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जनजागृति के बाद ‘ब्लैक फंगस’ के मरीज घटे

 अब तक 224 संक्रमित, 11 की हुई मौत

अमरावती/प्रतिनिधि दि.29 – कोविड संक्रमण की चपेट में आने के बाद कोविड मुक्त होनेवाले कई मरीजों में विगत कुछ दिनों से म्युकर माईकोसिस यानी ब्लैक फंगस नामक बीमारी का संक्रमण देखा जा रहा था. जिसकी वजह से प्रशासन का सिरदर्द बढ गया था. किंतु इस संदर्भ में जिला प्रशासन द्वारा शुरू किये गये सर्वेक्षण व जनजागृति अभियान के बाद ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आती देखी गई. जिले में अब तक ब्लैक फंगस के कुल 224 संक्रमित मरीज पाये जा चुके है. जिसमें से अब तक 11 मरीजों की मौत हुई है तथा फिलहाल 120 मरीज विभिन्न अस्पतालों में भरती रहकर अपना इलाज करा रहे है. वहीं शेष मरीज इलाज के बाद ठीक होकर अपने घर जा चुके है.
बता दें कि, कोविड मुक्त हो चुके मरीजों में ब्लैक फंगस के लगातार बढते खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा कोविड मुक्त हो चुके मरीजों का सर्वेक्षण करना शुरू किया गया है. जिसके तहत 31 हजार से अधिक कोविड मुक्त हो चुके लोगों से संपर्क करते हुए उनकी स्वास्थ्य जांच की गई और ब्लैक फंगस का लक्षण रहनेवाले मरीजों को तुरंत ही इलाज के लिए अस्पताल में भरती कराया गया. इसके साथ ही ब्लैक फंगस को लेकर जिला प्रशासन द्वारा व्यापक स्तर पर जनजागृति अभियान भी चलाया गया. जिसके चलते विगत कुछ दिनों से जिले में ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आयी है.

 

Shailesh-Nawal-Amravati-Mandal

  • कोविड मुक्त होने के बाद एक माह तक सतर्क रहे

लगातार की जा रही जनजागृति तथा रेमडेसिविर इंजेक्शन का प्रयोग कम किये जाने की वजह से अब ब्लैक फंगस के मरीज भी कम हो गये है. इस समय जिले में ब्लैक फंगस से संक्रमित 120 मरीज इलाज हेतु अलग-अलग अस्पतालों में भरती है. जिसमें से 66 मरीज इर्विन अस्पताल में भरती कराये गये है. बेहद जरूरी है कि, कोविड संक्रमण की चपेट में आने के बाद कोविड मुक्त होने पर संबंधितों द्वारा कम से कम एक माह तक अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी सतर्कता बरती जाये.
शैेलेश नवाल
   जिलाधीश

  • इंजेक्शन की वजह से मरीजों में हो रही रिएक्शन

‘एम्फोटेरिसिन-बी’ के प्रयोग पर लायी गई बंदी
वहीं इस बीच पता चला है कि, नागपुर के मेडिकल अस्पताल में भरती कई ब्लैकफंगस संक्रमित मरीजों में ‘एम्फोटेरिसिन-बी लायपोसोमल’ इंजेक्शन की वजह से रिएक्शन हुई है. जिसके चलते मेडिकल प्रशासन द्वारा इस इंजेक्शन के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी गई है. इसके अलावा औरंगाबाद के भी मेडिकल अस्पताल में ऐसा ही मामला सामने आया है. जिसकी वजह से ‘उस’ बैच के इंजेक्शन का प्रयोग रोक दिया गया है.
जानकारी के मुताबिक ‘एम्फोटेरिसिन-बी’ इंजेक्शन की कालाबाजारी न हो, इस बात के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने विगत माह से खरीदी व वितरण की प्रक्रिया को अपने नियंत्रण में ले लिया था और विगत 23 जून को नागपुर मेडिकल को करीब ढाई हजार इंजेक्शन का स्टॉक उपलब्ध कराया गया. जिसमें दोषयुक्त रहनेवाली ‘बैच’ के इंजेक्शनों का भी समावेश था. इस समय नागपुर के मेडिकल अस्पताल में म्युकर मायकोसिस के 118 मरीज भरती है और विगत 25 जून को यहां पर प्राप्त स्टॉक में से दोषयुक्त बैच के 77 इंजेक्शन वापिस लौटा दिये गये और इस समय इंजेक्शन उपलब्ध नहीं रहने की वजह से मरीजों को काफी दिक्कतोें का सामना करना पड रहा है.

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