सिनेमाई आकाश पर छाने को बेताब अमरावती का सितारा मिलींद ढोके
छोटी उम्र से ही अभिनय व कला के क्षेत्र में दिखाना शुरू कर दिया था अपना जौहर
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कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में हासिल कर चुके प्रशंसा व सम्मान
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जल्द ही फुल लेंथ मराठी फिचर फिल्म लेकर आ रहे दर्शकों के बीच
अमरावती/दि.२१ – अमरावती को विदर्भ क्षेत्र की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है और इस
वर्हाडी मिट्टी ने साहित्य व कला के क्षेत्र को एक से बढकर एक नगीने दिये है. इन्ही नगीनों की फेरहिस्त में अब एक नाम और जुडने जा रहा है, जो कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में अपनी शॉर्ट फिल्मस के जरिये सम्मान व प्रशंसा का हकदार बन चुका है. साथ ही बहुत जल्द एक फुल लेंथ मराठी फीचर फिल्म के जरिये दर्शकों के बीच आ रहा है और अपनी लेखन, दिग्दर्शन एवं अभिनय क्षमता के दम पर सिनेमाई आकाश पर छाने को बेताब है. हम बात कर रहे है मूलत: अमरावती निवासी मिलींद अशोक ढोके की, जो अपनी पहली ही शॉर्ट फिल्म ‘द वेंजन्स्‘ के जरिये दूनियाभर की फिल्मी हस्तियां के आकर्षण का केंद्र बने. कहावत है कि, पूत के पांव पालने में ही दिखाई देते है. ऐसे ही मिलींद ढोके ने वर्ष २००५ में कक्षा ८ वी-९ वी में रहने के दौरान ही अपने भीतर मौजूद अलग तरह की प्रतिभा की झलक दिखाई थी. जब हंगामा टीवी द्वारा ली गयी ‘बी द हीरो‘ स्पर्धा में उन्होंने अपनी लिखी हुई कहानी भिजवायी और वे विजेता भी घोषित हुए. उस समय हंगामा टीवी के कलाकारों के हाथों फिल्म सीटी में हुए सत्कार के साथ ही मात्र १३-१४ वर्ष के मिलींद ढोके के भीतर एक सपने ने आकार लेना शुरू किया था. और उन्होेंने आगे चलकर अपनी इंजीनियरींग की पढाई पूरी करने के साथ ही अपने इस सपने को साकार करने हेतु भी काम करना शुरू किया. पढाई-लिखाई के साथ ही फिल्म मेqकग व स्क्रीप्ट राईqटग की कई वर्कशॉप अटेंड करते हुए इंटरनेट के युग में यूट्यूब के जरिये मिलींद ढोके ने फिल्म निर्माण व स्क्रीप्ट राईqटग की बारिकियां सिखी. जिसके बाद २०१५-१६ के दौरान उन्होंने अपनी पहली शॉर्ट फिल्म ‘द वेंजन्स्‘ का निर्माण किया. जिसे अब तक कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में ८० से अधिक पुरस्कार मिले है. इसके अलावा मिलींद ढोके द्वारा लिखी गयी एक स्क्रीप्ट ‘डेथ विश‘ को बेहद प्रतिष्ठित माने जाते कान्स स्क्रीन प्ले कांटेस्ट में बेस्ट स्क्रीन प्ले ट्रिटमेंट का अवार्ड मिलने के साथ ही रशिया के मास्को सिटी इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल, हॉलीवुड के स्क्रीप्ट एन्ड स्टोरी बोर्ड शोकेस तथा भारत के कोलकाता कल्ट इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल में भी पुरस्कार मिले है. अपने शुरूआती दौर एवं पहले प्रयास को ही चहुंओर से मिल रही सराहना से उत्साहित मिलींद ढोके ने एक कदम आगे बढाकर व्यक्ति के व्यक्तिगत पात्र एवं उसके चरित्र के मनोभावों को गूंथने का प्रयास करनेवाली कहानी के साथ एक मराठी फीचर फिल्म बनाने का निर्णय लिया. जिसकी शूटींग अमरावती सहित विदर्भ के ही १०० से अधिक लोकेशन्स् पर हुई है और इस फिल्म के साथ विदर्भ क्षेत्र के लगभग १५०० कलाकार और तकनिशियन जुडे हुए है. अपने इस सफर के संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए मिलींद ढोके ने बताया कि, विदर्भ क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. लेकिन यहां प्रतिभाओं को अपेक्षित प्रोत्साहन नहीं मिल पाता और फिल्म के लिए फाईनान्स जुटा पाना आज भी एक बडी समस्या है. यदि विदर्भ में ही प्रोड्यूसर मिलने लगे तो यहां के कलाकारों को मुंबई जाने की जरूरत ही न पडे. इसके अलावा विदर्भ क्षेत्र के कलाकारों को सरकार की ओर से भी समूचित राजाश्रय मिलना चाहिए, ताकि इस क्षेत्र में साहित्य व कला को सुरक्षित व संरक्षित रखा जा सके. मिलींद ढोके के मुताबिक मराठी फिल्मों को सरकारी सब्सिडी का प्रोत्साहन मिलने की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन इस समय २०० से अधिक फिल्मे परीक्षण की कतार में है. और इस वक्त तक परीक्षण समिती का गठन ही नहीं हुआ है. ऐसे में सब्सिडी मिलने से संबंधित काम में काफी दिक्कत आ रही है. मराठी फिल्मों के मौजूदा हालात एवं भविष्य को लेकर पूछे गये सवाल पर मिलींद ढोके का कहना रहा कि, मराठी फिल्मों का डंका इस समय हॉलीवूड में भी बज रहा है. बीते दिनों एक मराठी फिल्म का बैक ग्राउंड म्युझिक हॉलीवूड से रिकॉर्ड होकर आया है. वहीं एक अन्य मराठी फिल्म का निर्माण एक हॉलीवूड अभिनेता द्वारा किया गया. यह अपने आप में एक अच्छा संकेत है. अपनी आनेवाली मराठी फीचर फिल्म के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि, वे हमेशा व्यक्ति के भीतर चलनेवाले मनोभावों एवं रिश्तोें के तानेबाने के इर्दगीर्द अपनी कहानी को बुनते है और उनकी आनेवाली फिल्म महिला सशक्तीकरण के गंभीर विषय पर आधारित है. qकतु इसे मुन्नाभाई एमबीबीएस व थ्री इडियटस् जैसी फिल्मों की तरह हल्के-फुल्के अंदाज में बनाया गया है और फिल्म के जरिये व्यक्ति के पात्र और चरित्र के पहलुओं को मुखर करते हुए एक अलग तरह का सामाजिक संदेश देने का प्रयास किया गया है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इस फिल्म में मिलींद ढोके निर्देशक, लेखक, सिनेमेटोग्राफर, एडीटर, गीतकार, आर्ट डाईरेक्टर व रैप आर्टिस्ट जैसी ३० से अधिक जिम्मेदारियां निभा रहे है. साथ ही फिल्म में उनकी एक बेहद छोटी सी लेकिन काफी महत्वपूर्ण भुमिका भी है. बता दें कि, इससे पहले हॉलीवूड अभिनेता जैकी चैन ने अपनी फिल्म ‘झोडीएक साईन‘ में १५ जिम्मेदारियां निभाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था, वहीं अब मिलींद ढोके एक फिल्म में ३० से अधिक जिम्मेदारियां निभाते हुए एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रहे है.
माता-पिता से मिला हमेशा पूरा सहयोग
मिलींद ढोके के पिता अशोक ढोके समाजकल्याण विभाग में काम किया करते थे और अब सेवानिवृत्त हो चुके है. वहीं उनकी मां वंदना ढोके एक सफल गृहिणी के तौर पर परिवार की जिम्मेदारियां संभालती है. इसके अलावा परिवार में उनका एक छोटा भाई गौरव ढोके भी है, जो इस समय एलएलबी की पढाई कर रहा है. बेहद आम और सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से वास्ता रखनेवाले मिलींद ढोके बताते है कि, उनके माता-पिता ने हमेशा उनके सपनों का साथ दिया और हर प्रयास को प्रोत्साहित किया. जिसके दम पर वे आज इस मुकाम तक पहुंचे है. मिलींद ढोके के मुताबिक अपने जीवन में व्यक्तिगत तौर पर उपलब्धियां हासिल करने के साथ ही उनकी दिली ख्वाहिश है कि, वे विदर्भ क्षेत्र की नई प्रतिभाओं को ढूंढकर सामने लाये और उन्हें बेहतरीन मंच उपलब्ध कराये. उन्होंने अपने दरवाजे विदर्भ क्षेत्र के सभी कलाकारों के लिए हमेशा खुले रखे है.
लंंदन युनिव्र्हसिटी से मिली है ऑनररी डॉक्टरेट
स्थानीय पी. आर. पोटे पाटिल अभियांत्रिकी महाविद्यालय से कंप्यूटर सायन्स बी. ई. की पढाई पूर्ण करनेवाले मिलींद ढोके को सिनेमा क्षेत्र में उनके द्वारा किये गये कार्यों के मद्देनजर लंदन युनिव्र्हसिटी द्वारा ऑनररी डॉक्टरेट से नवाज गया है. साथ ही उन्होंने आयआयटी मद्रास से फिल्म से संबंधित कोर्स पूरा किया है और वे इस समय जामिया-मिलीया-इस्लामिया से ऑनलाईन मीडिया कोर्स भी कर रहे है.