जिला बैंक मामले में ब्रोकर गांधी दम्पत्ति को मिली राहत
हाईकोर्ट ने दोषारोप पत्र दायर करने से किया मना
अमरावती/प्रतिनिधि दि.26 – स्थानीय जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक द्वारा म्युच्युअल फंड में किये गये 700 करोड रूपये के निवेश की ऐवज में 3.39 करोड रूपयों की कमीशनखोरी के मामले में नामजद किये गये नीता व राजेंद्र गांधी दम्पत्ति को मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ द्वारा राहत दी गई है. जिसमें कहा गया है कि, अगली सुनवाई तक इस मामले में गांधी दम्पत्ति के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल न किया जाये. साथ ही इस मामले में राज्य सरकार को नोटीस जारी करते हुए दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने के लिए कहा गया है.
बता दें कि, इस मामले में आरोपित किये गये गांधी दम्पत्ति निप्पॉन इंडिया म्युच्युअल फंड के पंजीकृत वितरक है और उनके सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ सिटी कोतवाली पुलिस ने 15 जून 2021 को भादंवि की धारा 406, 409, 420, 467, 468, 471 व 120 ब अंतर्गत एफआईआर दर्ज की है. आरोप है कि, बैंक के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों ने म्युच्युअल फंड कंपनी के एजेंटों के साथ मिलीभगत करते हुए बैंक की रकम को म्युच्युअल फंड में निवेश किया. जिसमें 3 करोड 39 लाख 23 हजार 319 रूपये की दलाली कमाई गयी. यदि बैंक द्वारा नियमानुसार यह रकम सीधे निवेश की जाती, तो बैंक को 3 करोड 39 लाख रूपये का अतिरिक्त फायदा हो सकता था. किंतु यह व्यवहार करते समय रिजर्व बैंक के परिपत्रक का उल्लंघन किया गया और बैंक के फर्जी मुहर को प्रयोग किया गया. जिसके आधार पर सभी आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया. पश्चात गांधी दम्पत्ति ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने हेतु एड. फिरदौस मिर्जा के मार्फत नागपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की. जिसमें कहा गया कि, वे नकद निवेश के संदर्भ में काफी ज्ञान रखते है और उसके आधार पर ग्राहकों को निवेश के संदर्भ में सलाह देते है. जिसके लिए उन्हें कंपनी द्वारा नियमानुसार कमिशन दिया जाता है और वे किसी भी ग्राहक से कोई कमिशन या दलाली नहीं लेते.
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हमने बैंक के साथ कोई जालसाजी नहीं की
अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में वर्ष 2017-18 में 45 करोड 1 लाख 10 हजार 71 रूपये का निवेश किया था. जिससे बैंक को 7 लाख 76 हजार 339 रूपये का फायदा हुआ था. इसी तरह वर्ष 2018-19 में बैंक ने 3 करोड 99 लाख 99 हजार 899 रूपये निवेश किये थे. जिसके जरिये बैंक को 19 लाख 15 हजार 97 रूपये का लाभ हुआ. ऐसे में गांधी दम्पत्ति द्वारा बैंक के साथ कोई जालसाजी या धोखाधडी नहीं की गई है, यह साबित होता है, ऐसा युक्तिवाद एड. फिरदौस मिर्जा द्वारा न्यायालय में किया गया. जिसे ग्राह्य मानते हुए अदालत ने गांधी दम्पत्ति को अंतरिम राहत दी.