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मरीजों की संख्या घटते ही ऑक्सीजन व दवाईयों की किल्लत हुई दूर

  • अब रेमडेसिविर व टोसीली जुमैब की आपूर्ति सुचारू, दाम भी घटे

  •   ऑक्सीजनसिलेंडरों की मांग में आयी कमी

अमरावती/प्रतिनिधि दि.७ – इन दिनों जहां एक ओर नये संक्रमित मिलने का प्रमाण कम हुआ है, वहीं दूसरी ओर इससे पहले संक्रमित पाये गये मरीजों में से काफी कम मरीज गंभीर स्थिति में है और अब मरीजों के ठीक होकर कोविड मुक्त होने का प्रमाण भी बढ रहा है. जिसकी वजह से सरकारी कोविड अस्पताल सहित निजी कोविड अस्पतालों में आधे से अधिक बेड रिक्त पडे है. ऐसे में अब कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज हेतु आवश्यक रहनेवाले रेमडेसिविर व टोसीली जुमैब जैसी जीवनरक्षक दवाईयों सहित ऑक्सीजन सिलेंडरों की मांग में काफी हद तक कमी आयी है. जिसके चलते इन तीनों जीवनरक्षक वस्तुओं की किल्लत दूर हो गयी है और आपूर्ति सूचारू होने के साथ ही रेमडेसिविर व टोसीली जुमैब जैसी जीवनरक्षक दवाईयों के दाम भी घट गये है. उल्लेखनीय है कि, जुलाई माह से अमरावती जिले में कोरोना के संक्रमण की रफ्तार बढनी शुरू हुई थी और अगस्त व सितंबर माह के दौरान तो मानो स्थिति पूरी तरह से विस्फोटक हो गयी थी. इस दौरान बडे पैमाने पर कोरोना संक्रमित मरीज पाये जाने के चलते जहां एक ओर शहर सहित जिले में एक के बाद एक निजी कोविड अस्पताल खोले जा रहे थे, ताकि मरीजों को भरती करने हेतु पर्याप्त संख्या में बेड उपलब्ध हो. वहीं दूसरी ओर मरीजों की लगातार बढती संख्या के चलते कोविड अस्पतालों में मरीजों को भरती करने के लिए बेड की किल्लत लगातार बनी हुई थी. इसके साथ ही कई मरीज गंभीर स्थिति में रहने की वजह से उनकी जान बचाने के लिए उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड रहा था तथा उन्हें बडे पैमाने पर कृत्रिम ऑक्सीजन सहित रेमडेसिविर व टोसीली जुमैब जैसी जीवनरक्षक दवाईयों की जरूरत पड रही थी. लेकिन इन तीनों वस्तुओं की मांग अचानक ही बढ जाने की वजह से इनकी आपूर्ति का समीकरण गडबडा गया और एक समय ऐसा भी आया जब रेमडेसिविर व टोसीली जुमैब जैसी जीवनरक्षक दवाईयों की बडे पैमाने पर कालाबाजारी होने की शिकायतें भी सामने आने लगी. आरोप लगाये गये कि, अगस्त व सितंबर माह के दौरान अचानक जरूरत व मांग बढ जाने की वजह से रेमडेसिविर व टोसीली जुमैब जैसे इंजेक्शन दो से तीन गुना अधिक दरों पर बेचे गये. साथ ही एक-दो मामलों में तो नकली इंजे्नशन बेचे जाने की भी जानकारी सामने आयी.
हालांकि प्रशासन एवं जिला केमिस्ट एन्ड ड्रगिस्ट एसो. द्वारा ऐसे तमाम आरोपों से हमेशा ही इन्कार किया गया और कहा गया कि, इन दिनों यद्यपि इन दवाईयों की कुछ किल्लत जरूर है,क्योंकि लगभग हर ओर इन दवाईयों की मांग में इजाफा हुआ है और प्रोड्नशन व ट्रान्स्र्पोटेशन से संबंधित दिक्कतों के चलते आपूर्ति में कुछ दिक्कते आ रही है, लेकिन दवाईयों की अनाप-शनाप दामों पर बिक्री कहीं पर भी नहीं हो रही, और नियोजनबध्द ढंग से कंपनियों को एडवांस पेमेंट के साथ डिमांड लेटर भेजे जाने की वजह से जिले की जरूरत के लिहाज से अमरावती में इन दवाईयों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है. वहीं दूसरी ओर अमरावती के अस्पतालों को ऑक्सीजन गैस सिलेंडरों की आपूर्ति करनेवाले श्री वल्लभ गैस एजन्सी पर भी काम का बोझ अचानक ही बढ गया था. वल्लभ गैस एजन्सी द्वारा इससे पहले सामान्य स्थिति में रोजाना ४०० से ५०० गैस सिलेंडरों की अस्पतालों को मेडिकल यूज के लिए आपूर्ति की जाती थी. लेकिन अगस्त व सितंबर माह में कोविड अस्पतालों में रोजाना १ हजार से १२०० ऑक्सीजन सिलेंडरों की जरूरत पडने लगी, लेकिन नागपुर से होनेवाले कच्चे माल की आपूर्ति का समीकरण गडबडाने की वजह से ऐन समय पर ऑक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति को सुचारू व सुनिश्चित रखना भी काफी दिक्कतवाला काम हो गया. ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा सरकारी कोविड अस्पताल, इर्विन अस्पताल व पीडीएमसी अस्पताल में भरती रहनेवाले कोरोना संक्रमित मरीजों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आनन-फानन में इन तीनों स्थानों पर लिक्वीड ऑक्सीजन टैंक स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गई. जिला प्रशासन के मुताबिक अब यह काम पूरा होने में है और जारी माह के दौरान ही इस प्लांट का काम पूरा हो जायेगा. जिससे जिले में २० हजार लीटर लिक्वीड ऑक्सीजन उपलब्ध होगा. ऑक्सीजन हे इस स्टॉक से जिले में कम से कम १० दिनों तक मरीजों को २४ घंटे ऑक्सीजन गैस उपलब्ध करायी जा सकेगी. लेकिन इस समय कोरोना संक्रमित मरीजों की लगातार संख्या घट रही है और गंभीर स्थिति में रहनेवाले मरीज भी अब काफी कम है. ऐसे में कृत्रिम ऑक्सीजन गैस की मांग में भी अब पहले जैसी तेजी नहीं है.

 

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पिछले महिने तक रोजाना १२०० से १३०० ऑक्सीजन गैस सिलेंडरों की आपूर्ति की जा रही थी. वहीं अब यह संख्या घटकर १ हजार सिलेंडर तक पहुंच चुकी है. उम्मीद है कि, अगर संक्रमण की रफ्तार ऐसे ही कम होती रहीं, तो आगे भी ऑ्िनसजन सिलेंडरों की जरूरत और मांग कम होगी. यह एक लिहाज से अच्छा संकेत है. उम्मीद की जा सकती है कि, जिले में बहुत जल्द कोरोना का संक्रमण पूरी तरह से रूक जाये और हालात जल्द से जल्द सामान्य हो. – हिमांशू वेद संचालक, श्री वल्लभ गॅसेस

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बाजार में शुरूआती दिनों में सिपला कंपनी की रेमडेसिविर व टोसीली जुमैब दवाई आती थी. जिसकी कीमत लगभग ४ हजार रूपये है. इस कंपनी का पिछले माह करीब दो बैच का लॉट फेल हो चुका है. फेल हुए लॉट को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और उसे वेस्टेज ही करना पडता है. जिसके कारण बाजार में दवाईयों की किल्लत महसूस हुई. लेकिन अब सिपला के साथ ही कैडीला, ज्युबिलैन, हेट्रो व रिड्डीलैब इन कंपनियों की रेमडेसिविर व टोसीली जुमैब दवाई बाजार में उपलब्ध है. अलग-अलग कंपनियों की ओर से सप्लाय शुरू कर दिये जाने के चलते अब कोरोना संक्रमित मरीजों को दवाईयों की किल्लत का सामना नहीं करना पडेगा. – सुरेश जैन अध्यक्ष, चेंबर ऑफ अमरावती महानगर मर्चंट एन्ड इंडस्ट्रीज

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रेमडेसिविर व टोसीली जुमैब इन दवाईयों की आपूर्ति अमरावती जिले को नागपुर से की जाती है. विगत दो-तीन माह से नागपुर में ही बडे पैमाने पर दवाईयों की जरूरत पड रही थी. साथ ही नागपुर से विदर्भ के हर जिले के अलावा मराठवाडा और खानदेश को भी दवाईयों की आपूर्ति की जा रही थी. जिसके कारण हर ओर दवाईयों की किल्लत महसूस हो रही थी. लेकिन अब बाजार में इन दोनों दवाईयों का स्टॉक भरपुर मात्रा में उपलब्ध है. वहीं इन दिनों इन दवाईयों की जरूरत रहनेवाले मरीजों की संख्या भी घट गयी है. ऐसे में मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनता दिखाई दे रहा है. साथ ही उम्मीद है कि, जल्द ही इस बीमारी का संक्रमण खत्म हो जाये, तब हालात पूरी तरह से सामान्य हो जायेंगे. – सौरभ मालाणी अध्यक्ष, अमरावती जिला केमिस्ट एन्ड ड्रगिस्ट एसो.

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