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बीएसएफ जवानों को भी मिले सैनिकों की तरह सुविधाएं

पत्रवार्ता में पूर्व सैनिकों ने उठायी मांग

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२८ – भारतीय सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के पूर्व सैनिकों को २३ नवंबर २०१२ के अध्यादेश के मुताबिक सेना के जवानों की तरह दर्जा व सुविधाएं प्राप्त होनी चाहिए. किंतु राज्य सरकारने इस पर अब तक अमल नहीं किया है. इसी तरह वर्ष १९७२ में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत-पाक युध्द में महत्वपूर्ण भुमिका निभानेवाली बीएसएफ के जवानों को भारतीय सेना के जवानों का दर्जा देने की सिफारिश की थी, लेकिन रक्षा मंत्रालय की गलती की वजह से ऐसा भी नहीं हो पाया.
वहीं सीमा पर सबसे आगे खडे रहकर दुश्मन की गोली को अपने सिने पर झेलनेवाले बीएसएफ के जवानों को शहीद का दर्जा भी नहीं मिलता. यह एक तरह से बीएसएफ जवानों के साथ दुय्यम दर्जा एवं सौतेला व्यवहार है. जिसे जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए. इस आशय की मांग ऑल इंडिया बीएसएफ ए्नस सर्विस मैन वेलफेयर एसो. की राज्य इकाई द्वारा यहां बुलायी गयी पत्रकार परिषद मेें की गई. स्थानीय श्रमिक पत्रकार भवन में बुलायी गयी पत्रकार परिषद में एसो. के अध्यक्ष श्रीकांत शेगांवकर ने कहा कि, बीएसएफ का जो जवान सीमा पर लडने के लिए दुश्मन के सामने सबसे आगे खडा होता है, वहीं जवान अपने देश में सुविधाएं पाने के लिए सबसे पिछे खडा है. इस स्थिति को बदला जाना बेहद जरूरी है, ताकि बीएसएफ जवानों का मनोबल उंचा उठा रहे. ऐसे में सरकार को चाहिए कि, बीएसएफ जवानों को भारतीय सेना के सैनिकों की तरह दर्जा और सुविधाएं दी जाये. साथ ही बीएसएफ से सेवानिवृत्त हो चुके जवानों को पूर्व सैनिकों की तरह लाभ दिये जाये. इस पत्रकार परिषद में बताया गया कि, विदर्भ क्षेत्र के सभी जिलों में एसोसिएशन की शाखाएं गठित की जा रही है. जिसके तहत यवतमाल जिले में अध्यक्ष महादेव चौधरी, गणपत गाढेकर, कैलाश भगत धुर्वे, अकोला जिले में अध्यक्ष राजेश राम गवली, संजय नवथले, प्रमोद हजारे, वर्धा जिले में अध्यक्ष संजय ठाकुर, विलास भोयर तथा अचलपुर में गोपाल तायडे, सुभेदार मेजर प्रशांत ठाकरे, देवीनंद वाघमारे, गजानन पाटिल व मनोज तायडे को जिम्मा सौंपा गया है.

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