पिछडा वर्ग कर्मचारियों पर अन्याय करने वाले जीआर की प्रतिलिपियां जलायी
वंचित बहुजन आघाडी ने राज्य सरकार का जताया निषेध
अमरावती/प्रतिनिधि दि.11 – पिछडावर्गीय कर्मचारियों को अन्याय करने वाले जीआर की प्रतिलिपियां जलाकर राज्य सरकार की नीतियाेंं का वंचित बहुजन आघाडी ने आज निषेध जताया इसके अलावा पदोन्नती के कोटे के 33 फीसदी आरक्षण के पद सेवा वरिर्यता के अनुसार खुल प्रवर्ग के भरने का निर्णय सरकार ने वापस लेना चाहिए. इस आशय की मांग को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को निवेदन भेजा गया.
निवेदन में बताया गया है कि तत्कालीन राज्य सरकार ने 25 मई 2004 में पिछडावर्गीयों के लिए पदोन्नती में आरक्षण का निर्णय लिया. उच्च न्यायालय में 2097/2015 के तहत इसके विरोध में याचिका दाखिल की थी. लेकिन उच्च न्यायालय ने इस याचिका के विरोध में निर्णय देते हुए 25 मई 2004 को यह कानून रद्द नहीं किया था केवल सरकार के निर्णय को स्थगिती दी थी. 18 फरवरी 2021 को पिछडावर्गीय के 33 फीसदी पद खुले प्रवर्ग से भरने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया था लेकिन सभी बहुजन संगठनाओं व पिछडावर्गीयों ने इस निर्णय का विरोध दर्शाया. जिसके बाद यह निर्णय बदल दिया गया. पिछडवर्गीय 33 फीसदी पदों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का अंतिम निर्णय आने पर पदोन्नती कोटे के आरक्षित पद रिक्त रखकर खुले प्रवर्ग ेके सभी वित्तीय पद 25 मई 2004 की स्थिती के अनुसार सेवा वरिर्यता के आधार पर भरने का निर्णय लिया गया. जिसके चलते राज्य के पिछले चार वर्षो से रिक्त रहने वाले पिछडा वर्गीयों के हजारों पद खले प्रवर्ग से भरे जाएगें यह पिछड वर्गीयों पर सारसर अन्याय है. इस निर्णय के खिलाफ वंचित बहुजन आघाडी ने आवाज उठाते हुए जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में जीआर की प्रतिलिपियां जलाई और अपना निषेध जताया. इस आंदोलन में और निवेदन देते समय वंचित बहुजन आघाडी के किरण गुडधे, मंगेश कन्हेकर, श्रीधर खडसे, गोपाल ढेगेकर, संदीप मेश्राम, अनिकेत गजभिये, रुपेश कुत्तरमारे, योगेश शेलारे शामिल हुए.