अमरावती के आईएएस सुपुत्र ने किया ‘कबाड से कमाल’
जबलपुर में मनपा आयुक्त पद पर कार्यरत है स्वप्निल वानखडे
* पुरानी बसों को बना दिया पुलिस चौकी, ग्रंथालय व महिलाओं का चेंजिंग रुम
अमरावती/दि.14 – स्थानीय अर्जुन नगर परिसर के अशोक कालोनी निवासी तथा नवोदय विद्यालय के विद्यार्थी रह चुके आईएएस अधिकारी स्वप्निल वानखडे इस समय मध्यप्रदेश की जबलपुर महानगरपालिका में आयुक्त पद पर कार्यरत है और महज 4 माह की अल्प अवधी में उन्होंने अपनी कार्यशैली की अलग छाप छोडते हुए ‘कबाड से कमाल’ नामक उपक्रम को सफलतापूर्वक साकार किया है. जिसकी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी प्रशंसा की है.
जबलपुर महानगरपालिका के आयुक्त स्वप्निल वानखडे की संकल्पना से साकार हुए ‘कबाड से कमाल’ नामक लोकोपयोगी उपक्रम का लोकार्पण विगत 10 जून को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के हाथो हुआ. इस उपक्रम के तहत पुरानी व कबाड हो चुकी बसों से तैयार किए गए महिला पुलिस चौकी, पिछडी बस्तियों के लिए पुस्तकालय, नर्मदा घाट पर महिलाओं के लिए चेंजिंग रुम, बारिश से बचने हेतु बचाव कक्ष बर्तन बैक, थैली बैंक तथा गरीब यात्रियों के लिए टूरिस्ट आदि को देखकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी अवाक हो गए. साथ ही पुरानी और कबाड हो चुकी इन बसों का सुयोग्य पद्धति से नियोजन करते हुए उन्हें लोकोपयोगी कामों के लिए दुबारा काम में लाए जाने हेतु सीएम चौहान ने आयुक्त स्वप्निल वानखडे की पीठ पर प्रशंसा की थपकी दी. इस उपक्रम के लोकार्पण अवसर पर जबलपुर जिला परिषद की सीईओ जयती सिंह, अप्पर जिलाधिकारी मिसा सिंह, वित्त विभाग के संचालक विमलेश सिंह, जबलपुर मनपा की शिक्षाधिकारी वीणा वर्गिस, कार्यपालन अधिकारी जी. एस. मडावी, जेसीटीएसएल के सीईओ सचिन विश्वकर्मा आदि उपस्थित थे.
‘अमरावतीकर’ स्वप्निल वानखडे द्बारा साकार किया गया यह प्रकल्प समूचे मध्यप्रदेश की स्थानीय नागरी स्वायत्त संस्थाओं के लिए पथदर्शी प्रकल्प साबित हुआ है. साथ ही इस उपक्रम पर अमरावती सहित समूचे महाराष्ट्र में भी अमल किया जा सकता है. क्योंकि सभी मनपा, नप व जिप क्षेत्रों में पुरानी व कबाड हो चुकी बसों से विभिन्न जनोपयोगी व मूलभूत सुविधा वाले साधन बनाए जा सकते है.
* नवोदय विद्यालय में की 6 वीं से 12 वीं तक पढाई
इस समय जबलपुर महानगरपालिका के आयुक्त रहने वाले स्वप्निल वानखडे ने स्थानीय जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 6 वीं से 12 वीं तक पढाई की. पश्चात बीड जाकर अभियांत्रिकी की पदवी प्राप्त की. वहीं वर्ष 2016 में स्वप्निल वानखडे आईएएस अधिकारी बने. उनके पिता गोपालराव वानखडे एक हाईस्कूल में मुख्याध्यापक थे. वहीं माता आशा वानखडे स्थानीय सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में स्टॉफ नर्स थी. वे दोनों ही अब सेवानिवृत्त हो गए है.
* जबलपुर मेें कई पुरानी बसे कबाड के तौर पर पडी हुई थी. जिनका कोई उपयोग नहीं हो रहा था. ऐसे मेें हमने इन बसों का उपयोग करने हेतु अलग-अलग प्रयोग करने शुरु किए और अब इन बसों में विभिन्न जनोपयोगी उपक्रम चलाए जा रहे है.
– स्वप्निल वानखडे,
मनपा आयुक्त, जबलपुर