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सिध्दार्थ लढे की तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् ट्रस्ट में नियुक्ति

उद्योजक अजय नावंदर के भानजे हैं सिध्दार्थ

अमरावती/दि.16 – देश-विदेश के लाखों-करोडों भाविकों का श्रध्दास्थान रहनेवाले श्री तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् में ट्रस्टी के तौर पर मुंबई निवासी सिध्दार्थ विलासजी लढे का चयन हुआ है. ख्यातनाम उद्योजक व समाजसेवी अजय नावंदर के सिध्दार्थ लढे उर्फ गट्टू सगे भानजे हैं.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् ट्रस्ट के ट्रस्टियों की चयन प्रक्रिया में आंधप्रदेश के मुख्यमंत्री मुख्य कार्यवाहक होते है और प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्रियों द्वारा आंधप्रदेश के मुख्यमंत्री से संवाद साधकर अपने राज्य से श्री तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् के लिए ट्रस्टियों के नाम सुझाये जाते है. पश्चात आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री की सिफारिश पर केंद्र सरकार की उच्च स्तरीय समिती द्वारा पूरे देशभर से चुनिंदा लोगों को तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् ट्रस्ट में बतौर ट्रस्टी नियुक्त किया जाता है. जिसमें पूरे महाराष्ट्र से केवल दो लोगों को चुना जाता है. इस प्रक्रिया के तहत इस वर्ष महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने आंधप्रदेश के मुख्यमंत्री जगमोहन रेड्डी से संवाद साधकर महाराष्ट्र से सिध्दार्थ लढे का नाम ट्रस्टी के तौर पर सुझाया था. पश्चात गत रोज आंध्रप्रदेश सरकार की ओर से अधिकृत अधिसूचना जारी करते हुए श्री तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् ट्रस्ट के सदस्यों के नामों की घोषणा की गई. जिनमें इस बार दो वर्ष के कार्यकाल हेतु अजय नावंदर के भानजे सिध्दार्थ लढे का चयन किया गया है.

अब तक के सबसे कम उम्रवाले ट्रस्टी

खास बात यह है कि, इस ट्रस्ट में सिध्दार्थ लढे अब तक के सबसे कम आयुवाले ट्रस्टी है. साथ ही अमरावती से नाता रखनेवाले व्यक्ति को पहली बार किसी व्यक्ति को तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् ट्रस्ट में ट्रस्टी के तौर पर चुना गया है. जिसके लिए अजय नावंदर व परिवार (अमरावती) तथा सिध्दार्थ विलासजी लढ्ढा व परिवार (डोंबिवली) का श्री राजस्थानी हितकारक मंडल के अध्यक्ष व दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल तथा सचिव रामेश्वर गग्गड सहित समस्त राजस्थानी समाज की ओर से हार्दिक अभिनंदन किया जा रहा है.
बॉक्स, फोटो अजय नावंदर व बापीराजू का, संदीप के पास

अजय नावंदर का तिरूमला-तिरूपती ट्रस्ट से है बेहद गहरा नाता

– पूर्व अध्यक्ष बापीराजू को किया था अमरावती आमंत्रित
बता दें कि, मूलत: अमरावती निवासी तथा मुंबई को अपनी कर्मभूमि बना चुके उद्योजक अजय नावंदर की श्री तिरूपती बालाजी के प्रति अगाध श्रध्दा है तथा श्री तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् ट्रस्ट के साथ उनके बेहद अच्छे ताल्लुकात भी है. श्रीमती प्रतिभाताई पाटील के राष्ट्रपति रहते समय शेखावत परिवार द्वारा अमरावती में श्री तिरूपती बालाजी का श्रीनिवास कल्याण उत्सवम् करने का संकल्प लिया गया था. जिसे पूरा करवाने में अजय नावंदर की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही. उस समय तिरूपती से भगवान बालाजी व माता पद्मलक्ष्मी की उत्सव मूर्तियां विशेष तौर पर अमरावती लायी गई थी और श्री तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् ट्रस्ट के तत्कालीन अध्यक्ष एवं आंध्रप्रदेश के नरसापुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस सांसद रहनेवाले कनुमुरी बापीराजू खुद अजय नावंदर के बुलावे पर अमरावती आये थे और उन्होंने नावंदर परिवार के बच्छराज प्लॉट स्थित निवास पर भेंट भी दी थी. इसके अलावा अजय नावंदर प्रतिवर्ष कई लोगों को अपने खर्च पर तिरूपती बालाजी की यात्रा भी कराते है और उन्हें भगवान बालाजी के विशेष पूजा अनुष्ठान में शामिल होने का अवसर भी उपलब्ध कराते है. ऐसे में माना जा रहा है कि, नावंदर व लढे परिवार को भगवान बालाजी ने अपनी सेवा का एक और अवसर प्रदान किया है. जिसके तहत अजय नावंदर के भानजे सिध्दार्थ लढे का चयन श्री तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् के ट्रस्टी के तौर पर हुआ है. जो अपने आप में किसी सम्मान और उपलब्धि से कम नहीं.

देश का सबसे बडा व दुनिया का दूसरा सबसे अमीर धार्मिक ट्रस्ट

देश के सर्वाधिक लोकप्रिय और दूनिया के दूसरे सबसे अमीर धार्मिक ट्रस्ट के तौर पर विख्यात श्री तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् ट्रस्ट का मुख्य कार्य तिरूपती स्थित वेंकटेश्वर मंदिर का व्यवस्थापन करना होता है. तिरूपती में ही टीटीडी यानी श्री तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् ट्रस्ट का मुख्य कार्यालय है. जहां पर करीब 16 हजार कर्मचारी काम करते है. इस ट्रस्ट की स्थापना सन 1932 में हुई थी. जिसके लिए आंधप्रदेश सरकार द्वारा टीटीडी अधिनियम भी बनाया गया था और मंदिर के संचालन हेतु सात सदस्यों की एक कमेटी स्थापित की गई थी. जिसके कामकाज पर ध्यान देने हेतु तत्कालीन मद्रास सरकार द्वारा आईएएस स्तर के आयुक्त की नियुक्ति की गई. इसके अलावा समिती को सलाह देने हेतु दो सलाहकारों की नियुक्ति करने के साथ ही पूजारियों की भी नियुक्ति की गई. पश्चात सन 1969 के बाद मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों की संख्या बढानी शुरू की गई और वंशावली के अनुसार पूजारी नियुक्त करने की पध्दति खत्म की गई.

कई विभागों में काम करता है तिरूपती ट्रस्ट

श्री तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् ट्रस्ट अंतर्गत कई विभाग काम करते है. जिसके तहत लड्डू बनाने हेतु प्रसाद विभाग, रास्ते व पूल बनाने हेतु इंजिनिअरींग विभाग, पानी के नियोजन हेतु जलसंपदा विभाग, भक्तों को मंदिर तक लाने और दूबारा तिरूपती ले जाकर छोडने हेतु नि:शुल्क बस सेवा के लिए परिवहन विभाग, अर्थ व लेखापाल विभाग, जनसंपर्क विभाग, वन तथा उद्यान विभाग, मंदिर द्वारा चलाये जानेवाले स्कूल-कॉलेज व अस्पतालों के लिए शिक्षा व आरोग्य विभाग बनाये गये है. कुल मिलाकर एक प्रदेश की सरकार चलाने के लिए जितने काम करने पडते है, लगभग उतने तमाम काम तिरूपती संस्थान का कामकाज चलाने के लिए करने पडते है. साथ ही संस्थान के कामों का दायरा इतना अधिक व्यापक है कि, उसे संभालना केवल कुछ लोगों का काम नहीं है. ऐसे में देश के अलग-अलग हिस्सों से इस संस्थान में सदस्य के तौर पर ट्रस्टी नियुक्त किये जाते है और उनके जरिये राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्री तिरूमला-तिरूपती देवस्थानम् द्वारा काम किया जाता है.

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