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अमृत योजना-2 तक प्यास से बदहाल रहेगी अमरावती

एक-एक दिन की आड में पानी मिलने का दौर चलता रहेगा

* ‘एकी-बेकी’ के चलते शहरवासी हुए बेहाल
अमरावती/दि.22 – किसी जमाने में अमरावती शहर को पानी की उपलब्धता के लिहाज से बेहद सौभाग्यशाली माना जाता था. शहर में जहां एक ओर छत्री तालाब और वडाली तालाब जैसे प्राकृतिक जलस्त्रोतों के चलते भूगर्भिय जलस्तर लबालब हुआ करता था. वहीं मोर्शी के निकट सिंभोरा में अप्पर वर्धा बांध के साकार होने और इस बांध से अमरावती क जीवन प्राधिकरण द्बारा जलापूर्ति की व्यवस्था उपलब्ध कराए जाने के चलते अमरावती में रोजाना चौबीसों घंटे नलों से साफ-सूथरे पानी की आपूर्ति हुआ करती थी. लेकिन विगत कुछ वर्षों से मानों पानी को लेकर अमरावती को किसी की नजर लग गई है. क्योंकि अप्पर वर्धा बांध में भरपूर पानी रहने के बावजूद अमरावती शहर की जनता को जलापूर्ति को लेकर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड रहा है. सबसे बडा जी का जंजाल तो एक-एक दिन की आड में होने वाली जलापूर्ति है, जिसके लिए जीवन प्राधिकरण ने सम-विषम संख्या वाली तारीखों यानि ‘एकी-बेकी’ का फार्मूला तय कर रखा है. परंतु यदि इसमें किसी भी तय तारीख पर किसी क्षेत्र में एक दिन के लिए जलापूर्ति बंद रखी जाती है, तो ऐसी स्थिति में उस क्षेत्र को उस तारीख के बदले अगले दिन नहीं, बल्कि दो दिन बाद जलापूर्ति होती है. यानि पूरे 4 दिन बाद संबंधित क्षेत्र के नलों से पानी टपकता है और 4 दिनों तक संबंधित क्षेत्र के लोगबाग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाते है. ऐसी स्थिति यदि गर्मी के मौसम में पैदा होती है, तो हालात और भी अधिक विकट हो जाते है. विशेष उल्लेखनीय है कि, जारी वर्ष में विगत 2 माह से समूचे विदर्भ क्षेत्र मेें भीषण गर्मी पड रही है और इन 2 माह के दौरान मजीप्रा द्बारा करीब 4 बार विभिन्न कारणों के चलते जलापूर्ति को बंद रखा गया. जिसके चलते संबंधित इलाकों के लोगों पर त्राहिमाम करने की नौबत आन पडी थी. साथ ही इससे पहले ही विगत कुछ वर्षों के दौरान ऐन गर्मी के समय ही मजीप्रा की मुख्य पाइप-लाइन फूटने और कई-कई दिनों तक जलापूर्ति ठप रहने वाली स्थिति बन चुकी है. परंतु इसके बावजूद भी हालात लगभग जस के तस है.

* जल्द शुरु होगा नई पाइप-लाइन डालने का काम
इस संदर्भ में मजीप्रा के उपकार्यकारी अभियंता अजय लोखंडे से उनके कक्ष में जाकर प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किए जाने पर उन्होंने स्वीकार किया कि, अमरावती में जलापूर्ति करने को लेकर काफी हद तक समस्यां है. जिनकी वजह से आम नागरिकों को कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड रहा है. लेकिन जब तक अमृत योजना-2 के प्रस्ताव को मंजूरी मिलकर सिंभोरा से अमरावती तक पानी पहुंचाने वाली 55 किमी लंबी पाइप-लाइन को बदलने का काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक ‘एकी-बेकी’ यानि एक-एक दिन की आड में जलापूर्ति के अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं है. मजीप्रा के उपकार्यकारी अभियंता अजय लोखंडे के मुताबिक सिंभोरा से नेरपिंगलाई तक पंपिंग सेक्शन की 22 किमी लंबी उर्ध्व वाहिनी डली हुई है. वहीं नेरपिंगलाई से अमरावती के तपोवन परिसर से जलशुद्धिकरण केेंद्र तक 33 किमी लंबी गुरुत्व वाहिनी डाली गई है. यह पूरी भूमिगत पाइप-लाइन काफी पूरानी होने के साथ ही जगह-जगह से जर्जर हो चुकी है. ऐसे में इस पाइप-लाइन के भरोसे पहले की तरह पूरे फोर्स के साथ जलापूर्ति करना संभव नहीं है. यहीं वजह है कि, शहर को अप्पर व लोअर ऐसे दो हिस्सों में बांटकर उन्हें एक-एक दिन की आड में पानी दिया जा रहा है. वहीं सिंभोरा से अमरावती तक नई पाइप-लाइन डालने हेतु अमृत योजना-2 अंतर्गत राज्य सरकार के समक्ष 880 करोड रुपए की लागत वाला प्रस्ताव भेजा गया है. जिसे केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद अमल में लाया जाएगा और यह काम पूरा होने के बाद ही अमरावती में पहले की तरह रोजाना पूरे शहर को एक साथ जलापूर्ति की जा सकेगी.

* रोजाना 115 दशलक्ष लीटर शुद्ध पानी की होती है आपूर्ति
जानकारी के मुताबिक अप्पर वर्धा बांध से अमरावती के तपोवन परिसर स्थित जलशुद्धिकरण केंद्र तक रोजाना 130 दशलक्ष लीटर पानी की आपूर्ति होती है. जिसे तकनीकी भाषा में ‘रॉ-वॉटर’ कहा जाता है. पश्चात जलशुद्धिकरण में इस पानी को पेयजल यानि ड्रिंकिंग वॉटर बनाने के लिहाज से शुद्धिकरण करते हुए प्यूरिफाय किया जाता है और 115 दशलक्ष लीटर शुद्ध पानी की शहर के 1 लाख 2 हजार कनेक्शनों सहित सार्वजनिक नलों के जरिए आपूर्ति की जाती है. उपकार्यकारी अभियंता अजय लोखंडे के मुताबिक जीवन प्राधिकरण द्बारा नलों से छोडे जाने वाले शुद्ध पानी को लोगों ने केवल पेयजल के तौर पर ही उपयोग में लाना चाहिए, वहीं अन्य कामों के लिए कुओं तथा बोअरवेल के पानी का प्रयोग करना चाहिए, ऐसा अपेक्षित है. परंतु विगत कुछ वर्षों से लोगों ने जीवन प्राधिकरण द्बारा की जाने वाली जलापूर्ति से प्राप्त पानी को ही बर्तन धोने, बगीचे में सिंचाई करने, कुलर भरने और आंगन में छिडकने जैसे कामों में प्रयोग करना शुरु कर दिया है. जिसकी वजह से व्यर्थ ही पानी की मांग बढ गई है और ज्यादातर पानी व्यर्थ खर्च हो रहा है. जिसका कोई औचित्य नहीं है.

* अप्पर वर्धा बांध में आरक्षित हैं 56 दलघमी पानी, 48 दलघमी की मांग
जानकारी के मुताबिक अप्पर वर्धा बांध में अमरावती शहर को आपूर्ति करने हेतु 56 दलघमी पानी आरक्षित रखे जाने का प्रावधान है. वहीं जीवन प्राधिकरण द्बारा जिला प्रशासन के पास केवल 48 दलघमी की डिमांड नोट ही दी गई है, जो कुल आरक्षित पानी की तुलना में कम है. इसका सीधा मतलब है कि, अमरावती शहर की पानी संंबंधित जरुरत के लिहाज से ज्यादा पानी अप्पर वर्धा बांध में आरक्षित है. साथ ही विशेष उल्लेखनीय यह भी है कि, विगत वर्ष समाधानकारक बारिश होने और जारी वर्ष के दौरान मार्च व अप्रैल माह के दौरान बांध के जलग्रहण क्षेत्र में बेमौसम बारिश होने के चलते बांध में अच्छा खासा जलसंग्रहण है और फिलहाल पानी की कोई कमी नहीं है. लेकिन इसके बावजूद भी अप्पर वर्धा बांध से अमरावती शहर को रोजाना जलापूर्ति नहीं हो पा रही. क्योंकि अप्पर वर्धा बांध से अमरावती तक पानी पहुंचाने का जरिया रहने वाली 1500 मिमि व्यास की मुख्य पाइप-लाइन पूरानी होने के साथ-साथ जगह-जगह से खस्ताहाल हो गई है. जो आए दिन कहीं न कहीं से लीक हो जाती है और इस लिकेज को सुधारने के लिए अगले कुछ दिनों तक जलापूर्ति को बंद रखा जाता है. जिसकी वजह से अमरावती में पानी को लेकर त्राहिमाम वाली स्थिति बन जाती है.

* 1 लाख कनेक्शन धारकों की ओर 252 करोड रुपए बकाया
उप कार्यकारी अभियंता अजय लोखंडे ने इस बातचीत के दौरान बताया कि, अमरावती शहर में घरेलू, वाणिज्यिक व संस्थागत कनेक्शनों को मिलाकर कुल 1 लाख 2 हजार वैध कनेक्शन है. इसके अलावा कुछ लोगों ने अवैध तरीके से भी कनेक्शन ले रखे है. जिनके खिलाफ मजीप्रा द्बारा समय-समय पर आवश्यक कार्रवाई की जाती है. शहर के सभी कनेक्शन धारकों की ओर मजीप्रा के 145 करोड रुपयों की मूल रकम बकाया है. इस पर व्याज और दंड की राशि करीब 107 करोड रुपए हो चुकी है. यानि 1 लाख 2 हजार कनेक्शन धारकों से जीवन प्राधिकरण को 252 करोड रुपए की बकाया राशि वसूल करनी है. इस वसूली के लिए भी समय-समय पर अभियान चलाया जाता है. साथ ही साथ दंड और ब्याज की रकम में छूट देने के लिए अभय योजना भी चलाई जाती है. परंतु इसके बावजूद पानी जैसी जीवनावश्यक जरुरत के पैसों का भुगतान शहरवासियों द्बारा समय पर नहीं किया जाता. ऐसे में जीवन प्राधिकरण को अपने खर्चों का भुगतान करने के साथ-साथ सुविधाओं को विस्तार देने में काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है.

* सितंबर 2022 में पेश हो चुका अमृत योजना-2 का प्रस्ताव
उपकार्यकारी अभियंता अजय लोखंडे ने एक सवाल के जवाब में बताया कि, अमृत योजना-2 के तहत सिंभोरा से अमरावती तक नई पाइप-लाइन डाले जाने का प्रस्ताव सितंबर 2022 में ही पोर्टल पर अपलोड करते हुए राज्य सरकार के समक्ष पेश किया जा चुका है. जिसे तमाम आवश्यक प्रक्रिया के बाद केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा की जा रही है. केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी मिलते ही इस काम की निविदा जारी कर दी जाएगी और युद्धस्तर पर काम करते हुए नई पाइप-लाइन डालने का काम पूरा किया जाएगा. एक बार यह काम पूरा हो जाने पर अमरावती शहरवासियों को फिर से पहले की तरह रोजाना जलापूर्ति करना संभव नहीं होगा.

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