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कर्मिक्षा निधी बैंक के लिए स्वतंत्र जांच अधिकारी की नियुक्ति

 लाखों रूपयों का झांसा दिये जाने का मामला

अमरावती/प्रतिनिधि दि.13 – व्यवसाय वृध्दि हेतु जमा की गई रकम से दोगुना अधिक कर्ज देने का लालच दिखाकर जालसाजी का शिकार बनाये गये कर्मिक्षा बैंक के खातेदारों द्वारा दर्ज करायी जानेवाली शिकायतों की जांच करने हेतु गाडगेनगर पुलिस स्टेशन द्वारा स्वतंत्र जांच अधिकारी की नियुक्ति की गई है. गाडगेनगर पुलिस स्टेशन के थानेदार आसाराम चोरमले द्वारा यह कदम उठाते हुए इस मामले के तह तक जाने हेतु अपनी टीम को तैयार किया गया है.
कर्मिक्षा निधी बैंक में खाता रहनेवाले कई खातेदारों ने बताया कि, इस बैंक के अधिकांश खातेदार सडक किनारे व्यवसाय करनेवाले फूटकर व्यापारी है. जिन्हें कर्मिक्षा निधी बैंक द्वारा बताया गया था कि, वे बैंक में केवल छह माह तक रोजाना थोडी-थोडी रकम जमा कराये. छह माह के दौरान जितनी भी रकम जमा होगी, उससी दोगुनी रकम बैंक द्वारा खातेदारों को व्यवसाय वृध्दि के लिए प्रदान की जायेगी. लेकिन अपने पेट पर कैंची चलाकर फेरीवालों द्वारा जमा करायी गयी रकम की ऐवज में उन्हें एक नया पैसा भी नहीं मिला. कर्ज मिलना तो दूर, वे आज अपने द्वारा जमा करायी गयी रकम भी हासिल नहीं कर पा रहे, क्योंकि बैंक द्वारा अपने कार्यालय पर ताला लगा दिया गया है. जिसके बाद बैेंक के कई खातेदारों द्वारा गाडगेनगर पुलिस थाने पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज करायी गई. एकसाथ कई लोगों की ओर से शिकायत मिलने के चलते गाडगेनगर के थानेदार आसाराम चोरमले ने खातेदारों की शिकायतें दर्ज करने तथा मामले की जांच करने हेतु स्वतंत्र जांच अधिकारी की नियुक्ति की. साथ ही आवाहन किया कि, कर्मिक्षा निधी बैंक के खातेदार किसी भी तरह की शिकायत इस अधिकारी के पास बिना दिक्कत दर्ज करा सकते है.
पता चला है कि कर्मिक्षा निधी बैंक का मुख्यालय औरंगाबाद में है और शिकायतकर्ताओं द्वारा बैंक से संबंधित तमाम जानकारियां पुलिस को सौंपी गई है. जिसके आधार पर जांच की अगली दिशा तय की जायेगी. हालांकि अब तक इस मामले में किसी भी धारा के तहत कोई अपराध दर्ज नहीं किया गया है, किंतु इसके लिए प्रक्रिया आवश्यक शुरू है. इस समय तक केवल 9 खाताधारकों द्वारा ही आगे आकर अपनी शिकायत दर्ज करायी गई है, जबकि हकीकत में जालसाजी का शिकार होनेवाले खाताधारकों की संख्या काफी अधिक हो सकती है. जिसमें से अधिकांश लोग हाथगाडी एवं फेरीवाले है, जो रास्ते के किनारे साग-सब्जी व फलों की बिक्री करते है. बेहद गरीब पार्श्वभुमि से वास्ता रखनेवाले इन सभी लोगों को कर्मिक्षा निधी का पर्याय योग्य लगा और उन्होंने अक्तूबर से दिसंबर 2020 के दौरान इस बैंक में अपने बचत खाते खोले, ताकि उन्हें आगे चलकर अपनी बचत से दोगुना कर्ज मिल सके. इसी सोच के चलते वे रोजाना अपनी कमाई का अधिक से अधिक हिस्सा बैंक के रिकवरी एजंट के पास जमा कराते थे. कर्मिक्षा निधी बैंक के नियमानुसार इन सभी खातों की रकम छह माह के बाद परिपक्व यानी मैच्युअर्ड हो गई. ऐसे में खाता खोलते समय किये गये करार के अनुसार खातेदारों द्वारा कर्ज दिये जाने की मांग की जाने लगी. लेकिन कर्ज मिलना तो दूर, खुद के द्वारा जमा कराई गई रकम भी खाताधारकों को कर्मिक्षा बैंक से प्राप्त नहीं हो पायी. ऐसे में अपने साथ जालसाजी होने की बात ध्यान में आते ही खातेदारों सहित बैंक के कुछ कर्मचारियों ने भी गाडगेनगर थाना पुलिस में दौड लगायी..

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