मुख्य समाचारयवतमालविदर्भ

पैदा होते ही बच्चे को बेचने का प्रयास

विवाहबाह्य संबंध से पैदा हुआ था बच्चा

* मंदिर में हो रहा था लेन-देन
* ऐन समय पर प्रशासन ने किया हस्तक्षेप
यवतमाल/दि.3 – तहसील अंतर्गत एक गांव में रहने वाली 25 वर्षीय युवती का कुछ दिन पहले विवाह हुआ था. लेकिन कुछ ही समय पश्चात वह अपने पति से अलग रहने लगी और उसका एक अन्य युवक से प्रेम संबंध जुड गया. साथ ही इस प्रेम संबंध की वजह से वह युवती गर्भवती हो गई. लेकिन पैदा होने वाला बच्चा दुनिया को किस तरह दिखाया जाए और इसके बारे में लोगों को क्या बताया जाए, इस सवाल से वह युवती जुझने लगी. ऐसे में उसने किसी जरुरतमंद व्यक्ति को अपना बच्चा बेच देने का निर्णय लिया और इस बारे में अपने कुछ परिचितों से संपर्क भी किया. पश्चात यह युवती प्रसूति के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज मेें भर्ती हुई. जहां पर उसने बुधवार को एक बच्चे को जन्म दिया. जिसके बाद पहले से तय योजना के तहत वह अपना बच्चा एक परिवार को बेचने निकली, लेकिन इससे पहले ही महिला व बालकल्याण विभाग तथा बालसंरक्षण कक्ष को इसकी भनक चल गई थी. ऐसे में समय रहते हुए बच्चे का सौदा होने से पहले ही प्रशासन ने इसमें हस्तक्षेप किया और बच्चे को अपने कब्जे में लेकर उसे शिशु गृह में भेजा गया.
जानकारी के मुताबिक इस युवती द्बारा अपना बच्चा दत्तक देने के नाम पर किसी को बेचा जाने वाला है. इसकी सूचना बालविकास प्रकल्प अधिकारी ओमप्रकाश नगराले को मिली थी. ऐसे में उन्होंने इसकी जानकारी महिला बालकल्याण विभाग व बालसंरक्षण कक्ष को दी. जिसके बाद दोनों महकमों का संयुक्त पथक मेडिकल कॉलेज पहुंचा. लेकिन इस समय तक उस युवती को डिस्जार्च मिल चुका था. ऐसे में पथक ने उसके गांव में फोन करते हुए पूछताछ की. लेकिन वह गांव पहुंची ही नहीं. जिसके चलते पथक के सदस्यों ने परिसर के ऑटो रिक्शा चालकों से पूछताछ करनी शुरु की. तब पता चला कि, एक युवती नवजात बच्चे के साथ ऑटो रिक्शा में बैठकर दत्त चौक परिसर में गई थी. ऐसे में पथक भी दत्त चौक पहुंचा. जहां पर स्थित दत्त मंदिर में यह नवप्रसूता युवती अपने बच्चे के साथ मौजूद थी. विशेष उल्लेखनीय है कि, उसका बच्चा हासिल करने हेतु यवतमाल के कुछ प्रतिष्ठित राजनीतिक व्यक्ति भी दत्त मंदिर में पहुंचे थे और दोनों पक्षोें के बीच बच्चों को लेकर लेन-देन का सौदा चल रहा था. लेकिन इसी समय महिला बालकल्याण विभाग व बालसंरक्षण कक्ष के पक्ष ने वहां पहुंचकर मामले में हस्तक्षेप किया और बच्चे को अपने कब्जे में लेने के साथ ही दोनों पक्षों को बताया गया कि, बच्चे को दत्तक लेने या देने के लिए कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी पडती है ओर इस तरह से आपस में दत्तक लेना या देना कानूनन अपराध होता है. पथक द्बारा किए गए हस्तक्षेप को देखते हुए बच्चा लेने हेतु मंदिर पहुंचे लोग तुरंत ही वहां से वापिस चले गए. पश्चात नवजात बच्चे व उक्त युवती को बालकल्याण समिति के सामने उपस्थित किया गया और समिति के आदेशानुसार गुरुवार की शाम इस बच्चे को वर्धा के शिशु गृह के सुपुर्द कर दिया गया.

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