अमरावती/प्रतिनिधि दि.19 – वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में खुद भाजपा के लोगों द्वारा बेईमानी किये जाने की वजह से डॉ. सुनील देशमुख को हार का सामना करना पडा था और आज वहीं भाजपाई डॉ. सुनील देशमुख के भाजपा छोडकर कांग्रेस में चले जाने से हायतौबा मचा रहे है, क्योंकि डॉ. सुनील देशमुख द्वारा घर वापसी कर लेने से अब जहां एक ओर कांग्रेस की स्थिति मजबुत हुई है, वहीं भाजपा के पास कोई नेतृत्व नहीं बचा है. इस आशय का प्रतिपादन युवक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सागर देशमुख द्वारा किया गया है.
भाजपा छोडकर कांग्रेस में प्रवेश करनेवाले डॉ. सुनील देशमुख को लेकर भाजपा पदाधिकारियों, विशेषकर भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर द्वारा लगाये जा रहे आरोपों का जवाब देते हुए सागर देशमुख ने कहा कि, वर्ष 2009 में डॉ. सुनील देशमुख ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा था और उस समय भाजपा प्रत्याशी की जमानत भी जप्त हो गई थी. ऐसे में यह साबित हो जाता है कि, अमरावती में भाजपा का कोेई जनाधार नहीं है. वहीं वर्ष 2014 में डॉ. सुनील देशमुख की वजह से ही चांदी हो गई थी और उन्हें अमरावती की सीट मिली थी, लेकिन वर्ष 2019 के चुनाव में डॉ. सुनील देशमुख से बेईमानी करते हुए भाजपा के स्थानीय नेताओं ने ही उनको पराजीत करने में महत्वपूर्ण भुमिका निभाई थी. जिसकी वजह से डॉ. देशमुख अस्वस्थ थे और उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी में लौटने का फैसला किया. जिससे अब भाजपा नेताओं की नींद उड गई है. सागर देशमुख के मुताबिक जिस तरह पश्चिम बंगाल में भाजपाई बने कई नेता अपने-अपने दलों में वापिस जा रहे है, लगभग वहीं स्थिति आनेवाले वक्त में महाराष्ट्र में भी दिखाई देगी, क्योंकि वर्ष 2014 में भाजपा ने कांग्रेस के कई नेताओं को आयात करते हुए राज्य की सत्ता हासिल की थी और ऐसे सभी नेताओं का अब भाजपा से मोहभंग हो गया है, जो एक-एक कर कांग्रेस में वापिस लौट रहे है.
इसके साथ ही सागर देशमुख ने यह भी कहा कि, मनपा के आगामी चुनाव में डॉ. देशमुख के नेतृत्व में कांग्रेस की पूरी ताकत दिखाई देगी. साथ ही जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर जैसे यशस्वी नेतृत्व को विकास का विजन रहनेवाले डॉ. सुनील देशमुख का साथ मिलने से जिले में बडी विकासात्मक क्रांति भी होगी. अत: शहर के भाजपा नेताओं ने विपक्ष में बैठने और विरोध में बोलने की पक्की तैयारी कर लेनी चाहिए.