियों व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का रहना भी जरूरी है. इस हिसाब से यहां पर मौजूदा स्टाफ के अलावा १०० नर्सिंग स्टाफ व ४० से ५० चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियोें व सफाई कर्मियों की जरूरत है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, कोविड वॉर्ड में भरती रहनेवाले मरीजों से उनके परिजनों को मुलाकात की अनुमति नहीं होती है. ऐसे में ऑ्िनसजन बेड पर भरती रहनेवाले मरीजों की साफ-सफाई से लेकर अन्य सभी बातों की जिम्मेदारी हॉस्पिटल के सफाई कर्मियों पर आ जाती है. जिसके चलते यहां पर जल्द से जल्द स्टाफ को बढाये जाने की जरूरत है.

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