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धडल्ले से चल रही है रेमडेसिविर इंजे्नशन की कालाबाजारी

  • टोसीली जुमेब की भी हो रही अनाप-शनाप दरों पर बिक्री

  • अन्न औषधी प्रशासन कालाबाजारी पर रोक लगाने में नाकाम

  • मांग बढने का उठाया जा रहा जमकर फायदा

  • कोरोना से संक्रमित गरीब लोगों की जान अटकी सांसत में

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२५ – इस समय हर ओर जानलेवा कही जा सकती कोरोना की बीमारी कहर ढा रही है और आये दिन २०० से ३०० नये कोरोना संक्रमित मरीज पाये जा रहे है. गंभीर स्थिति में रहनेवाले कोरोना संक्रमित मरीजों जान बचाने के लिए रेमेडेसिविर और टोसीली जुमेब नामक इंजे्नशन की बडे पैमाने पर जरूरत पड रही है. ऐसे में इन दोनों जीवनरक्षक दवाईयों की मांग काफी बढ गयी है. इस बात का फायदा उठाते हुए कई फार्मा वितरकों द्वारा बाजार में इन दोनोें दवाईयों की कृत्रिम किल्लत पैदा कर इन दवाईयों के दाम अनाप-शनाप ढंग से बढा दिये गये है और इन दिनों इन दोनों दवाईयों की बाजार में जमकर कालाबाजारी हो रही है. जानकारी के मुताबिक रेमेडेसिविर इंजे्नशन की कीमत ५ हजार ५०० रूपये है, लेकिन यह इंजे्नशन इन दिनों १५ हजार से ३० हजार रूपये में बिक रहा है. वहीं ४० हजार रूपये की कीमत रहनेवाला टोसीली जुमेब नामक इंजे्नशन इस समय ५५ से ६० हजार रूपये की कीमत में दिया जा रहा है. इस आशय की शिकायतें बडे पैमाने पर सामने आ रही है. जिसके चलते कमजोर आर्थिक स्थिति रहनेवाले मरीजों की जान सांसत में अटकी पडी है. वहीं इलाज के लिए भारीभरकम बजट एवं जान-पहचान रहनेवाले लोग अपने कोरोना संक्रमित मरीज के लिए इन इंजे्नशनों की मुंहमांगे दाम पर खरीदी कर रहे है. उल्लेखनीय है कि, इस समय कोरोना संक्रमण की स्थिति लगभग बेकाबू होने की कगार पर है और अमरावती जिले में कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या अब १२ हजार के स्तर को पार कर चुकी है. जिसमें से अब तक २५९ लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं ९ हजार १६६ मरीजों को डिस्चार्ज मिल चुका है. लेकिन इस समय २ हजार ५९१ मरीजों का एक्टिव पॉजीटिव के तौर पर इलाज चल रहा है. जिसमें से १ हजार ५६६ मरीज सुपर स्पेशालीटी सहित निजी कोविड अस्पतालों में भरती रहकर अपना इलाज करवा रहे है.
साथ ही १ हजार १३ मरीजों को होम आयसोलेशन के तहत रखा गया है. कोविड अस्पतालों में भरती डेढ हजार से अधिक मरीजों में से कई मरीजों की स्थिति गंभीर रहने के चलते उन्हें आयसीयू व ऑक्सीजन बेड पर रखा गया है. साथ ही कुछ मरीज वेंटिलेटर पर भी है. ऐसे मरीजों की हालत गंभीर होने पर उसे पहले दिन २०० मिली का रेमेडेसिविर इंजे्नशन दिया जाता है. साथ ही मरीज की स्थिति में कुछ सुधार होने पर दूसरे दिन डोज की मात्रा को कम किया जाता है. २७०० रूपयों में उपलब्ध होनेवाली इस इंजे्नशन की यूनिट इस समय करीब ९ से ११ हजार रूपये के आसपास बेची जा रही है. वहीं दूसरी ओर रेमडेसिविर इंजे्नशन देने के बाद भी यदि मरीज के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं होता, और अगर उसकी हालत लगातार बिगड रही होती है तो उसे टोसीली जुमेब का इंजे्नशन दिया जाता है. जिसकी वास्तविक कीमत ४० हजार ५४५ रूपये बतायी गयी है, लेकिन फिलहाल इस इंजे्नशन की भी बाजार में जबर्दस्त किल्लत बनी हुई है और यह इंजे्नशन ५५ से ६० हजार रूपये मूल्य पर बेचा जा रहा है. ज्ञात रहे कि, इन दिनों कोरोना संक्रमितों की लगातार बढती संख्या की वजह से कोविड अस्पतालों में अब बेड की उपलब्धता कम पडने लगी है. वहीं गंभीर स्थितिवाले मरीजों की संख्या बढने के चलते ऑक्सीजन सिलेंडरों की भी किल्लत महसूस होने लगी है. वहीं अब जीवनरक्षक दवाईयों की कृत्रिम किल्लत पैदा करते हुए ऐसी दवाईयों को अधिक लाभ की लालच में अनाप-शनाप दरों पर बेचा जा रहा है. यह सीधे-सीधे स्वार्थ व लालच में अंधे होकर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने की तरह है. लेकिन सर्वाधिक समस्या उन लोगोें की है, जो बेहद कमजोर आर्थिक परिस्थिति से वास्ता रखते है और अपने किसी परिजन की जान बचाने के लिए पाई-पाई जोडने के बाद भी इस रकम का जुगाड नहीं कर पाते. इसके अलावा जान-पहचान का सीमित दायरा रहनेवाले गरीब व मध्यमवर्गीय लोगबाग अपने मरीजों की जान बचाने हेतु जरूरी रहनेवाले इन इंजे्नशनों को हासिल करने के लिए दर-दर की ठोकरे भी खाते है. वहीं दूसरी ओर स्थानीय जिला प्रशासन व अन्न औषधी प्रशासन द्वारा यद्यपि दवाईयों की कालाबाजारी को रोकने के लिए तमाम प्रयास करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन बावजूद इसके बाजार में जीवनरक्षक दवाईयों की कालाबाजारी खुलेआम चल रही है और ऐसे तमाम दावे हवा-हवाई साबित हो रहे है.

क्या स्वास्थ्य मंत्री टोपे देंगे ध्यान

उल्लेखनीय है कि, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे आज शुक्रवार २५ सितंबर को अमरावती जिले के दौरे पर है और वे यहां पर तमाम स्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं की समीक्षा करेंगे. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि, वे इस समस्या की ओर भी गंभीरतापूर्वक ध्यान देंगे. साथ ही स्वास्थ्य मंत्री के इस दौरे को ध्यान में रखते हुए शहर के कई राजनीतिक पदाधिकारियों व सामाजिक संगठनों द्वारा उन्हें इसी विषय से संबंधित ज्ञापन व निवेदन भी सौंपे जाने की तैयारी की गई है. वहीं इससे पहले जिला पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकुर ने भी करीब तीन दिन पूर्व सभी निजी कोविड अस्पताल संचालकों, डॉक्टरों तथा केमिस्टों की एक संयुक्त बैठक बुलायी थी. जिसमें उन्होंने जीवनरक्षक दवाईयों एवं ऑक्सीजन की सप्लाय को अबाधित व सुनिश्चित रखने के संदर्भ में आवश्यक दिशानिर्देश जारी किये थे. लेकिन इसके बावजूद भी रेमेडेसिविर व टोसीली जुमेब जैसी जीवनरक्षक दवाईयों की कीमतों को लेकर हालात सुधरते हुए दिखाई नहीं दे रहे.

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कालाबाजारी करनेवालों पर उडन दस्तों की नजर

जिलाधीश नवाल ने दी जानकारी इस संदर्भ में जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर जिलाधीश शैलेश नवाल ने कहा कि, इस तरह की कालाबाजारी बिल्कूल भी बर्दाश्त नहीं की जायेगी और ऐसे मामलों पर नजर रखने हेतु कुछ उडन दस्ते तैयार किये गये है. जिनके द्वारा इन जीवनरक्षक दवाईयों की कालाबाजारी करनेवाले लोगों के खिलाफ संबंधित कानूनों के तहत कडी कार्रवाई की जायेगी. जिलाधीश नवाल ने बताया कि, इस समय कोविड सेंटर के लिए १ हजार ७९८ यूनिट इंजे्नशन उपलब्ध हो गये है और पहले के स्टॉक में १०० यूनिट इंजे्नशन शेष है. ऐसे में अब इन इंजे्नशन के १ हजार ८९८ यूनिट उपलब्ध है, लेकिन हर एक कोरोना संक्रमित मरीज को यह इंजे्नशन देने की जरूरत नहीं पडती. बल्कि जिन मरीजों के शरीर में ऑ्िनसजन की मात्रा व स्तर एकदम घट जाती है, केवल उन्हीं मरीजों को यह इंजे्नशन देना जरूरी होता है. अत: हर एक कोरोना संक्रमित मरीज व उसके परिजनों को घबराने की जरूरत नहीं है. साथ ही उन्होंने सभी संबंधितों को चेतावनी भी दी कि, यदि कोई भी व्यक्ति जीवनरक्षक दवाईयों की कालाबाजारी में लिप्त पाया गया, तो उसे बख्शा नहीं जायेगा.

 

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ना किल्लत है, ना कालाबाजारी हो रही, मुझसे करो संपर्क, मैं दिलवाउंगा दवाई

वहीं इस संदर्भ में जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर केमिस्ट एन्ड ड्रगिस्ट एसो. के अध्यक्ष सौरभ मालाणी ने कहा कि, इस समय सिपला व हैट्रो जैसी कंपनियों द्वारा भरपुर मात्रा में रेमडेसिविर व टोसीली जुमेब इंजे्नशन्स् की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन जितने यूनिट इंजे्नशन आ रहे है, उससे अधिक यूनिटस् की मांग दिनोंदिन बढती जा रही है. इस वजह से कभी-कभार मांग और आपूर्ति का समीकरण गडबडा जाता है. लेकिन हम सभी लोग आपूर्ति को सुचारू रखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे है. सौरभ मालाणी के मुताबिक इस समय सभी कंपनियां एडवांस पेमेंट में काम कर रही है. ऐसे में सभी कोविड अस्पतालों को कम से कम एक हफ्ते का नियोजन तैयार करते हुए अपनी डिमांड नोट तैयार करना जरूरी है. यदि इस नियोजन में गडबडी हो गयी, तो फिर किल्लत जैसी स्थिति दिखाई दे सकती है. ्नयोेंकि एडवांस पेमेंट और डिमांड नोट भेजने के बाद स्टॉक उपलब्ध होने में कम से कम दो से तीन दिन का समय लगता है. इन दिनों रेमडेसिविर व टोसीली जुमेब इंजे्नशन्स की अनाप-शनाप दरों पर बिक्री करते हुए कालाबाजारी होने के संदर्भ में पूछे गये सवाल पर सौरभ मालाणी ने कहा कि, अगर ऐसी एक भी शिकायत सही पायी गयी, तो प्रशासन से पहले खुद केमिस्ट एन्ड ड्रगिस्ट एसो. द्वारा ही संबंधित केमिस्ट के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक ऐसा उदाहरण पेश किया जायेगा, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति दवाईयों की कालाबाजारी के संदर्भ में सोच भी ना सके. उन्होंने कहा कि, इस समय जहां एक ओर हैट्रो कंपनी द्वारा सीधे रिटेल केमिस्टों को माल उपलब्ध कराया जा रहा है, वहीं सिपला कंपनी द्वारा अपने पांच होलसेल स्टॉकिस्टों के जरिये दवाईयों की खेप उपलब्ध करायी जा रही है. इन सभी होलसेलरों व रिटेलरों द्वारा लगातार कंपनियों को एडवांस पेमेंट भेजा जा रहा है और जैसे ही स्टॉक उपलब्ध होता है, तो उसे कोविड एवं सारी संक्रमित मरीजों के इलाज हेतु संबंधितों को उपलब्ध करा दिया जाता है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि, इस समय हर एक कोविड अस्पताल में उनकी जरूरत के हिसाब से इन जीवनरक्षक दवाईयों का १०० फीसदी स्टॉक उपलब्ध है. अत: किल्लत और कालाबाजारी का सवाल ही नहीं उठता.

रेमडेसिविर व टोसीली जुमेब इंजे्नशन प्राप्त करने और शिकायत दर्ज कराने इनसे करें संपर्क

सौरभ मालाणी अध्यक्ष, केमिस्ट एन्ड ड्रगिस्ट एसो.

९४२३८१२३४५

९८२३१२०३३८

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