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अमरावती की महिला को कोर्ट से झटका

भत्ते के लिए हाईकोर्ट की भी ना

* बीमार पति को छोई गई थी पत्नी
नागपुर/ दि.9-मानसिक बीमार पति को बिना वजह छोड जाने से एक पत्नी को निर्वाह भत्ते के लिए अयोग्य करार दिया है. इसके पहले अमरावती परिवार न्यायालय ने यह फैसला सुनाया और बाद में मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने भी इस पर मुहर लगा दी है.
मानसिक बीमार होने के बाद पति को उसका ध्यान रखने, सुरक्षा और प्रेम की सही जरूरत थी. ऐसे दौर में पत्नी ने पति के साथ रहना आवश्यक था. पति से उसको कोई खतरा नहीं था. उसने 14 वर्ष पति के साथ जीवन बिताया. इस दौरान पति द्बारा परेशान करने की एक भी शिकायत उसने नहीं की है. इसके बावजूद उसने पति का साथ छोडा. मायके जाकर पृथक तरीके से रहने लगी. उसके इस निर्णय के लिए पति सबब नहीं है. पति ने उसका पालन पोषण करने से इनकार करने का कोई सबूत नहीं है. इस पर न्यायालय ने अपने फैसले में साफ कहा है कि पत्नी को निर्वाह भत्ता नहीं दिया जा सकता. न्यायालयों ने पत्नी को निर्वाह भत्ता देेने से इनकार करते हुए उसकी आय के मुद्दे पर भी विचार किया. पत्नी एम.ए. व बी.एड. डिग्रीधारक है. वह विद्यार्थियों की ट्यूशन लेती है. उसने अपनी आय की सही जानकारी नहीं दी है. इससे उसकी अप्रामणिकता नजर आई है. वह अपनी खुद की देखभाल करने में अक्षम साबित नहीं हो सका.
* क्या है मामला
इस मामले में पत्नी अमरावती और पति मध्यप्रदेश का निवासी है. साल 2001 में उनका विवाह हुआ. पति ऑर्डनेन्स फेक्टरी में मैनेजर था. उसको मानसिक बीमारी होने से पत्नी साल 2015 में मायके चली गई. उसके बाद उसने परिवार न्यायालय में निर्वाह भत्ते के लिए आवेदन किया था. यह आवेदन नामंजूर होने से उसने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. यह याचिका भी खारिज कर दी गई.

पति अगर पत्नी का पालन पोषण नहीं कर रहा होगा. पति और उसके परिजनों द्बारा हो रहे अत्याचार के कारण पत्नी को ससुराल का घर छोडना पडा होगा. पत्नी के पास आय का कोई स्त्रोत नहीं होगा, वह अपनी देखभाल करने में अक्षम होने अथवा अन्य स्थितियों में पत्नी को उसके पति रहने के स्तर के आधार पर निर्वाह भत्ता मिल सकता है.
एड. अनूप ढोरे,
हाईकोर्ट

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