अमरावती/दि.११ – जिले के अचलपुर तहसील में आनेवाले गोंडविहीर तालाब पर विदेशी पंछियों का आवागमन शुरू हो चुका है. इसमें भी चक्रवाक (रूडी शेलडक) की एंट्री हुई है.
यहां बता दें कि पहले पंछी सप्ताह के उपलक्ष्य में अमरावती प्रादेशिक वनविभाग अंतर्गत परतवाडा वनपरिक्षेत्र के वनाधिकारी और वन कर्मचारियों ने पंछी अभ्यासकों की मौजूदगी में सोमवार ९ नवंबर को गोंडविहीर तालाब पर पंछियों का निरीक्षण किया. इस निरीक्षण के दौरान चक्रवाक बत्तख (रूडी शेलडक) सहित कॉमन पोचार्ड (छोटी लालसरी/शेंद्र्या), इंडियन स्पॉट बिलडक (हलदी कुमकूम बत्तख), रिवर टर्न बर्ड (नदीसूरय), ग्रे बगुला(ग्रे हेरॉन), जामूनी बगुला (परपल हेरॉन) सहित २२ प्रजातियों के पंछियों का पंजीयन किया गया. स्टैनडींग फॉर टायगर्स फाउंडेशन पुणे (एसएफटीएफ) संस्था के सहयोग में किए गए पंछी निरीक्षण में वनपाल डी. सी. लोखंडे, वनरक्षक प्रशांत उमक, प्रवीण निर्मल, नितीन अहिरराव, वनमजूर दिनेश किरसान, संदीप राऊत, शामराव भुसूम, नानू बेठे, एसएफटीएफ के सचिव अल्केश ठाकरे और कोषाध्यक्ष शिशीर शेंडोकार ने सहभाग लिया. इन पंछियों का पंजीयन ई-बर्ड वेबसाईट पर किया जाएगा.
गोंडविहीर तालाब पर पहुंचा रूडी शेल्डक केसरी, बदामी पंखों और काली पूंछ वाला है. इन पंछियों का देश में स्थायी रूप से ठहराव नहीं रहता. यह स्थलांतर करनेवाला पंछी है. दक्षिण रशिया, मध्य एशिया, चीन आदि देशों से अक्तूबर-नवंबर में वह आता है और अप्रैल तक रहता है. हिमालय के मानसरोवर का यह पंछी है. यह बत्तख अपने पिल्लों के साथ भारत घूमने के लिए आते है. चीन व मंगोलिया देश में इन पंछियों को काफी सम्मान दिया जाता है.
आलसी कोकिला पंछी सप्ताह में पंछियों के निरीक्षण के दरम्यिान कोकिला की भी चर्चा रही. यह कोकिला खुद का घरौंदा नहीं बनाती. यह आलसी होती है. यह कोयल कौंए के घरौंदे में अंडे देती है और पिल्लों का पालन पोषण की जिम्मेदारी कौंए पर सौंपती है.