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जिगांव प्रकल्प के लिए केवल 790 करोड रुपए की व्यवस्था

प्रकल्प पूर्ण करने के लिए मात्र 2 हजार करोड की जरुरत थी

बुलढाणा प्रतिनिधि/ दि.१७ – अमरावती संभाग का सिंचाई अनुशेष दूर करने की क्षमता रखने वाले जिगांव प्रकल्प के लिए आगामी आर्थिक वर्ष में नियोजन के तहत पूर्ण करने के लिए जहां 2 हजार करोड रुपए की जरुरत थी, वहां पूरे 790 करोड रुपए की व्यवस्था की गई है. परिणाम स्वरुप 2025 तक प्रकल्प पूर्ण करने के मनसूबे को ही इससे झटका लगा है.
पिछले वर्ष कोरोना के चलते मात्र 250 करोड रुपए इस प्रकल्प को मिले थे. जिससे इस बार इस प्रकल्प के लिए काफी निधि उपलब्ध होगा, ऐसी अपेक्षा व्यक्त हो रही थी. इसी बीच जलसिंचाई मंत्री जयंत पाटिल ने बुलढाणा में राज्य के बजट के एक माह पहले विस्तृत समीक्षा करने से बजट में जिगांव के लिए बडी आर्थिक व्यवस्था होने की अपेक्षा व्यक्त की जा रही थी. किंतु प्रत्यक्ष में वह काफी कम है. जिससे जिगांव प्रकल्प का काम प्रलंबित रहने का डर व्यक्त किया जा रहा है. सर्वाधिक झटका यह भूसंपादन के कामों को लगेगा. एक ओर भूसंपादन के मामले प्रलंबित न रहे इस कारण बीच के समय में भूसंपादन कानून की धारा 25 का आधार लेते हुए इन मामलों को मुदत वृध्दि देकर सरकार के पैसों की बचत करने का प्रयास प्रशासकीय यंत्रणा ने किया था. किंतु आगामी आर्थिक वर्ष में मिलने वाले निधि से निश्चित कौनसे कामों को प्राथमिकता देना इस तरह का प्रश्न फिलहाल यंत्रणा के सामने निर्माण हुआ है. प्रकल्प के लिए आगामी 5 वर्ष में औसतन 2 हजार करोड रुपए मिले तो ही यह प्रकल्प 2025 तक पूर्ण हो सकता है. किंतु वर्तमान स्थिति देख और 25 वर्ष यह प्रकल्प पूर्ण होगा या नहीं, इस तरह की आशंका निर्माण हो चुकी है.

  • अपेक्षाओं पर फेरा पानी

विदर्भ में भी बुलढाणा जिले का सिंचाई अनुशेष काफी ज्यादा है. पश्चिम विदर्भ का अनुशेष दूर करने में जिगांव प्रकल्प महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगा. किंतु इस प्रकल्प की ओर दुर्लक्ष हो रहा है. जलसिंचाई मंत्री जयंत पाटिल ने बुलढाणा में जिगांव संदर्भ में बैठक लेकर काफी कुछ निधि उपलब्धता के लिए प्रयास करेंगे, ऐसा स्पष्ट किया था. किंतु उन्होंने व पालकमंत्री ने जोर लगाने के बाद भी एक वर्ष के लिए आवश्यक रहने वाले 1 हजार 930 करोड रुपए की भी व्यवस्था बजट में नहीं हो पायी. जिससे जलसिंचाई मंत्री, पालकमंत्री व बुलढाणा के सांसद प्रतापराव जाधव की भी यह काफी बडी सफलता है. राजनीतिज्ञों ने जिले के नागरिकों की अपेक्षाओं पर इससे पानी फेरा, ऐसा निदर्शन में आया है.

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