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बिल्डर मंगेश चौधरी बने गरीबों व जरूरतमंदों के लिए ‘रियल हीरो’

  •  सेकंड लॉकडाउन में भी सभी की सहायता के लिए तत्पर

  •  गत वर्ष से अब तक लाखों रूपयों का किराणा बांटा

  •  अब भी रोजाना 250 से 300 जरूरतमंदों को दे रहे किराणा

  •  बेहतरीन गुणवत्तावाले किराणा साहित्य के पैकेट बंटवा रहे

  •  प्रचार-प्रसार व प्रसिध्दी से दूर रहकर कर रहे काम

अमरावती/प्रतिनिधि दि.26 – कोविड संक्रमण का कहर शुरू होने के बाद पहले लॉकडाउन में कई छोटी-बडी सामाजिक संस्थाओं व राजनेताओं द्वारा गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को अन्न-धान्य का वितरण किया गया. इसमें से कुछ लोगों ने काफी बेहतरीन ढंग से गरीबोें की सहायता की. वहीं कुछ ने केवल सेल्फी निकालकर वॉटसअप् स्टेटस रखने हेतु केले-समोसे बांटते हुए फोटो खिंचवाये. वहीं कोविड संक्रमण की दूसरी लहर की वजह से लगाये गये नये लॉकडाउन में कहीं पर भी पहले जैसा सामाजिक सहायता व अन्नदान जैसा दृश्य दिखाई नहीं दे रहा है. किंतु शहर में भवन निर्माण व्यवसाय से जुडे एक ऐसे भी बिल्डर है, जिन्होंने तमाम तरह के प्रचार-प्रसार व प्रसिध्दी से दूर रहते हुए विगत एक वर्ष से अब तक शहर के सभी कटला रिक्शा चालकोें सहित गरीबों और जरूरतमंदों को लाखों रूपयों का बेहतरीन गुणवत्तावाला किराणा बांटा है और सर्वाधिक उल्लेखनीय यह है कि, सेकंड लॉकडाउन लगने के साथ ही वे दुबारा सक्रिय हो गये और अब भी रोजाना 200 से 250 जरूरतमंदों को किराणा किट का निरंतर व निस्वार्थ भाव से वितरण कर रहे है.
विगत एक वर्ष से लगातार गरीबों व जरूरतमंदों की सहायता करनेवाले इस व्यक्ति का नाम मंगेश महादेवराव चौधरी है, जो स्थानीय शंकर नगर मार्ग पर हरिगंगा ऑईल मिल के निकट एकवीरा नगर में रहते है और देवी धनश्री डेवलपर्स एन्ड बिल्डर्स कंपनी के संचालक है. स्थानीय जवाहर रोड स्थित जूझर मार्केट में उनका भव्य कार्यालय है. आर्थिक रूप से बेहद संपन्न रहनेवाले मंगेश चौधरी ने शून्य से अपने विश्व का निर्माण किया है और सफलता की चोटी पर पहुंचने के बावजूद उनमें लेशमात्र भी अहंकार नहीं है. शहर में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जो मंगेश चौधरी को नहीं जानता है. मंगेश चौधरी बचपन से ही गरीबों व जरूरतमंदों की सहायता करना चाहते थे और किसी समय जब वे खुद आराधना साडी सेंटर में सेल्समैन के तौर पर काम करते थे, तब परिस्थिति नुसार जितना संभव हो पाता था, उतनी सहायता जरूरतमंदों को उपलब्ध कराते थे. जैसे-जैसे वे सफलता के मार्ग पर आगे बढने लगे, वैसे-वैसे उन्होंने गरीबों की सहायता करने की रफ्तार और दायरे को बढा दिया. इस दौरान कठोर परिश्रम करते हुए मंगेश चौधरी शहर के अग्रणी लैण्ड डेवलपर व बिल्डर की श्रेणी में जा पहुंचे.
वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के कहर को देखते हुए 23 मार्च 2020 को देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया गया. अचानक लगाये गये इस लॉकडाउन की वजह से अमरावती शहरवासियों में भी जबर्दस्त हडकंप मचा. शुरूआत में केवल 15 दिनों के लिए लगाया गया यह लॉकडाउन देखते ही देखते लगातार तीन माह चला. इस दौरान सभी छोटे-बडे उद्योग, कपडा प्रतिष्ठान, होटल, बार व रेस्टॉरेंट सहित सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हो गये और इनमें काम करनेवाले कर्मचारियों व कामगारों के हाल-बेहाल होने लगे और कई लोगों पर बेरोजगारी व भूखमरी की नौबत आ गयी. जिनमें शहर के कटलेवालों का भी समावेश था. इन दिनों लोगबाग माल ढुलाई के लिए जल्दी से जल्दी सामान पहुंचाने हेतु माल वाहक ऑटो का प्रयोग करते है. जिसकी वजह से विगत अनेक वर्षों से कटलेवालों के पास पहले की तरह काम और कमाई नहीं है. इन कटलेवालों में 70 फीसदी मुस्लिम व 30 फीसदी हिंदू कटला चालक है. जिसमें से लगभग सबकी आयु 60 वर्ष से अधिक है. पहले ही आर्थिक संकटों का सामना करनेवाले इन कटला चालकों और उनके परिवार को कोविड संक्रमण काल के दौरान दो वक्त का भोजन भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा था. इस बात को ध्यान में रखते हुए मंगेश चौधरी ने अपने मार्गदर्शक व परममित्र पूरणसेठ हबलानी, जयकुमार हेमराजानी व अमृतलाल मेहता के मार्गदर्शन में कटला रिक्शा चालकों सहित शहर के गरीबोें व जरूरतमंदों की मदद करने का जिम्मा उठाया. इसके तहत मंगेश चौधरी ने बेहतरीन दर्जेवाले अनाज और किराणा की किट बनवायी. यह किट पांच सदस्य रहनेवाले परिवार की 25 दिनों की जरूरत को बडे आराम से पूरा कर सकती है. इस किराणा किट में पांच किलो आशिर्वाद आटा, तीन किलो काली मूछ चावल, तीन किलो शक्कर, एक किलो फटका तुअर दाल, एक किलो सोयाबीन तेल का पैकेट, एक किलो पोहा, एक किलो बेसन, आधा किलो फल्लीदाणे, एक पाव चाय पत्ती, एक पाव मिर्च पाउडर, एक पाव हल्दी, एक पाव जिरा, कपडे व नहाने के साबुन, दो टूथब्रश, एक कोलगेट टूथपेस्ट, छोटे बच्चों के लिए आलूचिप्स के पैकेट, पारले बिस्कीट का बडा पैकेट तथा एक सैनिटाईजर बोतल का समावेश रहता है. सबसे विशेष बात यह है कि, मंगेश चौधरी द्वारा इस किराणा किट पर अपना नाम या फोटो नहीं लगाया जाता. गत वर्ष लॉकडाउन काल के दौरान 23 मार्च से 15 मई तक मंगेश चौधरी ने रोजाना 200 से 250 जरूरतमंदों को किराणा किट का वितरण किया. जिस समय मंगेश चौधरी कटला चालकों को किराणा किट देते थे, तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते थे. इस दौरान लोगों ने मंगेश चौधरी को आदर और प्यार से ‘दादा’ की पदवी दी थी.
किराणा किट का वितरण करने हेतु मंगेश चौधरी एक दिन पहले ही टाटा 407 मिनी ट्रक में किराणा किट लदवा देते थे और रोजाना सुबह 5.30 बजे अपने सहकारी व मित्र विलास अनासाने एवं मनीष देशमुख के साथ किराणा किट वितरण के लिए रवाना होते थे. शहर के जिन-जिन क्षेत्रों में कटला रिक्षा चालक रहते है, उन क्षेत्रों में अपने परिचित लोगों की सहायता से वे कटलेवालों के घर जाकर किराणा किट वितरित करते थे. इस समय कई कटलेवाले और उनके परिजन सोये रहते थे, तो मंगेश चौधरी उनके बंद दरवाजे के सामने किराणा किट रखकर आगे निकल जाते थे. पश्चात निंद से उठने के बाद जब संबंधित परिवार को अपने दरवाजे पर एक महिने हेतु बेहतरीन गुणवत्तावाला किराणा व अनाज मिलता था, तो वे बेहद आनंदीत होते थे. कई कटलेवालों और गरीबों को आज तक यह नहीं पता कि, उन्हें यह किराणा साहित्य किसने उपलब्ध कराया था. इसके बाद जैसे-जैसे दिन चढता था, वैसे-वैसे मंगेश चौधरी पूरे शहर का दौरा करते थे और उन्हें जहां कहीं कोई कटलेवाला दिखाई देता था तो वे उसे रूकवाकर किराणा किट देते थे. इसके साथ ही पठाण चौक, इतवारा, चित्रा चौक व जुना कॉटन मार्केट परिसर सहित जिन-जिन इलाकों से होकर कटलेवाले गुजरते है, उन स्थानों पर खडे रहकर मंगेश चौधरी कटलेवालों की राह देखते थे और कटलेवाले आते ही उसे किराणा किट दिया करते थे. कई कटलेवालों ने उनसे उनका परिचय जानना चाहा, किंतु मंगेश चौधरी ने कभी अपने बारे में कोई खास जानकारी किसी को नहीं दी. बल्कि सभी को अपना फोन नंबर देते हुए कहा कि, इस समय बुरा समय चल रहा है, अपना और अपने परिवार का ख्याल रखो. साथ ही अगर कोई जरूरत पडती है, तो इस नंबर पर फोन करो.
बता दें कि, इस समय शहर में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां पर मंगेश चौधरी का ले-आउट ना हो. उन सभी क्षेत्रों में उनके परिचित इस्टेट ब्रोकर तथा मित्र परिवार है. जिनके द्वारा मंगेश चौधरी को गरीबों की सहायता हेतु फोन आया करते थे. विगत लॉकडाउन में मंगेश चौधरी ने कटला चालकों को किराणा किट वितरित करने के साथ ही शुरूआती 25 दिनोें तक शहर की कई गरीब बस्तियों में तैयार भोजन के पैकेट भी वितरित किये. इस दौरान जैसे ही मंगेश चौधरी को कहीं से भी भोजन की जरूरत के संदर्भ में फोन आता था, तो वे तुरंत उस क्षेत्र में अपना वाहन भेजकर किराणा किट वितरण करवाते थे.
गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी कोविड संक्रमण का कहर बढने की वजह से दुबारा लॉकडाउन लगाना पडा और दुबारा उसी तरह की स्थिति निर्माण हो गयी. ऐसे में मंगेश चौधरी दुबारा सक्रिय हो गये और रामनवमी से उन्होंने एक बार फिर किराणा किट तैयार करते हुए उसका वितरण करना शुरू किया. जो अब भी निरंतर जारी है और वे रोजाना 200 से 250 लोगों को किराणा किट वितरित कर रहे है.
उल्लेखनीय है कि, राजनीतिक दलों व सामाजिक संस्थाओं के छोटे-बडे पदाधिकारियों द्वारा गरीबों व जरूरतमंदों की सहायता करने के साथ ही तुरंत उसकी फोटो व खबर सोशल मीडिया पर वायरल की जाती है. कुछ लोग वाकई अच्छी तरह से सहायता करते है. वहीं कुछ लोग केवल एक केला या समोसा बांटते हुए गरीबों के साथ सेल्फि निकालकर वॉटसअप पर स्टेटस रखते है. किंतु मंगेश चौधरी शुरूआत से ही तमाम तरह के प्रचार-प्रसार से दूर रहे. कई बार चौक-चौराहों में कटलेवालों को किराणा किट का वितरण करते समय स्थानीय मीडिया के प्रतिनिधियों व छायाचित्रकारों ने उनसे मुलाकात करते हुए उनकी फोटो निकालने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने हमेशा ही ऐसा करने से मना किया. जिस वक्त लॉकडाउन काल के दौरान लोगबाग अपने प्राणों की परवाह करते हुए डर की वजह से घर में रह रहे थे, तब मंगेश चौधरी अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर कटलेवालों, गरीबों तथा मजदूरों सहित तमाम जरूरतमंदों की सहायता कर रहे थे और उनका यह काम अब भी निरंतर चल रहा है. साथ ही अगर कोई उनके कार्यालय में भी किसी तरह की सहायता मांगने हेतु आता है, तो खाली हाथ नहीं लौटता. यदि उस समय मंगेश चौधरी अपने कार्यालय में मौजूद नहीं होते है, तो उनके स्टाफ द्वारा उन्हें फोन पर इसकी जानकारी दी जाती है और मंगेश चौधरी खुद संबंधित व्यक्ति से फोन पर बात करते हुए उसकी व्यथा व जरूरत को समझते है और अपने कर्मचारियों को उसकी सहायता करने हेतु कहते है. मंगेश चौधरी ने अपने कार्यालय के सभी कर्मचारियों तथा अपने ले-आउट व निर्माण स्थलोें पर काम करनेवाले सभी मजदूरों को भी लॉकडाउन काल के दौरान प्रत्येक माह किराणा वितरित किया.

  •  10 वीं फेल, लेकिन जीवन की परीक्षा में टॉपर

मंगेश चौधरी को बचपन से ही पढाई-लिखाई में कोई खास रूचि नहीं थी. अपने पिता के धाक की वजह से वे जैसे-तैसे कक्षा 10 वीं तक पहुंचे. किंतु अंग्रेजी विषय उन्हेें काफी मुश्किल जाता था और वे लगातार दस बार कक्षा 10 वीं की परीक्षा में अंग्रेजी विषय में अनुत्तीर्ण हुए. पश्चात उन्होंने पढाई-लिखाई छोड दी और घर की आर्थिक परिस्थिति साधारण रहने की वजह से कुछ काम करने का निश्चय किया. पश्चात वर्ष 1990 में उन्होंने जयस्तंभ चौक स्थित आराधना साडी सेंटर में बतौर हेल्पर काम शुरू किया और कठोर परिश्रम व ईमानदारी से काम करने की वृत्ति रहने के चलते वे एक वर्ष के भीतर ही सेल्समैन बन गये, लेकिन मन में कुछ बडा करने की चाहत थी. ऐसे में उन्होंने सेल्समैन का काम करते-करते प्रॉपर्टी की ब्रोकरशिप करने का काम भी शुरू किया और इस व्यवसाय में खुन-पसीना बहाकर मेहनत करते हुए कुछ वर्षों के भीतर ही अच्छाखासा नाम कमाया. पश्चात वर्ष 2012 में उन्होंने ब्रोकरशिप बंद करते हुए खुद सौदे लेने की शुरूआत की तथा आज शहर में ऐसा कोई इलाका नहीं है, जहां पर मंगेश चौधरी का ले-आउट नहीं है. साथ ही शहर में ऐसी कोई बडी हस्ती नहीं है, जिसके साथ मंगेश चौधरी की यारी-दोस्ती नहीं है. कक्षा 10 वीं की परीक्षा में दस बार फेल होनेवाले मंगेश चौधरी ने अपने कठोर परिश्रम के दम पर जिंदगी की परीक्षा में टॉपर स्थान हासिल किया है और आज वे भवन निर्माण व्यवसाय में सबसे अव्वल स्थान पर है. किंतु बावजूद इसके वे बेहद सादे व सामान्य ढंग की जिंदगी जिना पसंद करते है और अपने पुराने दिनों को याद रखते हुए गरीबों की सहायता करते है.

  •  देवी धनश्री कालोनी के मंदिर में होता है 2 हजार लोगों का भंडारा

मंगेश चौधरी ने कलोती नगर के पास स्थित देवी धनश्री कालोनी के भव्य प्रांगण में किसी से भी एक रूपया भी न लेते हुए खुद अपने खर्च से भगवान भोलेनाथ का आलीशान मंदिर बनवाया है. इसी प्रांगण में गणपति मंदिर व भव्य गूफा में माता वैष्णोदेवी का मंदिर है. यहां पर मंगेश चौधरी द्वारा प्रति वर्ष दो हजार लोगों का भंडारा किया जाता है. इस मंदिर के मेंटेनन्स पर प्रतिवर्ष 4 लाख रूपये का खर्च आता है. इस खर्च का वहन भी मंगेश चौधरी खुद करते है.

  •  मेरा सौभाग्य है कि, ईश्वर ने मुझे सत्कर्म के लिए चुना

मंगेश चौधरी के मुताबिक उनके जीवन का शुरूआती दौर बेहद कठीन रहा और बेहद बिकट परिस्थिति में से रास्ता बनाते हुए वे आगे बढे. जब वे 9 वर्ष के थे, तब उनकी मां का निधन हो गया. ऐसी परिस्थिति में उनके पिता ने उन्हें और उनके भाई दिनेश व महेश व बडी बहन संगीता को संभाला. जिस समय वे आराधना में बतौर हेल्पर काम किया करते थे, तब उन्हें किसी ने 500 रूपयों की भी मदद नहीं की थी. विपरित और संघर्षवाले दौर में अगर मदद नहीं मिली, तो किस तरह की मानसिक तकलीफे होती है, इसका उन्हेें ऐहसास है. इसीलिए वे हमेशा ही मुसीबत में रहनेवाले लोगों की सहायता करते है. मंगेश चौधरी के मुताबिक लोग बडे-बडे घर बनाते है और घर में भगवान का छोटासा मंदिर बनाते है, किंतु ईश्वर पर पूर्ण आस्था रहने की वजह से उन्होंने अपने घर के दर्शनी हिस्से में भगवान का बडासा मंदिर बनाया है. जब कोई उनके दरवाजे पर आता है, तो उसे सबसे पहले भगवान के दर्शन होते है. संकटकाल के समय जरूरतमंदों की सहायता करना भगवान का काम है और भगवान यह काम हम मनुष्यों के जरिये करवाते है. पहले व दूसरे लॉकडाउन सहित रमजान व नवरात्री काल के दौरान ऐसे पुण्यकर्म हेतु भगवान ने उन्हें चुना और इस काम के लिए शक्ति दी. इस हेतु वे खुद को भाग्यशाली समझते है. मंगेश चौधरी के मुताबिक वे इस दुनिया में खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही वापिस भी जायेंगे. ऐसे में कोविड ही नहीं, बल्कि उनके जीवित रहने तक जितनी भी आपदाएं आयेगी, वे हमेशा जरूरतमंदों की सहायता करने हेतु सदैव तत्पर रहेंगे. जिस समय लोग उनका आभार मानते है, तब वे उन्हें एक ही बात कहते हैं कि, एक ही तो दिल है, कितनी बार जीतोंगे. मंगेश चौधरी के मुताबिक जरूरतमंदों की सहायता करते समय उन्होंने कभी किसी भी जाती-धर्म का भेद नहीं किया.

  • कोविड योध्दा पुरस्कार से सम्मानित

मंगेश चौधरी ने अब तक परदे के पीछे रहकर शहर के अनेकों जरूरतमंदों, गरीबों व सभी कटलेवाले की सहायता की. जिसकी उन्होंने कभी कोई प्रसिध्दी नहीं होने दी. किंतु इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन द्वारा उनके काम की दखल ली गयी और 5 सितंबर 2020 को जिला प्रशासन द्वारा उन्हें कोविड योध्दा पुरस्कार से सम्मानित किया गया. किसी से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं, सहायता के कामों का प्रचार नहीं, सोशल मीडिया पर फोटोबाजी भी नहीं, इसके बावजूद यह पुरस्कार मिलने पर खुद मंगेश चौधरी के आश्चर्य का ठिकाना न रहा.

  • सरकार द्वारा पर्याय खोजना जरूरी

कोरोना संक्रमण की चेन को तोडने हेतु ‘ब्रेक द चेन’ के रूप में लॉकडाउन के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है, यह सच है. किंतु लॉकडाउन काल के दौरान 40 प्रतिशत से अधिक लोगों का रोजगार चला गया है. कोरोना के खिलाफ सरकार एवं प्रशासन द्वारा युध्दस्तर पर काम किया जा रहा है. किंतु लॉकडाउन व कोरोना की वजह से जो लोग बेरोजगार हुए है, उन्हें दुबारा रोजगार मिले, कोई भी भूखे पेट न सोये तथा किसी गरीब व्यक्ति की इलाज के अभाव में मौत न हो, इस हेतु सरकार द्वारा विशेषज्ञों की सहायता से आवश्यक उपाययोजना पर काम किया जाना चाहिए. ऐसा मंगेश चौधरी का मानना है.

  •  एचआईवी संक्रमितों के साथ मनाते है दीपावली

मंगेश चौधरी प्रतिवर्ष अपने परिवार सहित तथा सुप्रसिध्द समाजसेवी डॉ. गोविंद कासट के एचआईवी संक्रमित सेंटर पर रहनेवाले बच्चों के साथ दीपावली व दशहरा मनाते है. साथ ही वहां रहनेवाले एचआयवी संक्रमितों को कपडे, शिक्षा साहित्य व अन्नधान्य की नियमित आपूर्ति करते है. साथ ही वे वृध्दाश्रम व अनाथाश्रम में भी समय-समय पर सहायता भिजवाते है.

 

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