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सुपर कोविड अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी दो डॉक्टरों समेत छह गिरफ्तार, रेमडेसिविर के 10 व्हायल जब्त

रात 8 बजे शुरु हुई पुलिस की कार्रवाई तडके 5 बजे तक चली

  •  सुपर कोविड अस्पताल से संजीवनी कोविड सेंटर तक जुडी है चेन

अमरावती/प्रतिनिधि दि.12 – जिले में जहां एक और कोरोना महामारी ने हाहाकार मचाकर रख दिया है. रोजाना हजारों की संख्या में कोरोना के मरीज आ मिल रहे है. ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में जगह न मिलने के कारण अनेक लोग अपने रिश्तेदारों को अमरावती के सुपर कोविड अस्पताल में लाकर भर्ती करते है. अमरावती जिले में पिछले वर्ष जब कोरोना महामारी की शुुरुआत हुई तभी से जिले के कोरोना संक्रमितों को सुपर कोविड अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. यहां मरीजों पर होने वाले इलाज पर लोगों का काफी विश्वास बढ चुका था. किंतु कल रात अमरावती शहर पुलिस की क्राईम ब्रांच और स्थानीय अन्न व औषधि प्रशासन विभाग की ओर से रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले एक रैकेट का पर्दाफाश किया गया. पकडे गए इस गिरोह में सुपर कोविड अस्पताल के मैनेजमेट प्रमुख डॉ.अक्षय मधुकर राठोड समेत वार्ड बॉय शुभम सोनटक्के, शुभम किल्लेकर व सुपर कोविड अस्पताल की परिचारिका का समावेश है. विशेष यह कि इसी कोविड अस्पताल में आने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन पुराने हाईवे पर सेलिब्रेशन हॉल में 8 दिन पहले शुरु हुए संजीवनी कोविड सेंटर के लेबारटरी असिस्टंट और डॉक्टर की मदत से बेचे जा रहे थे. इस गिरोह का कल रात आयुक्तालय पुलिस की क्राईम ब्रांच और अन्न व औषधि प्रशासन ने पर्दाफाश किया. कल रात पुलिस ने एक नकली ग्राहक भेजकर पहले सुपर कोविड अस्पताल के वार्ड बॉय शुभम सोनटक्के और शुभम किल्लेकर से संपर्क किया. इन दोनों ने कैडिला कंपनी के दो रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए 12 हजार रुपए की मांग की. अन्न व औषधि प्रशासन विभाग के निरीक्षक मनीष गोटमारे ने ‘दै.अमरावती मंडल’ को बताया कि यह दोनों इंजेक्शन केवल शासकीय अस्पतालों के लिए मंजूर थे और उसपर नॉट फॉर सेल का सिक्का था. जिसकी मुल कीमत 600 रुपए है. यह इंजेक्शन 12 हजार में बेचने के इरादे से दोनों कैम्प कॉर्नर के समीप एक्सीस बैंक के एटीएम के पास पहुंचे. वहां पुलिस ने इन दोनों को तत्काल हिरासत में लिया. उनसे पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि, उन्हें यह इंजेक्शन सुपर कोविड अस्पताल का मैनेजमेंट संभालने वाले डॉ.अक्षय मधुकर राठोड ने दिये है. अक्षय राठोड भातकुली पीएचसी के क्वार्टर नं.4 में रहता है. जिससे पुलिस ने अक्षय रोठोड से संपर्क कर इंजेक्शन की मांग की. डॉ.अक्षय राठोड की बोलेरो गाडी की डिक्की से एक और इंजेक्शन जब्त किया गया. डॉ.अक्षय राठोड से इस इंजेक्शन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि सुपर कोविड अस्पताल में कार्यरत नर्स पूनम भिमराव सोनोने ने उन्हें दिये है. पूनम सोनोने अकोला जिले के बार्शिटाकली तहसील के भेडगांव की निवासी है, लेकिन फिलहाल वह पीडीएमसी के होस्टेल में रहती है. पुलिस ने रात में ही पीडीएमसी के होस्टेल से पूनम सोनोने को हिरासत में लिया. उसके पास से हेट्रो कंपनी का एक इंजेक्शन जब्त किया गया. जिसकी मूल कीमत 3 हजार 590 रुपए है. जो वह 12 हजार रुपए में बेचती थी. पूनम सोनोने को हिरासत में लेने के बाद जब पुलिस ने पूछताछ की तो उसने संजीवनी कोविड सेंटर के लेबारटरी असिस्टंट अनिल गजानन पिंजरकर ने उसे दिये. पिंजरकर के पास से पुलिस ने 4 इंजेक्शन जब्त किये है. उसके बाद पुलिस ने तत्काल पुराने हाईवे पर स्थित संजीवनी कोविड हेल्थ सेंटर पर छापा मारा तो वहां कार्यरत डॉ.पवन दत्तात्रय मालुसरे के पास से पुलिस ने और दो इंजेक्शन जब्त किये है. इस तरह रातभर चली पुलिस कार्रवाई के दौरान कुल 10 इंजेक्शन पुलिस ने जब्त किये है. ‘दै.अमरावती मंडल’ को मिली जानकारी के अनुसार सरकारी कोटे में सुपर कोविड अस्पताल को मिलने वाले इंजेक्शन का इसमें समावेश है. कैडिला कंपनी के 3 इंजेक्शन इस कार्रवाई में जब्त किये गए, जो सरकारी कोटे के थे. पुलिस ने इस कार्रवाई के दौरान रेमडेैक ब्रांड कंपनी के 3 इंजेक्शन जब्त किये. जिसकी कीमत 36 हजार रुपए बताई गई है. वहीं 5 इंजेक्शन हेट्रा कंपनी के है, जिसकी कीमत 60 हजार रुपए बताई गई है. 2 इंजेक्शन सिप्रिमी ब्रांड के है, जो सिपला कंपनी के है, जिनकी कीमत 24 हजार रुपए बताई गई है. इस तरह कुल 1 लाख 20 हजार रुपए कीमत के रेमडेसिविर इंजेक्शन पुलिस ने जब्त किये है. यह कार्रवाई पुलिस आयुक्त डॉ.आरती सिंह के मार्गदर्शन में क्राईम ब्रांच के पीआई कैलाश पुंडकर के नेतृत्व में विशेष दल के प्रमुख सहायक पुलिस निरीक्षक पंकज चक्रे, क्राईम ब्रांच के पीएसआई राजकिरण येवले, हेडकाँस्टेबल राजेश राठोड, नायब पुलिस सिपाही गजानन ढेवले, निलेश जुनघरे, चेतन कराडे व पुलिस आयुक्त दल के सुरज चव्हाण, निखिल गेडाम, राजीक रायलीवाले आदि ने की.

  • दवा विक्रेता एजेंसी की भी होगी जांच

जिले में हेट्रो के 4 और सिपला के 4 वितरक है
अन्न व औषधि प्रशासन विभाग के अनुसार कल रातभर चली इस कार्रवाई के दौरान हेट्रो कंपनी के कोव्हीफॉर नाम के 5 रेमडेसिविर इंजेक्शन और सिपला कंपनी के सिप्रेमी नाम के 2 इंजेक्शन जब्त किये गए है. यह इंजेक्शन निजी कंपनी के रहने के कारण इसके विक्रेता यहां नियुक्त किये गए है, लेकिन यह फॉर्मासिस्ट किसी मेडिकल स्टोअर्स को यह इंजेक्शन नहीं बेच सकते बल्कि जिले के निजी कोविड सेंटर में इलाज के लिए भर्ती मरीजों की संख्या के अनुसार वह निजी कोविड सेंटर यह इंजेक्शन खरीदते है और इसपर जिलाधिकारी कार्यालय का अंकुश रहता है. एक फॉर्मासिटीकल ने दिनभर में कौनसे कोविड सेंटर को कितने इंजेक्शन दिये इसका समूचा रिकॉर्ड जिलाधिकारी कार्यालय को देना पडता है. इसी बीच अन्न व औषधि प्रशासन विभाग ने ‘दै. अमरावती मंडल’ को बताया कि अमरावती शहर के महावीर कॉम्प्लेक्स और गुलशन टॉवर में अधिकतर फॉर्मासिटीकल एजेंसियां कार्यरत है. कल रात जब्त किये गए हेट्रो कंपनी के कोव्हीफॉर रेमडेसिविर इंजेक्शन के अधिकृत विक्रेताओं में शुभम एजेंसी, वरु मेडिकल्स, वरु फॉर्मासिटीकल्स और ईश्वर एजेंसी का समावेश है. वहीं सिपला कंपनी के जब्त किये गए सिप्रेमी रेमडेसिविर इंजेक्शन के मूल विक्रेताओं में चंदा एजेंसीज, ईश्वर इजेंसीज, साईकृपा एजेंसीज और साईकृपा एजेंसी और संजय ट्रेडर्स का समावेश है. इन 8 फॉर्मासिटीकल व्दारा संजीवनी कोविड सेंटर को पिछले 8 दिनों में हर रोज इंजेक्शन का कितना स्टॉक दिया गया, इसकी जांच की जाएगी.

  • कुल 15 लाख 14 हजार का माल जब्त

कल रात 8 बजे के तडके 4.30 बजे तक चली छापामार कार्रवाई के दौरान पुलिस ने 10 रेमडेसिविर इंजेक्श्न के साथ ही दो फोरव्हीलर वाहन, दो दुपहिया और छह मोबाइल इस तरह कुल 15 लाख 14 हजार रुपए का माल जब्त किया है. जिसमें पुलिस ने कैडिला हेल्थ केअर कंपनी के 3 इंजेक्शन जिसकी कीमत 36 हजार रुपए है, हेट्रो कंपनी के 5 इंजेक्शन जिसकी कीमत 60 हजार रुपए है. 2 इंजेक्शन सिपला कंपनी के जिसकी कीमत 24 हजार रुपए है. इसके साथ ही एमएच 20 सीसी 7721 नंबर की हिरोहोंडा जिसकी कीमत 50 हजार रुपए है, एमएच 27/एटी-1613 नंबर की एक्टीवा जिसकी कीमत 60 हजार रुपए है तथा महेंद्र बोलेरो क्रमांक एमएच 27/बीयू-2333 जिसकी कीमत 4 लाख रुपए है और मारोती ब्रेजा गाडी क्रमांक एमएच 27/बीझेड-0239 जिसकी कीमत 8 लाख रुपए है. इस तरह कुल 15 लाख 14 हजार रुपए का माल पुलिस ने जब्त किया है.

      आरोपी                                       पद
शुभम कुमोद सोनटक्के (24) – वार्डबॉय, सुपर कोविड अस्पताल
शुभम शंकर किल्लेकर (24) – वार्डबॉय, महावीर हॉस्पिटल
डॉ.अक्षय मधुकर राठोड (24) – लैब असिस्टंट, सुपर कोविड
पूनम भीमराव सोनोने (26)- नर्स, सुपर कोविड अस्पताल
अनिल गजानन पिंजरकर (38) – लैब असिस्टंट, संजीवनी कोविड
डॉ.पवन दत्तात्रय मालुसरे (35) – इंचार्ज, संजीवनी कोविड सेंटर

  • पिंजरकर पॉजिटीव निकला, पुलिस ने पीसीआर ही नहीं मांगा

 रेमडेसिविर ब्लैक में बेचने वाले सभी जेल रवाना
 कल रात सुपर कोविड अस्पताल के एक डॉक्टर, नर्स व वार्डबॉय तथा पुराने हाईवे पर स्थित संजीवनी कोविड केअर सेंटर के प्रमुख डॉ. पवन मालुसरे व लैब असिस्टंट अनिल पिंजरकर आदि को कल रात पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए पकडा है. उनके पास से मनमाने भाव से बेचने के लिए लाये रेमडेसिविर इंजेक्शन भी पुलिस ने जब्त किये है. आज सुबह सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उनकी वैद्यकीय जांच की. फिलहाल कोरोना का कहर बडी मात्रा में रहने से गिरफ्तार किये गए हर आरोपी की कोरोना टेस्ट करना जरुरी रहता है. इस कारण पुलिस ने सभी आरोपियों को मेडिकल के लिए इर्विन अस्पताल में लाया. जिसमें अनिल पिंजरकर यह कोरोना पॉजिटीव पाया गया. इस कारण पुलिस ने गिरफ्तार किये गए सभी आरोपियों को बाद में न्यायालय में तो पेश किया, लेकिन उनकी पुलिस कस्टडी की मांग ही न्यायालय से नहीं की, इस तरह की जानकारी आरोपियों को न्यायालय में ले जाने वाले क्राईम ब्रांच के पीएसआई राजकिरण येवले ने बताया. केवल एक आरोपी पॉजिटीव पाये जाने से किसी का भी पीसीआर न मांगने की पुलिस की भूमिका पर संदेह जताया जा रहा है. जो आरोपी यानी अनिल पिंजरकर पॉजिटीव पाये जाने पर उसे नियम के अनुसार कोविड सेंंटर भेजकर पुलिस शेष आरोपियों की पुलिस कस्टडी मांग सकती थी, लेकिन ऐसा न करते हुए जब पुलिस ने आरोपियों के पीसीआर की मांग ही नहीं की. तब न्यायालय ने सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेजने के आदेश दिये है.

 

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  • कोविड केअर सेंटर को रेमडेसिविर की जरुरत क्या

 संजीवनी अस्पताल में इंजेक्शन के 25 खाली खोके मिले, रहस्य क्या?
विशेष बात यह कि कोरोना पॉजिटीव पाये गए अनेकों मरीजों को या तो होम क्वारेंटाइन रखा जाता हेै या फिर जिस पॉजिटीव मरीज के घर में क्वारेंटाइन की व्यवस्था नहीं है, ऐसे मरीजों को कोविड केअर सेंटर में रखा जाता है. कल रात रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का पर्दाफाश करते समय पुलिस ने पुराने हाईवे पर स्थित संजीवनी कोविड केअर सेंटर पर छापा मारा. जहां से तिवसा पीएचसी के डॉक्टर पवन मालुसरे व लैब असिस्टंट अनिल पिंजरकर को पकडा. उनके पास से इंजेक्शन भी जब्त किये गए. यह संजीवनी कोविड सेंटर डॉ.मुकुंद टोंगले का बताया गया है. जिसका मनमुकुंद हॉस्पिटल भी है. विशेष यह कि कोविड केअर सेंटर में रखे जाने वाले कोरोना मरीजों को ना ही आईसीयू की जरुरत रहती है और ना ही उन्हें वेेंटीलेटर व ऑक्सीजन की जरुरत रहती. इस कारण उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन भी नहीं लगाया जाता. बावजूद इसके डॉ.मालुसरे व इस सेंटर के असिस्टंट पिंजरकर के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन मिले है. इसका स्पष्ट अर्थ यह कि इन दोनों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के उद्देश्य से यह इंजेक्शन अपने पास रखे है. कल रात कार्रवाई के दौरान इस कोविड सेंटर में उपस्थित एक अधिकारी ने बताया कि कोविड सेंटर के कोने में रेमडेसिविर इंजेक्शन के 25 खाली खोके पडे थे, लेकिन वह खोके खाली रहने से उन्हें जब्त नहीं किया गया. जब कोविड केअर सेंटर को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरुरत ही नहीं तो फिर यहां 25 खाली खोके कैेसे मिले. इसका रहस्य मात्र अभी भी कायम है.

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